सभी के आदर्श एवं प्रेरणा स्रोत बने -सोनियाबाई फुले
10 मार्च राष्ट्रमाता सोनियाबाई फुले का श्रद्धा दिवस है।
गरीब, फ्रांसीसी, ईसाई धर्म, उपेक्षित गैर-ब्राह्मण जनजाति के पुरुष और सभी जाति के वर्णों की महिलाओं की शिक्षा, सामाजिक जागृति और नारी संप्रदाय के लिए ज्योतिबा फुले के साथ एक कदम से कदम मिलाकर औसत औसत जीवन भर के लिए भारत की प्रथम शिक्षा महानायिका माता सोनियाबाई फुले ने आज के दिन ही इस दुनिया को जीवित कह दी थी।
विदित हो कि उन दिनों महाराष्ट्र के पुणे में प्लेग की भयंकर संक्रामक बीमारी थी। देर रात तक लोगों को चिता तक ले जाने के लिए कोई तैयारी नहीं की गई थी।
बीमार को अस्पताल ले जाने के लिए कोई तैयारी नहीं थी। कुछ ऐसी ही स्थिति में एक समुद्री डाकू बालक जो प्लेग से पीड़ित था। माता फुले ने उन्हें अपने कंधे पर बिठाकर अपने पुत्रों की मांग पूरी करने के लिए मना लिया।
इसी क्रम में उनमें प्लेग का बदलाव हो गया और वह खुद बीमार होकर इस दुनिया में खो गईं। माता फुले की समर्पित सेवा के लिए सभी के आदर्श प्रेरणा एवं स्रोत बने रहें। हम उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हैं!
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