अपना काम बनता! भाड़ में जाए जनता?



  • इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे पंचायतों के जन सेवा केंद्र
  • ग्राम प्रधानों की मेहरबानी से लुट रही गांव की जनता

लेखराम मौर्य

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गांव की जनता की सुविधा के लिए ग्राम पंचायत कार्यालयों में पहले पंचायत सहायकों की नियुक्ति की गई उसके बाद उन्हें कंप्यूटर, प्रिंटर, वाई-फाई के अलावा फर्नीचर उपलब्ध कराया गया जिन्हें सरकार ने ₹6 हजार मानदेय के रूप में दे रही है। 

इन सभी सुविधाओं के बाद सरकार ने जन सेवा केंद्र के रूप में सभी प्रकार की ऑनलाइन सेवाएं देने के लिए अधिकृत कर दिया परंतु प्रधानों द्वारा जनता को जन सेवा केंद्र की सुविधा न देने के बावजूद कई जगह पंचायत सहायकों को मानदेय का भुगतान किया जा रहा है यही नहीं कुछ पंचायतों में आज तक गांव वालों को पंचायत सहायकों द्वारा कौन सा काम किया जा रहा है या कौन सा व्यक्ति नियुक्त है इस बात की जानकारी भी नहीं है क्योंकि प्रधानों की मिलीभगत से पंचायत सहायकों का मानदेय लगातार दिया जा रहा है। 

राजधानी के विकास खंड माल में दर्जनों पंचायतें ऐसी हैं जहां पंचायत सहायकों द्वारा प्रधान की सुविधा अनुसार पंचायत कार्यालय खोला जाता है और बंद रखा जाता है जबकि पंचायत सहायक को नियमित रूप से ग्राम पंचायत कार्यालय में जन सेवा केंद्र की सुविधा देने के लिए कहा गया है बावजूद इसके पंचायत सहायक का भाई तो कहीं पंचायत सहायकों के पति प्रधानों की चापलूसी कर मानदेय ले रहे हैं।

दूसरी ओर ग्रामीणों को आज तक इस बात की जानकारी प्रधानों एवं सचिवों द्वारा नहीं दी गई है कि पंचायत सहायक गांव वालों की सुविधा के लिए पंचायत कार्यालय के जन सेवा केंद्र  में उपलब्ध रहेंगे।

विकासखंड माल की ग्राम पंचायत रहटा की पंचायत सहायक सावित्री देवी आज तक पंचायत कार्यालय नहीं गई है फिर भी उन्हें मानदेय दिया जा रहा है ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने आज तक उनकी शक्ल तक नहीं देखी है जबकि सावित्री देवी की मां ने कहा कि वह ससुराल में रहती हैं ससुराल वाले उन्हें नौकरी नहीं करने दे रहे हैं इसी प्रकार ग्राम पंचायत बहरौरा की पंचायत सहायक अर्चना यादव अपने पति के साथ शहर में रहती हैं और वह जनता का फोन भी नहीं उठाती हैं उनके पति कभी-कभी महीने में एक दो बार पंचायत कार्यालय आ जाते हैं और प्रधान से मिलकर अपनी पत्नी का मानदेय लेकर चले जाते हैं ग्राम पंचायत जमोलिया में पंचायत सहायक के रूप में अमित यादव की नियुक्ति है जो लखनऊ शहर में रहकर पढ़ाई कर रहा है उसका भाई प्रधान अथवा सचिव द्वारा बताया गया काम ही गांव में करता है जबकि जनता की सेवा के लिए पंचायत सहायकों की नियुक्ति की गई है। यहां अधिकांश पंचायतों में जन सेवा केंद्र पर मिलने वाली सुविधाएं दीवारों में लिखवाई तक नहीं गई हैं क्योंकि तब पंचायत सहायकों की काम चोरी नहीं चलेगी। 

ग्राम पंचायत कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बावजूद पंचायत सहायकों के पंचायत से अनुपस्थित रहने के बावजूद प्रधान और सचिवों द्वारा मानदेय दिया जा रहा है। इसी प्रकार जनपद हरदोई की ग्राम पंचायत कटियार की पंचायत सहायक ने कहा कि उनको अभी तक जन सेवा केंद्र की आईडी तक नहीं दी गई है और वह विकासखंड अतरौली के अधिकारियों द्वारा दिए गए आदेश का पालन करती हैं जबकि गांव वालों का कहना है कि वह अपनी ससुराल में रहती हैं और कभी-कभी यहां आ जाती हैं। ग्राम पंचायत रामपुर अटवा की पंचायत सहायक शिल्पी शर्मा ने कहा कि उनके प्रधान ने आज तक न कोई सिम खरीदा है और ना ही वाई-फाई को रिचार्ज कराया है इसलिए उन्हें काम करने में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि मोबाइल का नेटवर्क सही नहीं रहता है। 

ग्राम पंचायत हड़हा की पंचायत सहायक कुमारी आकांक्षा सिंह ने कहा कि उनको जन सेवा केंद्र की आईडी भी मिल गई है और वह काम भी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जब कभी विकासखंड कार्यालय द्वारा कोई कार्य बता दिया जाता है उस कार्य को करना उनकी मजबूरी होती है इस समय परिवार रजिस्टर बनाने के लिए कहा गया है।

यह हाल केवल कुछ पंचायत का नहीं बल्कि प्रदेश की अनेकों पंचायतों का है जहां पंचायत सहायकों के पंचायत कार्यालय न जाने के बावजूद प्रधानों एवं सचिवों द्वारा उनका मानदेय दिया जा रहा है तथा वह जन सेवा केंद्र का काम भी नहीं कर रहे हैं।


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