नहीं थम रही हैं सीवरेज टेंक में सफाईकर्मियों की मौतें?
समता, न्याय और संवैधानिक अधिकारों के मुद्दों पर भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान का जनसंवाद
- जनसंवाद में जुटे लोगों ने कहा जाति, धर्म और लिंग के नाम पर किया जा रहा है प्रताड़ित..
- कालबेलिया समुदाय के मृत लोगों को दफनाने के लिए नहीं जमीन..
- हथाई के चबूतरे के सामने से पांवों में चप्पल नहीं पहन सकतीं महिलाएं..
- नाई की दुकानों पर दलित समुदाय के लोगों के बाल नहीं काटे जाते..
जयपुर। राजस्थान में आए दिन समाज के अभिवंचित समुदाय के साथ छुआछूत और जाति/धर्म/लिंग के नाम पर भेदभाव की घटनाएं सामने आ रही हैं।
आज भी अजमेर क्षेत्र में हथाई के चबूतरे के सामने से महिलाएं पांवों में चप्पल नहीं पहन सकतीं तो जोधपुर में कालबेलिया समुदाय में मृत व्यक्ति को दफनाने के लिए श्मशान के लिए जमीन नहीं है, मजबूरन उन्हें अपने घर के आंगन में ही मृत व्यक्ति को दफनाना पड़ रहा है।
ऐसे ही कई भेदभाव व प्रताड़ना के मामले आज जयपुर में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में प्रदेशभर से सैंकड़ों की संख्या में जुटे लोगों ने राज्य सरकार व विभिन्न विभागों के आए प्रशासनिक अधिकारियों के सामने रखें। भेदभाव छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान की ओर से राजस्थान राज्य भारत स्काउट गाइड मैदान में आयोजित ‘‘जनसंवाद‘‘ में शोषित-पीड़ित, महिला, दलित, आदिवासी, घुमंतू, अल्पसंखक, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगजन समुदाय के लोगों ने अपने मुद्दे रखें।
अजमेर संभाग से आई निरमा ने बताया कि आज भी हथाई प्रथा के कारण गांवों में महिलाएं बड़े बुजुर्गों के व हथाई के चबूतरे के सामने से पांवों में चप्पल नहीं पहन सकतीं। इन महिलाओं के साथ लिंग के आधार पर असमानता का व्यवहार हो रहा है।
जोधपुर जिले से आए त्रिलोकनाथ, नारूनाथ, पांचाराम कालबेलिया ने बताया कि उनके समुदाय के लोगों को अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। समुदाय के किसी व्यक्ति के निधन पर शव को दफनाने के लिए जगह तक नहीं मिलती।
उन्होंने बताया कि हमारी मांग है कि घुमंतू-अर्द्धघुमंतू समुदाय में आने वाले सभी जाति समूहों के नागरिकता के प्रमाण पत्र तथा अन्य दस्तावेज, घर, जमीन और शमशान भूमि आदि की व्यवस्था हो।
ट्रांसजेंडर समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रेम बाई ने कहा कि आज भी ट्रांसजेंडर समुदाय को अपने वजूद और हकों के लिए लड़ना पड़ रहा है। हमारे साथ समाज में हर जगह, चिकित्सा, आवास, रोजगार में भेदभाव होता है। हमें समाज अलग-अलग नामों से बुलाता है।
वाल्मीकि समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव की बात करते हुए अलवर, टोंक से आए प्रवीण वाल्मीकि, राजेन्द्र करोतिया और दीपिका वाल्मीकि ने सिवरेज कार्यों में हो रही मौतों पर सवाल उठाया। विशेष योग्यजनों के साथ होने वाले भेदभाव की बात करते हुए नागौर जिले से आए लालाराम मेघवाल ने बताया कि राजस्थान दिव्यांगजन अधिनियम 2016 की राजकीय कार्यालय में अनुपालन नहीं हो पा रही है।
राजकीय विभागों में रेम्प होना चाहिए लेकिन विभागों में कहीं-कहीं रेम्प बने हुए दिखाई देते हैं लेकिन दिव्यांगजन इनको उपयोग में नहीं ले सकते। इनकी बनावट ऐसी है, सीधी खड़ी रहती है। इस पर दिव्यांगजन को उतरने-चढ़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कंजर समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव व अत्याचारों की बात करते हुए चित्तोडगढ़ से आए राकेश, महेश कंजर ने बताया कि उनके समुदाय को आए दिन पुलिस अत्याचार का सामना करना पड़ता है।
पुलिस चोरी के झूठे मामले दर्ज करके उन्हें प्रताड़ना देती है। उदयपुर से आए हरी प्रकाश खराड़ी ने आदिवासी समाज के साथ वन अधिकार के दावों में बरते जा रहे भेदभाव का मुद्दा उठाया।
जोधपुर से आईं अरूणा लीलावत ने बताया कि प्रदेश में आज भी कई इलाकों में नाई की दुकानों पर दलित समुदाय के लोगों के बाल नहीं काटे जाते।
उदयपुर से आए याकूब मोहम्मद, शाहिस्ता और सिराज ने मुस्लिम समुदाय के साथ धर्म को लेकर हो रहे भेदभाव के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की बात कही। उदयपुर से आईं सविता गुप्ता ने प्रदेश में बढ़ रही महिला हिंसा, दुष्कर्म की घटनाओं की रोकधाम हेतु कठोर कदम उठाते हुए पीड़िताओं को तत्काल न्याय दिलाने के संदर्भ में कार्यवाही की मांग की।
विदित है कि भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान अल्पसंख्यक, महिला, दलित, आदिवासी, घुमंतू, दिव्यांगजनों आदि मुद्दों पर कार्यरत समुदायों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और संविधान पसंद, जागरूक नागरिकों का एक साझा मंच है जो पिछले 2 वर्षों से समाज में भेदभाव-छुआछूत को खत्म करने के उद्देश्य को लेकर कार्यरत है। अभियान का मुख्य उद्देश्य ऐसा समाज बनाना है जहां हर व्यक्ति, समानता, गरिमा और सम्मान के साथ जी सके।
भेदभाव-छुआछूत मुक्त राजस्थान अभियान की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में अभियान की ओर से मांग की गई कि सार्वजनिक स्थान एवं सामाजिक सेवाओं के उपयोग में समानता का अधिकार मिले।
भेदभाव और अपमानजनक व्यवहार बंद करने हेतु कानून बनाया जाए। देश, राज्य में होने वाले जातिगत, वर्ग, लिंग कार्य आदि को लेकर होने वाले भेदभाव पर तुरंत रोक लगाकर सक्त कार्यवाही होनी चाहिए।
राज्य सरकार, विधानसभा के आागामी सत्र में राजस्थान में होने वाले जातिगत भेदभाव पर अध्ययन कर श्वेत पत्र जारी करे।
राज्य सरकार स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर, प्रदेश में हर तरह के भेदभाव-छुआछूत के खिलाफ ‘जन जागृति अभियान’ चलाए एवं संबंधित कानूनों का प्रभावी क्रियांवयन के मोनिटरिंग सिस्टम सुनिश्चित करें। जनसंवाद में पूर्व संभागीय आयुक्त पीसी बेरवाल, पुलिस महानिरीक्षक मानवाधिकार किशन सहाय, सफाई कर्मचारी आयोग से प्रकाश हराड़े, सीडबल्यूसी से शीला सैनी, एडवोकेट सतीश कुमार आदि शामिल हुए। जनसंवाद कार्यकम का संचालन एडवोकेट भीम राम मुड़िया एवं हेमलता कंसोटिया ने किया।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें