मानव की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य - विकास श्रीवास्तव
आचार्य स्कंददास मौर्य
अयोध्या धाम l भगवान श्रीराम जी की नगरी वरिष्ठ समाजसेवी विकास श्रीवास्तव द्वारा सुबह - शाम , गरीबों की सेवा करना , बेसहारा गरीब लोगों की मदद करना , गरीब लड़कियों की शादी में मदद करना , सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना अपने मंदिर के सामने बाघी मंदिर के सामने पिछले कई वर्षों से सुबह सैकड़ो गरीबों के लिए चाय नाश्ता की व्यवस्था करना उसके पश्चात भोजन की व्यवस्था करना इत्यादि l वरिष्ठ समाजसेवी विकास श्रीवास्तव ने प्रेस प्रतिनिधि को बताया कि हम सभी भगवान राम के और अयोध्या की परंपरा का निर्वहन कर रहे है ताकि जो भी जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सके l उन्होंने बताया कि मानव जाति की सेवा से ही सबसे बड़ा पुण्य का काम है जिसको करने के लिए भगवान भी प्रेरणा देते है प्रभु श्रीराम की प्रेरणा से सारे पुण्य का काम कर पा रहे है l मनुष्य को हमेशा इसी मानवता की सेवा करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए क्योंकि मानवता इंसान का सिर्फ एक अच्छा गुण ही नहीं बल्कि उसका धर्म ही होता है l सभी धर्मों में मानव सेवा को ईश्वर की सेवा बताया गया है l श्री श्रीवास्तव ने बताया अविद्या के कारण मानव की चेतना निचले स्तर पर रहती है और मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, क्रूरता, स्वार्थी कर्मों में लिप्त रहता है। वास्तविक विद्या मनुष्य को चेतन के ऊंचे स्तर पर ले जाती है। विद्या युक्त मनुष्य निस्वार्थ कर्म, आध्यात्मिक गुण, ऊंचे आदर्श, दया, पवित्रता, प्रेम और भक्ति के साथ स्वयं जीवन जीता हुआ दूसरों के जीवन को संवारने वाला और समाज का मार्गदर्शक बन जाता है।
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