पूर्व प्रधान के घर में चल रहा पंचायत कार्यालय?

  • पूर्व प्रधान और सचिव ने किया सरकारी धन का बंदरबांट..
  • नियम दरकिनार! 
  • पूर्व प्रधान के घर में चल रहा पंचायत कार्यालय..!
Lekhram Maurya
लखनऊ। ग्राम प्रधान और सचिव को यदि सरकारी खातों में अधिक पैसा दिख जाए तो उसका बंदर बांट करने के लिए नियम कानून तक पर रख दिए जाते हैं बावजूद इसके उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं। 
ग्राम प्रधान और सचिव के लिए नियम कानून कोई मायने नहीं रखते तभी तो अनेकों प्रधान पूर्व प्रधानो तथा रासूखदारों की कठपुतली बने हुए हैं। 
प्रधानों को मिलने वाले मानदेय के अलावा उनको कुछ भी पता नहीं रहता है। ऐसे प्रधान जिनकी कठपुतली बने हुए हैं वह लोग असली प्रधानों के फर्जी हस्ताक्षर भी बनाते हैं। इस तरह सरकारी दस्तावेजों एवं कार्यों के लिए बनाए जाने वाले अभिलेखों में किए जाने वाले फर्जीफिकेशन में सचिवों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वह एक नियम कानून से बंधा हुआ सरकारी कर्मचारी होता है फिर भी नियम कानून का उन्हें कोई डर नहीं रह गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि यदि उच्च स्तर के अधिकारी भ्रष्ट न हो तो नीचे के कर्मचारियों अधिकारियों की हिम्मत गलत काम करने की नहीं हो सकती है।
ऐसे ही कई मामले राजधानी के विकासखंड माल की पंचायत में सामने आ चुके हैं जहां पंचायत कार्यालय पूर्व प्रधानों एवं रसूखदारों के घरों में चल रहे हैं।
इसी क्रम में ग्राम पंचायत हसनापुर का कार्यालय पूर्व प्रधान के घर में चल रहा है जबकि कोई भी कार्यालय पंचायत भवन जर्जर होने या ना होने की स्थिति में किराए पर चलाया जाएगा ना कि किसी भी प्रधान अथवा पूर्व प्रधान या अन्य किसी के घर में चलाया जाएगा। 
इस ग्राम पंचायत में प्रधान रमेश कुमार है जबकि प्रधानी के सभी कार्य पूर्व प्रधान इकबाल खान कर रहे हैं। इसलिए अपने घर पर ही पंचायत का कार्यालय बना रखा है इस बात की पुष्टि ग्रामीणों सहित पंचायत सहायक बबली गौतम ने भी की। 
ग्रामीणों ने कहा कि उस कार्यालय में हमेशा टीवी चला करता है और लड़के देखा करते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि सामुदायिक शौचालय में पानी का कोई प्रबंध नहीं है और न ही कोई केयरटेकर कभी देखने आता है बावजूद इसके केयरटेकर का भुगतान बिना काम के किया जा रहा है। 
मोहल्ले वालों ने बताया कि जो व्यक्ति उसमें शौच के लिए जाता है वह अपनी स्वयं ले जाता है और उसकी सफाई भी वही करता है फिर भी केयरटेकर का भुगतान किया जा रहा है। सरकारी अभिलेखों को देखने के बाद पता चलता है कि सचिव ने पूर्व प्रधान के नाम 6 लाख से अधिक धनराशि इसी महीने में भुगतान कर दी है। पूर्व प्रधान के पास दो चार पहिया वाहनों के अलावा कई वाहन होने के बावजूद लेबर और मिस्त्री का भुगतान भी पूर्व प्रधान के नाम किया गया है जबकि नियमानुसार सरकारी धन का नगद भुगतान नहीं किया जाएगा जो मजदूर काम करेंगे उनके खाते में ही भुगतान किया जाएगा फिर भी पूर्व प्रधान और उसके दो-तीन व्यक्तियों के नाम ही मजदूरों का भुगतान किया जा रहा है जबकि असली मजदूरों को इसकी जानकारी ही नहीं है। इसके अलावा हैंड पाइप मरम्मत एवं स्ट्रीट लाइट के नाम पर पैसा निकाल लिया गया है जबकि गांव में ना उतनी लाइट लगी है और ना ही हैंड पाइप की मरम्मत की गई है।
ग्राम पंचायत के मजरे बेल बिरवा में नालियां न होने के कारण सफाई नहीं हो रही है जिससे रास्तों में पानी और कीचड़ भरा हुआ है कई ग्रामीणों ने पक्षपात पूर्ण कार्य करने का आरोप लगाया। 
इस ग्राम पंचायत में पूर्व प्रधान ने कई अपात्रों को प्रधानमंत्री आवास दिए गए हैं जिनसे हजारों रुपए की वसूली भी की गई है यह आरोप भी लाभार्थियों ने लगाया।

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