खुशियों के ख़ूबसूरत रिश्तों नातों को तोड़ने में ग़लतफ़हमी संवादहीनता व नांसमझी की मुख्य भूमिका
ख़ुशहाल रिश्तों नातों को मज़बूत करने नजरअंदाजी झुकना व समर्पण का भाव होना अत्यंत ज़रूरी
रिश्तों नातों को ख़ुशहाल बनाने आपसी आत्मविश्वास,समर्पण, सहमति,समर्थन व समझदारी का भाव रूपी अस्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका-एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ में भारत ही एक ऐसा देश है जहां रिश्तोंनातों की बहुत गहराई से कद्र होती है, जो कि आदि अनादि काल से ही भारत की मिट्टी में समाया हुआ है इसलिए जो मानव भारत की मिट्टी पर पैदा हुआ है उसमें प्राकृतिक रूप से उसके मन में रिश्ते नातों,संबंधों की कद्र करना समा जाता है, परंतु समय का तकाजा है,उसके चकरे के घूमने से कई चीजें न केवल बदल जाती है,बल्कि व्यक्ति विशेष का स्वभाव अंदाज, आदत तो छोड़ो लेकिन उसके जीवन की दिनचर्या ही बदल जाती है जिसमें उसके रिश्ते नाते संबंधों में दरार आने लगती है, जिससे वह व्यक्ति खुशीयों की खूबसूरत लकीर से हटकर अकेलापन और दुख की ओर चल पड़ता है। मेरा मानना है कि इसका सबसे मजबूत कारण मिस अंडरस्टैंडिंग मिस कम्युनिकेशन व कम्युनिकेशन गैप है, चूंकि सामने वाला व्यक्ति, कहना कुछ चाहता है, हम समझते कुछ हैं, और हो कुछ और जाता है इसलिए सबसे पहले हमें उस अंडरस्टैंडिंग के अंदाज को समझने की ज़रूरत है,जिस लहजे में हमसे बोला जा रहा है, अगर हम यह तकनीक सीख गए तो मेरा पूरा विश्वास है हमारे रिश्ते नाते हमेशा दूर-दूर तक साधारण वह मजबूत रहेंगे। अवस्था में रहेंगे और हमें खुशियां मिलेगी क्योंकि खुशियों क़े लिए हमारे द्वारा बनाए संबंधों रिश्तो नातों को मजबूत स्वस्थ और खुशहाल बनाना जरूरी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे रिश्तो के बिना जीवन बेकार है रिश्तो पर ध्यान देने की जरूरत है, खुशियों के खूबसूरत रिश्तों नातों को तोड़ने में ग़लतफ़हमी संवादहीनता व नांसमझी की मुख्य भूमिका हैँ।ख़ुशहाल रिश्तों नातों को मज़बूत करने नजरअंदाजी झुकना व समर्पण का भाव होना अत्यंत ज़रूरी हैँ।
साथियों बात अगर हम अपने जीवन में रिश्तों नातों को निभाने की करें तो,व्यक्ति के जीवन में उसका परिवार, दोस्त और रिलेटिव सबसे ज्यादा करीब होते हैं।रिश्ता चाहें जो भी हो,उसे निभाने के लिए कई जरूरी बातों का ख्याल रखना होता है। परिवार में हर व्यक्ति की सोच और स्वभाव एक दूसरे से अलग होती है, लेकिन फिर भी सभी घर में एक दूसरे के साथ बैलेंस बनाकर चलते हैं।कई बार व्यवहार बिल्कुल अलग होने और सोच एक दूसरे से न मिलने के कारण रिश्ते खराब हो जाते हैं और कई बार टूट भी सकते हैं,ऐसा कोई नहीं चाहता कि उनका रिश्ता उनके करीबियों से खराब हो जाए या टूट जाए, इसलिए अपने किसी भी रिश्ते में लापरवाही या नासमझी नहीं करनी चाहए। रिश्तो को खुशहाल रखने के लिए इन बातों को रेखांकित करना जरूरी है(1) इज्जत और सम्मान करें-रिश्ता चाहें माता पिता से हो या दोस्तों से हो, उसकी मर्यादा को हमेशा याद