त्रिवेणी प्रसाद दुबे मनीष की कृतियाँ हुई लोकार्पित

लखनऊ। 'नवसृजन' साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, लखनऊ के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार  त्रिवेणी प्रसाद दूबे 'मनीष द्वारा प्रणीत हिन्दी निबन्ध संग्रह *‘प्रकृति, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव’ तथा ‘हिन्दी, भाषा और साहित्य’, काव्य संग्रह 'त्रिवेणी की कुण्डलियाँ’ और हिन्दी बालगीत संग्रह ‘भोला बचपन’* का लोकार्पण उत्तर  प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निराला सभागार में सम्पन्न हुआ।

समारोह के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वी. जी. गोस्वामी (पूर्व अधिष्ठाता-विधि विभाग, ल.वि.वि.), मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) उषा सिन्हा (पूर्व अध्यक्ष भाषा विज्ञान विभाग, ल. वि. वि.), वरेण्य अतिथि डॉ. सुल्तान शाकिर हाशमी (पूर्व सलाहकार सदस्य योजना आयोग, भारत सरकार), डाॅ. हरिशंकर मिश्र पूर्व आचार्य, हिन्दी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय), अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक' (सम्पादक ब्रज कुमुदेश) एवं डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा मृदुल (संम्पादक चेतना स्रोत) थे।

माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं यशःशेष डॉ रंगनाथ मिश्र सत्य के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् डॉ योगेश के संचालन एवं सुश्री श्वेता शुक्ला की वाणी वन्दना से आरम्भ हुआ। त्रिवेणी प्रसाद दूबे मनीष द्वारा प्रणीत हिन्दी निबन्ध संग्रह ‘प्रकृति, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव’ तथा 'हिन्दी भाषा और साहित्य’, काव्य संग्रह 'त्रिवेणी की कुण्डलियाँ’ और हिन्दी बाल गीत संग्रह 'भोला बचपन’ का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया। अनिल किशोर शुक्ल ‘निडर’  द्वारा त्रिवेणी प्रसाद दूबे ‘मनीष’ का संक्षिप्त साहित्यिक जीवन परिचय प्रस्तुत किया गया।
समारोह के अध्यक्ष डाॅ. वी. जी. गोस्वमी ने अपने सम्बोधन में कहा कि, "मनीष लेखन के क्षेत्र में विभिन्न आयाम स्थापित कर रहे हैं। आप कठिन विषयों को बड़ी सरलता से प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर उषा सिन्हा ने अपने उ‌द्बोधन में कहा कि "अत्यंत हर्ष का विषय है कि बहुआयामी सर्जक कवि गीतकार, छंदकार, दोहाकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं निबंधकार के रूप में स्थापित  त्रिवेणी प्रसाद दूबे 'मनीष की सृजन यात्रा अविराम प्रवहमान है। वरेण्य अतिथि डॉ. सुल्तान शाकिर हाशमी ने अपने सम्बोधन में कहा कि " त्रिवेणी प्रसाद दूबे 'मनीष'  एक ऐसे साहित्यकार हैं जिनका गद्य और पद्म पर समान अधिकार है। इनका बालगीत संग्रह 'भोला बचपन, कुण्डलिया छंद संग्रह 'त्रिवेणी की कुण्डलियों निबंध संग्रह हिन्दी भाषा और साहित्य तथा निबंध संग्रह प्रकृति, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव इस तथ्य के प्रबल प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।" विशिष्ट अतिथि डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा मृदुल ने कहा कि, " त्रिवेणी प्रसाद दूबे 'मनीष' बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार हैं। भारतीय वन सेवा में अधिकारी रहे मनीष के जीवनानुभव बहुत व्यापक हैं। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा में विपुल साहित्य का सृजन किया है। "डॉ. हरिशंकर मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि, " त्रिवेणी प्रसाद दूबे 'मनीष’  वरिष्ठ साहित्यकार हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  साहित्य सृजन की नैसर्गिक प्रतिभा प्राप्त है, जिसे आपने अध्यवसाय तथा निरन्तर अभ्यास से विकसित और उन्नत किया है। विशिष्ट अतिथि अशोक कुमार पांडेय 'अशोक' ने कहा कि  "कवि साहित्यकार  त्रिवेणी प्रसाद दूबे मनीष एक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न कवि एवं साहित्यकार हैं। आप की अब तक अट्ठाईस कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उनमें कहानी, लेख, उपन्यास, नाटक, कविता, गीत एवं दोहा संग्रह आदि है।
मुख्य वक्ता पर डॉ. शिवमंगल सिंह 'मंगल' ने कृति भोला बचपन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 'भोला बचपन' वरिष्ठ साहित्यकार त्रिवेणी प्रसाद दूबे 'मनीष की अट्ठाईसवीं हिन्दी कृति तथा प्रथम बालगीत संग्रह है। इसके सभी गीत बच्चों के लिए मनोरंजक होने के साथ-साथ प्रेरक और मार्गदर्शक भी हैं। कृति "प्रकृति, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव पर मंजू सक्सेना ने कहा कि "प्रकृति, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव निबंधों की एक ऐसी ही ज्ञानवर्धक पुस्तक है जिसमें त्रिवेणी प्रसाद दूबे 'मनीष’ ने १७ लेखों में प्रकृति और प्राकृतिक संपदा का बहुत विस्तार से वर्णन किया है। साथ ही उसका महत्व, संरक्षण, समस्या और निवारण पर भी विस्तृत चर्चा की है।" वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी पथिक' जी ने ‘त्रिवेणी की कुण्डलियाॅं’ पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि, "मनीष जी के छन्दों की भाषा सहज, सरल और प्रवाहपूर्ण हैं। भावगत और शिल्पगत सूजन पूर्णतः परिपक्व है। इनकी कृति त्रिवेणी की कुण्डलियों अपनी सम्प्रेषणीयता एवं युगीन समस्याओं के समाधान की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी है। मुख्य वक्ता डॉ. सुधा मिश्रा जी ने कृति 'हिन्दी भाषा और साहित्य पर कहा कि, "हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने की दृष्टि से कृति अत्यन्त उपयोगी, ज्ञानवर्द्धक एवं संग्रहणीय है।"

इस अवसर पर श्री त्रिवेणी प्रसाद दूबे 'मनीष' ने लोकार्पित कृतियों पर अपने विचार और अनुभव साझा करते हुए अपनी चारों कृतियों के  कुछ अंश प्रस्तुत किये तथा समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। समारोह में उपस्थित सभी रचनाकारों को 'सारस्वत सम्मान से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। अन्त में संयोजक अनिल किशोर शुक्ल 'निडर' ने उपस्थित सभी अतिथियों एवं साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया। राम प्रकाश शुक्ल, पण्डित बेअदबी लखनवी, मनु बाजपेयी, प्रेम शंकर शास्त्री बेताब, विशाल मिश्र, मुकेश मिश्र, श्रीमती विजय कुमारी मौर्य, मन्जू सक्सेना, अरविंद रस्तोगी, मनमोहन बाराकोटी, डॉ अश्क लखनवी का सहयोग सराहनीय रहा।

टिप्पणियाँ