आखिर कब टूटेगी अधिकारियों की नींद!


लखनऊ। राजधानी के विकास खंड माल में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि विकासखंड कार्यालय में तैनात अधिकारियों ने एक महीने से अधिक समय बाद भी गांव में जाने की जहमत नहीं उठाई, क्योंकि शायद अधिकारी जनता के प्रति जिम्मेदार नहीं है.
इसीलिए किसी भी अधिकारी को जानकारी दी जाती रहे परंतु वह एक काम से सुनते हैं और दूसरे काम से अन सुना कर देते हैं तभी तो एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी ग्राम पंचायत रहटा का न शौचालय खुला है और न ही पंचायत कार्यालय चालू हो सका है।
ग्राम पंचायत में पंचायत भवन होते हुए भी पूर्व प्रधान के समय से पंचायत भवन का कार्य सामुदायिक मिलन केंद्र में होता चला आ रहा है और वर्तमान प्रधान के समय में भी इस पंचायत कार्यालय के रूप में सामुदायिक मिलन केंद्र को ही दिखाया जा रहा है। 
एक महीना 5 दिन से सामुदायिक मिलन केंद्र के सचिव कक्ष में रात में नियमित रूप से चारपाई डालकर सोने वाले एक पंच ने बताया कि वह दिन में जब कोई आता है तो इसको खोल देते हैं जहां एक मेज पर कंप्यूटर सेट रखा है और तीन कुर्सियां पड़ी हैं इसके अलावा इस कार्यालय में कुछ भी नहीं है उन्होंने बताया कि इस कार्यालय में पंचायत सहायक को उन्होंने कभी नहीं देखा जबकि उनके घर 30 मीटर की दूरी पर सामने ही है इसके अलावा सामुदायिक शौचालय भी आज तक नहीं खुल रहा है जबकि सामुदायिक मिलन केंद्र में केयरटेकर और सुनीता देवी नाम की पंचायत सहायक को जनवरी माह तक लगातार मानदेय दिया जाता रहा है। 
पंचायत भवन के आसपास रहने वालों ने बताया कि  ग्राम प्रधान पूनम है जब की प्रधान का कार्य दूसरे गांव के रहने वाले धर्मेंद्र सिंह देखते हैं। 
असली ग्राम प्रधान और उसके पति को पंचायत में क्या हो रहा है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार पंचायत भवन में केवल पुताई हुई है और किसी प्रकार का कोई अन्य कार्य नहीं हुआ है जबकि अभिलेखों के अनुसार पंचायत भवन में मरम्मत और रंगा पुताई दोनों का कार्य दिखाया गया है.
इसके अलावा सामुदायिक मिलन केंद्र कि कागजों में ही दो बार मरम्मत एवं रंगाई पुताई हो चुकी है जबकि मौके पर कोई भी कार्य नहीं किया गया है.
इस भवन में मात्र खिड़कियों को बिल्डिंग कराया गया है। 
लेखन नाम के पंच ने बताया कि उसके सामने 3 साल में सामुदायिक मिलन केंद्र की मरम्मत एवं रंगाई पुताई आज तक नहीं की गई है। 
अभिलेखों को देखने से पता चलता है कि धर्मेंद्र सिंह ने अपने पुत्र भाई एवं भतीजे सहित अपनी फर्मों के नाम से मजदूरी एवं सामग्री का पैसा निकाला है। 
पंचायत भवन की रंगाई पुताई एवं मरम्मत में भी इन्हीं के परिवार के लोगों के नाम मजदूरी का भुगतान किया गया है।

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