रखना चाहिए,कोई भी रिश्ता बिना सम्मान के ज्यादा दिन नहीं टिक पाता है अपने रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए एक दूसरे की इज्जत करना बेहद जरूरी है। (2) भरोसा करें और ईमानदार रहें-दुनियां के हर रिश्ते की नींव भरोसे पर टिकी होती है। भरोसा कमजोर पड़ते ही सालों पुराने और खून के रिश्ते भी टूट जाते हैं,इसीलिए हमको अपने किसी भी रिश्ते में बेवजह शक नहीं करना चाहिए और अपनों का भरोसा कभी नहीं तोड़ना चाहिए। (3) इन चीजों को करने से बचेंरोक-टोक ना करें-हर समय की रोक-टोक किसी भी व्यक्ति को परेशान कर सकती है और वे आपसे धीरे धीरे दूर हो सकते हैं, इसीलिए बेवजह बात बात पर रोक टोक ना करें और सामने वाले को उनका पूरा समय देने की कोशिश करें। (4) मिसकॉम्युनिकेशन से बचें-किसी भी रिश्ते में कम्युनिकेशन गैप आने से रिश्ते खराब हो जाते हैं, इस स्थिति से बचने के लिए मन में कोई बात ना रखें और खुलकर बात करें और दूसरो को भी अपने मन की बात कहने का मौका दें।
साथियों बात अगर हम रिश्ते खराब होने के कारणों की करें तो, जब जब किसी रिश्ते के बीच में मैं का भाव आ जाता है तो है रिश्ता खराब होना निश्चित होता है,उसरिश्ते को तब तक नहीं बचाया जा सकता जब तक की मैं का भाव मिटा न दिया जाए।और यह हमारी आपसी तालमेल पर ही निर्भर करता है कभी हम अपनी गलती माने, कभी सामने वाला अपनी गलती माने, इसी प्रकार से जिंदगी खुशी पूर्वक चलती रहती है। परंतु यदि हम यह सोच कर बैठ जाएंगे कि हम तो गल्ती करते ही नहीं, तो फिर रिश्ता निभाना मुश्किल हो जाएगा। कई बार हमको उस बात के लिए भी सामने वाले से माफी मांग लेनी चाहिए, जिसमें कि हमारा कोई दोष नहीं है,क्योंकि कभी-कभी यह समय की आवश्यकता होती है और बाद में सही समय पर उस व्यक्ति को उसकी गलती का एहसास दिलाया जा सकता है।परंतु यदि अभी लड़ाई चल रही है और हम भी अपनी बात पर अड़ गए, तो फिर विवाद का अंत होना संभव ही नहीं है, विवाद बढ़ता ही चला जाएगा और यह स्थिति हमारे जीवन में अशांति और क्लेश घर कर जाएगा। एक सफल रिश्ते की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है,विश्वास और एक दूसरे पर भरोसा, इसे कभी भी नहीं टूटने देना चाहिए, क्योंकि यदि एक बार किसी का भरोसा आप पर से उठ गया, तो यकीन मानिए फिर दोबारा से उस व्यक्ति को भरोसे में ला पाना असंभव ही होता है वह हमेशा हमें शक की दृष्टि से ही देखेगा। यदि एक बार हमारे जीवन में शक नामक घुन लग गया तो यकीन मानिए फिर वह हमको तबाह करके ही छोड़ता है। पुरानी कहावत है लव रिक्वायर्स टोलरेंस।इसका सीधा अर्थ है प्यार में नज़रन्दाज़ी यानि झुकना जरुरी है।यानि अगर झुकोगे नहीं,तो टूट जाओगे (रिश्ता खत्म) तलाक के 90 प्रतिशत मामले अकड़ का नतीजा होते हैं। दोनों में से कोई भी झुकने को तैयार नहीं होता। इसलिए रिश्ता टूट जाता है।गलती हुई है,तो सॉरी बोलिए।बात को खत्म करिये।नज़र अन्दाज करने की आदत डालिये।छोटी सी गलती को तूल देना अच्छा नहीं!अगर रिश्ता पति पत्नी का है,तो न कोई छोटा है,न कोई बड़ा ।