सेवा शोषण को पालती है?
सेवा और बदलाव में क्या मौलिक अंतर है?
मंजुल भारद्वाज
..सेवा नोबेल पुरस्कार दिलवाती है?
सेवा के पीछे
क्या सोच है ?
सेवा दान, दया से
उपजती हुई असमानता को
सहेजने वाला उपकार !
बदलाव अधिकार
हक़, समता
समानता का यलगार है!
बड़े बड़े बाबा
नेता,अभिनेता
दयालु, महात्मा
सेवा की सीख देते हैं
जिससे यथा स्थिति बनी रहती है
शोषण नहीं मिटता
हां शोषक मानव होने का
ढोंग कर लेता है!
सेवा शोषण को पालती है
शोषितों को झकझोरती नहीं है
शोषितों की अधिकार चेतना नहीं जगाती
शोषकों को नहीं झकझोरती
इसलिए शोषक सेवा करते रहते हैं
ताकि शोषण चलता रहे
धन्ना सेठ से कॉरपोरेट का
CSR उपकार इसका प्रमाण है!
बदलाव
क्रांति की आग है
जो शोषण प्रवृति को नष्ट कर
अधिकार का बिगुल बजाती है
बदलाव जान जोख़िम में डालता है
यातना, जेल, फांसी के तख्ते पर लटकाता है..
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