राम मंदिर बनने के बाद सनातनधर्म की प्रतिकीर्ती बनकर उभर रही है अयोध्या नगरी” मंहत गिरीशपति त्रिपाठी- महापौर

रवि मौर्य

अयोध्या नगरी की वह पुरातन पहचान आज आधुनिकता से जुड़कर हमारे सामने है। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या आज एक नए रूप में उभर रही है, विकास और आस्था का अद्भुत संगम इस शहर को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।" - जगद्गुरु सत्य साई माँ लक्ष्मी देवी 


हमें खुशी है कि राम मंदिर निर्माण के बाद से दुनिया के मानचित्र पर अपनी पावन नगरी अयोध्या सनातन को नई उंचाईयों पर ले जाने का काम कर रही है। पूरे विश्व में हमारे राम मंदिर की चर्चा है। जो सभी को एक सूत्र में पिरोने का काम भी कर रही है। उक्त बातें अयोध्या में अपने कैंप कार्यालय में "अयोध्या के विकास एवं वैशिष्ट्य" विषय पर आयोजित एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेस में अयोध्या के महापौर मंहत गिरीशपति त्रिपाठी ने कही उनके साथ जगद्गुरु भक्तिमयी मीरा बाई की उपाधि से सम्मानित जगद्गुरु साईं माँ लक्ष्मी देवी ने भी पत्रकारवार्ता के संबोधित किया। इससे पहले जगद्गुरु साईं माँ लक्ष्मी देवी राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने श्री राम जन्मभूमि के दर्शन-पूजन किया। 

माहापौर अयोध्या ने अपने संबोधन में आगे कहा कि राम जन्मभूमि के प्रतिष्ठा द्वादशी के अवसर पर अमेरिका से आई महिला संत परम पावन जगद्गुरु साईं माँ लक्ष्मी देवी का स्वागत करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है। साई मां अमेरिका,जापान सहित कई यूरोपीय देशों में सनातन के प्रचार-प्रसार में कई वर्षों से लगी हुई है। इनकी प्रेरणा से काफी संख्या में विदेशी धर्मालंबियों ने हिन्दू धर्म में शामिल होकर सनातन के ध्वजावाहक बन कर उसे आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर की वजह से अयोध्या का विकास अपनी उंचाइयों के छू रहा है। इसकी वजह से जहां यहां पर्यटन बढ़ा हैं वहीं लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर हुआ। मूलभूत सुविधायों पर भी बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिल रहा है। राज्य और केंद्र दोनों सरकारें इस दिशा में लगातार प्रयासरत है।

जगद्गुरु भक्तिमयी मीरा बाई की उपाधि से सम्मानित जगद्गुरु साईं माँ लक्ष्मी देवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि “अयोध्या नगरी का वैभव केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह नगरी भारतीय संस्कृति और धर्म का अद्वितीय उदाहरण है। आज पूरी दुनिया उत्सुकता, उत्साह, उमंग के साथ अयोध्या को देख रही है।  भारत की समृद्ध संत परंपरा में अग्रणी, विष्णुस्वामी वंश के 2,700 साल के इतिहास में पहली महिला जगद्गुरु एवं महामंडलेश्वर होने के नाते मुझे राम मंदिर की स्थापना के दिन से ही यहाँ आकर दर्शन पूजन करने की इच्छा और महत्वाकांक्षा थी। लेकिन उसके अतिरिक्त मुझे मेरे आराध्य प्रभु श्री राम की नगरी के बदले हुए रूप को देखने की भी तीव्र इच्छा थी। धर्म प्रचार में मेरा काफी समय विदेश में बीतने के कारण मैं प्रभु श्रीराम के दर्शन से इतने दिनों तक वंचित रही लेकिन आज मुझे यह सौभाग्य मिला है कि मैं महाकुम्भ मेला में कल्पवास के लिए जाने से पहले अयोध्या आकर प्रभु श्री राम के चरणों के शीश झुकाकर प्रयाग के लिए प्रस्थान करूँ।"  

"प्राचीन काल में अयोध्यानगरी धन-धान्य से परिपूर्ण थी, समृद्धि के शिखर पर थी, और आनंद से भरी हुई थी। अयोध्या में विज्ञान और वैराग्य के साथ, उसका वैभव भी शिखर पर था। उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी  आदित्यनाथ जी अयोध्या के विकास के लिए हमेशा तत्पर हैं।  और उन्हें अयोध्या के विकास के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सहयोग और आशीर्वाद भी मिल रहा है।"  

अपने कुम्भ प्रवास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि "इस वर्ष महाकुम्भ में मुझे एक माह तक अपने सभी शिष्य शिष्याओं के साथ कल्पवास करना है और इसके साथ ही विभिन्न धार्मिक आयोजनों में उपस्थित रहना है।  मैं अपनी संस्था के माध्यम से गत एक दशक से सनातन सेवा एवं धर्म प्रचार के साथ विभिन्न जन सहयोगी कार्यक्रमों को आयोजित करवाती हूँ।  इस वर्ष कुम्भ में भी यज्ञ एवं अनुष्ठान के अलावा हमारे धर्मार्थ कार्य निरंतर चलते रहेंगे। दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों से आने वाले मेरे अनुयायियों और मेरे शिष्यों के लिए कुम्भ मेला एक तपस्या का विषय है। मेरा ऐसा मानना है कि सनातन के प्रचार-प्रसार एवं हिन्दू धर्म के विशाल वैभव को दुनिया के अन्य देशों तक पहुँचाने के लिए आप सभी को हमारे द्वारा किये जा रहे कार्यों का अवलोकन करना चाहिए।" 

अयोध्या के महापौर डा गिरीशपति त्रिपाठी जी का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि "आप अयोध्या के विकास के ध्वजवाहक हैं, आपने इतने कम समय में हमारे निवेदन को स्वीकार किया और अपने हमें आपसे मिलने और आपको सम्मानित करने की अनुमति दी इसके लिए मैं आपकी आभारी हूँ आपके नेतृत्व में अयोध्या और आगे बढ़े ऐसी मेरी मंगलकामना है।"

गौरतलब है वर्ष 2007 प्रयाग अर्ध कुंभ मेले में, वैष्णव साधु समाज द्वारा जगद्गुरु भक्तिमयी मीरा बाई की उपाधि से सम्मानित, परम पूजनीय श्री सतुवा बाबा महाराज द्वारा समर्थित, भारत के 2,700 वर्षों के विष्णुस्वामी वंश और कुंभ मेले के ज्ञात इतिहास में इस प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित होने वाली पहली महिला संत परम पावन जगद्गुरु साईं माँ लक्ष्मी देवी जी का रविवार प्रयाग महाकुम्भ में प्रस्थान करने से पूर्व अयोध्याजी पदार्पण हुआ।

मॉरीशस के एक ब्राम्हण परिवार में जन्मी जगद्गुरु साई माँ हिन्दू धर्म के प्रचार प्रसार में पिछले डेढ़ दशक से सक्रिय हैं। वर्ष 2019 में साई माँ से प्रेरित होकर 9 विदेशी मूल के शिष्यों ने संत परंपरा को आत्मसात करते हुए हिन्दू धर्म को अंगीकार किया था और उन सभी को महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त की थी जिनमें तीन महिला संत भी शामिल हैं।  साई माँ के भक्तों में दुनिया भर के 12 देशों से अधिक के निवासी हैं जो अब हिन्दू धर्म स्वीकार कर चुके हैं। जापान,अमेरिका फ़्रांस समेत कई अन्य यूरोपीय देशों में इनके भक्तों की भारी संख्या है।

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