टोकरी शहतूत के पेड़ की टहनी से इसलिए बनती है कि उसमें लचक होती है।वह मोड़ने पर टूटती नहीं ।यानि जो व्यक्ति झुकना नहीं जानता,वह टूट जाता है। इसलिए रिश्ता जिन्दा रखना है,तो झुकना सीखें वरना,एक दिन राख के ढेर में यादों को तलाशते रहजाएंगे ।रिश्तों में एक दूसरे को स्पेस देना बहुत जरूरी है। क्योंकि जब तक हम उनसे दूर नहीं जाएंगे वो आपकी कमी को कभी महसूस नहीं कर पाएंगे।और अगर रिश्तों को बेहतर बनाने की सोच से हम नजदीकियां बढ़ाएगे तो कहीं उलटा ही ना हो जाए,क्योंकि ज्यादा मिठास भी शुगर कर देती है,हाहाहा...।इसलिए थोड़ी दूरियां बनाइये ताकि हमारी कमी उन्हें महसूस हो,हमको याद करने का उन्हें अवसर दे।
साथियों बात अगर हम रिश्तो को जोड़े रखने की टिप्स को समझने की करें तो, रिश्तो को जोड़े रखने के लिए कभी अंधा कभी बहरा तो कभी गूंगा होना पड़ता है?जी हां! यह रिश्ते को ही नहीं आज अपने घर में भी हर बुजुर्ग को बच्चों के साथ रहना, खाना है,तो यह करना चाहिए। यह उपाय हमको हर समस्या से बचाए रखता है। (1) समझदारी-रिश्तों को मजबूती से जोड़ने के लिए समझदारी बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे आप दूसरों की भावनाओं को समझ सकते हैं।(2) संवाद कौशल-सही संवाद कौशल रखना रिश्तों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है, जिससे समस्याओं का समाधान हो सकता है। (3) समर्पण-रिश्तों को टिकाऊ बनाए रखने के लिए समर्पण बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे आप एक दूसरे के साथ खुशियों और दुःखों का हिस्सा बन सकते हैं। (4) सहमति और समर्थन-रिश्तों में सहमति और समर्थन देना जरूरी है ताकि हर कदम पर आप एक दूसरे के साथ हों। (5) आपसी आत्मविश्वासरिश्तों को मजबूत रखने के लिए आपसी आत्मविश्वास महत्वपूर्ण है, ताकि आप खुद को और दूसरों कोसमझ सकें।जो लोग रिश्तो के प्रतिवफादार नहीं होते, और उनकी मर्यादा नहीं समझते या उनकी कीमत नहीं समझते, ऐसे लोग अपने रिश्तो को आसानी से तोड़ देते हैं।रिश्ते तोड़ते समय उनके मन में जरा सा भी संकोच या शर्म महसूस नहीं होती क्योंकि ऐसे लोग शर्म और संकोच से परे होते हैं, वह जानते ही नहीं है कि ,शर्म, मर्यादा और संकोच क्या कहलाता है ? ऐसे व्यक्तियों से यदि रिश्ता टूट जाता है तो दुख नहीं करना चाहिए क्योंकि यह व्यक्ति आगे जाकर हमें और ज्यादा परेशान करते हैं।हमें यदि कल परेशान होना है तो ,क्यों ना हम इनके रिश्ते से टूट कर ,अभी बिखर कर फिर नए तरीके से संभलकर जीवन को आगे बढ़ाएं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि खुशियों के खूबसूरत रिश्तों नातों को तोड़ने में ग़लतफ़हमी संवादहीनता व नांसमझी की मुख्य भूमिका ख़ुशहाल रिश्तों नातों को मज़बूत करने नजरअंदाजी झुकना व समर्पण का भाव होना अत्यंत ज़रूरी रिश्तों नातों को ख़ुशहाल बनाने आपसी आत्मविश्वास, समर्पण सहमति समर्थन व समझदारी का भाव रूपी अस्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका हैँ।
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