कभी मौसम कभी खर्रा कभी झुमका ने बिगाड़ा आम का स्वाद!

  • गत वर्ष की अपेक्षा 35% आम उत्पादन का अनुमान
  • प्रदेश में कम उत्पादन के चलते आम महंगा रहने की उम्मीद
लेखराम मौर्य
लखनऊ। इस वर्ष जिस तरह से मौसम में देर तक ठंडी बनी रही और मौसम में उतार चढ़ाव जारी रहा उसका असर आम की फसल पर दिखाई पड़ रहा है क्योंकि देर तक मौसम ठंडा रहने के कारण प्रदेश के विभिन्न फल पट्टी क्षेत्रों में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष पहले बौर कम आया। 
आम उत्पादन की रही सही कसर झुमका और खर्रा ने पूरी कर दी। 
बीते दो दशकों में दो तीन सालों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश वर्षों में आम की फसल ने बागवानों को निराशा ही किया है जिससे परेशान होकर मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र के हजारों किसान आम के बाग कटवा कर अनाज, सब्जी एवं नर्सरी की खेती करने लगे हैं क्योंकि इस बीच आम उत्पादकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। 
जहां एक ओर बाग के सहारे रहने वाले किसान फसल न आने से निराश और परेशान रहते थे वहीं अन्य फसलों का उत्पादन करने वाले किसान कम से कम जीवन यापन के लिए दूसरी फसले तो उगा रहे थे जिससे वह बागवानों की तरह आर्थिक तंगी का कम शिकार हो रहे थे इसलिए उनको देखकर अनेको बागवानों ने बाग कटवाना ही उचित समझा।
 
प्रदेश के विभिन्न फल पट्टी क्षेत्रों से जो सूचनायें प्राप्त हो रही हैं उसके अनुसार कहीं भी आम की फसल बहुत अच्छी नहीं है।
ऐसी स्थिति में जिन बागवानों के पास आम है उनको प्रदेश और देश की बाजारों में ही अच्छा मूल्य मिलने की उम्मीद है।
एक किसान ने कहा कि जिस वर्ष आलू महंगा रहता है उस साल आम भी महंगा रहता है जबकि दूसरे किसान ने कहा कि आम की फसल कमजोर होने और फसल न आने से परेशान किसान अगले वर्ष इससे अधिक बाग कटवा देंगे। मलिहाबाद के ट्रांसपोर्टर सुनील गुप्ता के अनुसार इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा 35 फ़ीसदी से अधिक फसल उत्पादन नहीं होगा क्योंकि उनसे दर्जनों किसान जुड़े हुए हैं जिससे उन्हें क्षेत्र का फीडबैक मिल रहा है। दूसरी ओर अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र सिंह ने कहा कि बागों में इस वर्ष कल्ला अधिक आया है जिससे आम की फसल काफी कमजोर है फिर भी जिन किसानों और व्यापारियों द्वारा बैगिंग का प्रयोग किया जाएगा उन्हें अच्छा मूल्य मिलेगा।
यहां आम निर्यात की बात करना ही व्यर्थ है क्योंकि पिछले दो दशकों से सरकार की अनेकों कोशिशो के बावजूद उत्तर प्रदेश से आम का निर्यात किसी भी वर्ष एक फ़ीसदी भी नहीं हो पाया है इसलिए किसानों को आम निर्यात से अच्छा मूल्य मिलने की उम्मीद ही छोड़ देनी चाहिए क्योंकि अभी तक निर्यात का नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा है।
सरकार द्वारा जो भी प्रयास अब तक किए गए हैं वह सभी प्रयास बेकार साबित हुए हैं। आम में बौर देर से आने के कारण मलिहाबाद का आम पहली जून से पहले बाजार में आने की उम्मीद कम है।

टिप्पणियाँ