वेतन विसंगतियों को लेकर आर पार की लडाई लड़ने को मजबूर निकाय कर्मचारी- शशि कुमार मिश्र
निकाय कर्मचारी प्रदेश भर में बड़े आंदोलन की तैयारी में
मनोज मौर्य
लखनऊ l प्रदेश के हमारे स्थानीय निकाय कर्मचारी साथियों, आज उ.प्र.स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ अपने प्रदेश के निकाय कर्मियों चाहे वह 17 नगर निगम के कर्मचारी साथी हो या 200 नगरपालिका के साथी हो या 454 के आस पास नगर पंचायत तथा जलकल के साथी हो, उनके हक हकूक की लड़ाई एक लम्बे समय से लड़ता चला आ रहा है।
लेकिन दुखद है कि यह प्रदेश की सरकार व खास कर नगर विकास विभाग आज आजादी के 77 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी निकाय कर्मियों की सेवा सम्बंधी जो विसंगति है या उनकी सेवाओं का पुनर्गठन हो या चतुर्थ,पंचम, छठवां तथा सातवें वेतन आयोग की संस्तुति हो उसके बाद भी एक भी सेवा का उच्चीकरण नहीं किया गया, हमारे कर्मचारी जिन सेवाओं एवं पदों पर आज भर्ती हैं, वहीं से सेवा निवृत्त हो रहे, कोई पदोन्नति के अवसर नहीं दिए जा रहे, जबकि छठवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में साफ साफ कहा गया कि जो वेतन, भत्ते,पद नाम, पदोन्नति के अवसर राज्य कर्मचारियों को अनुमन्य है वहीं निकाय कर्मियों पर प्रभावी होंगे, उसके बाद भी हमारी सेवाओं के एक भी कैडर का पुनर्गठन नहीं किया गया, यहां तक आज हमारे कर्मचारी सेवा आदेश 1962 पर ही काम करने को मजबूर हैं, जबकि निकायों का सीमा विस्तार बेइन्तहसा बढ़ चुका है,रोज नयी निगमों, नगरपालिका तथा नगर पंचायतों का गठन हो रहा, यहां तक कि नयी गठित नगर निगमों के कर्मचारी आज भी उसी वेतन,भत्तो पर काम कर रहे, जैसे नव गठित मथुरा वृन्दावन, अयोध्या तथा शाहजहांपुर, सहारनपुर नगर निगम के कर्मचारी।
महासंघ लगातार एक लम्बे समय से सेवा सम्बंधी दिक्कतों, वेतन विसंगति, अंग्रेजों के जमाने के सेवा आदेश में आज की जरूरत के हिसाब से संशोधन, पदों का पुनर्गठन, सातवें वेतन आयोग प्रभावी होने के बाद लिपिक, राजस्व आदि पदों का पुनर्गठन नहीं हो रहा।
हमारी निकायों में कम्प्यूटर, चालक, जलकल के पम्प चालक,बिल कलेक्टर,बिल सर्वर आदि टेक्निकल पदों के कर्मचारियों के साथ सफाई ,चतुर्थ श्रेणी आदि सम्वर्गो को कोई पदोन्नति एवं सेवा आदेश में कोई पद ही नहीं होने के साथ उनको कोई बेहतर अवसर नहीं मिल रहे, वर्ष 31 दिसम्बर 2001 तक कार्यरत दैनिक वेतन, संविदा कर्मियों को विनियमित करने हेतु जारी शासनादेश दि.16 फरवरी 2016 के अनुसार आज प्रदेश के निकाय कर्मियों को अभी तक विनियमतीकरण नहीं किया गया, तथा उसके बाद नियुक्त संविदा कर्मियों का स्थायी करण हेतु भी कोई नीति नहीं है,साथ ही आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, सेवा नीति,नियम कानून, जीने लायक वेतन,पद के अनुरूप वेतन, भत्ते,बीमा आदि की कोई व्यवस्था नहीं है।
इन परिस्थितियों में महासंघ पिछले कई सालों से संघर्ष करते हुए सैकड़ों आन्दोलन, धरना, प्रदर्शन व ज्ञापन एवं सैकड़ों पत्राचार आदि के माध्यम से ध्यानाकर्षण आन्दोलन तथा शासन स्तर पर बैठकें करने के बाद भी एक भी समस्या का समाधान नहीं किया गया, जिससे आज प्रदेश की निकायों में घोर निराशा के साथ साथ मरने जीने को तैयार हैं।
महासंघ द्वारा गत दिनों प्रदेश सरकार व शासन को आन्दोलन एवं पूर्व से लम्बित प्रकरणों एवं मांगों पर समय रहते वार्ता एवं बैठक के माध्यम से समस्याओं के समाधान हेतु अनुरोध एवं आन्दोलन की नोटिस देकर दि.15 जून से दि.16 अगस्त तक प्रदेश की सभी निकायों का भ्रमण एवं एक बड़े आन्दोलन की तैयारी हेतु जनजागरण किया, जिसके अन्तर्गत प्रयागराज, वाराणसी, झांसी, गोरखपुर, अलीगढ़, हाथरस, सिकन्दराभऊ,मेरठ, मुरादाबाद, मथुरा वृन्दावन, सहारनपुर, बरेली, शाहजहांपुर, कानपुर, आगरा, फिरोजाबाद, टुंडला, रायबरेली, देवरिया, महराज गंज, आजमगढ़, उन्नाव, शुक्लागंज, नवाबगंज आदि इकाइयों का दौरा कर वहां की स्थानीय समस्याओं जैसे समय से विभागीय पदोन्नति,ए सी पी, चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी में जारी शासनादेश के अनुसार पदोन्नति,समय से वेतन, भत्ते, पेंशन आदि कर्मचारियो को नहीं मिल रहा।
महासंघ द्वारा यह भी तय हुआ है कि यदि प्रदेश सरकार व शासन द्वारा समय रहते हमारी दिक्कतों एवं मांगों का समाधान नहीं निकाला गया तो दि.21अगस्त24 को लखनऊ नगर निगम में होने वाली प्रान्तीय इकाइयों के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श कर तथा प्रदेश की समस्त इकाइयों की समीक्षा कर एक बड़े आन्दोलन यूं कहिए आर पार की लड़ाई हेतु आन्दोलन देगा, जिसमें अब प्रदेश की सभी सेवाओं को बाधित कर अनिश्चितकालीन कार्य बन्दी करेगा, क्यों कि महासंघ द्वारा बहुत लम्बे समय से सभी ध्यानाकर्षण आन्दोलन के माध्यम से देश, प्रदेश के सभी माननीय जिम्मेदार लोगों सरकार,शासन को अपने निकाय कर्मियों की पीड़ा एवं उनको हो रही आर्थिक बदहाली से अवगत करा चुके हैं।
अतः पुनः प्रदेश सरकार व नगर विकास विभाग के मा.मंत्री नगर विकास तथा प्रमुख सचिव नगर विकास महोदय से बहुत ही विनम्र निवेदन है कि समय रहते बैठक एवं वार्ता के माध्यम से हम निकाय कर्मियों की समस्याओं का समाधान निकाला जाय, अन्यथा की स्थिति में प्रदेश का निकाय कर्मचारी अपनी जायज एवं अपने अधिकारों को प्राप्त करने हेतु किसी भी स्थिति में कटिबद्ध है, जिससे निश्चित रूप से प्रदेश की नागर निकायों की सेवाएं प्रभावित होंगी और जनमानस को उससे प्रभावित होना स्वाभाविक है।
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