"माँ" एक बेहद जादुई कहानी है.. -सीमा मोदी

क्रि. शक्ति अकादमी सोसायटी द्वारा देश व वचन के लिए पुत्र प्रेम त्यागने वाली *माँ* का हुआ मंचन। 

एक सैनिक की पत्नी के बलिदान ने इस नाटक को देखा

महान कथाकार मंकी प्रेमचंद जी की लिखी प्रसिद्ध कहानी *माँ* का मंचन संस्कृति विभाग प्रदेश के सहयोग से सृजन शक्ति वेलफ़ेयर सोसायटी, लखनऊ द्वारा लालबाग पार्क, हिंदी सभा, विश्वविद्यालय में मंचन किया गया। 

इस नाटक में मुख्य भूमिका निभा रहे रंगकर्मी डॉ. सीमा मोदी और नवनीत मिश्रा ने दर्शकों के लिए बहुत ही रंग-बिरंगे कलाकारों के साथ बांधे रखे। नाट्यलेखन एवं निर्देशक के अग्रवाल ने किया।

मुख्य अतिथि एवं दीप प्रज्वलन..

"मां" मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एक अत्यंत जादुई कहानी है..

जिसमें अपने देश की प्रति निष्ठा एवं स्वतंत्रता सेनानी पति को दिए गए वचन को निभाने के लिए एक भारतीय नारी अपने पुत्र प्रेम का बलिदान कर रही है।

"करुणा" (डॉ सीमा मोदी) आज, सात सांझ की सजा काट कर, ब्रिटेन की जेल से लौट रहे हैं, चमकते-दमकते पति आदित्य (नित मिश्रा) का इंतजार कर रहे हैं। उनकी कल्पना है कि इंकलाब जिंदाबाद के बाद नारियों के बीच, भीड़ से आदित्य को ब्रिटिश पुलिस सम्मान घर लेकर आ रही होगी। 

असामान्य शाम होना, घर का पता चलना, टेपेडिक की बीमारी से पीड़ित होना, जेल की यातनाओं से ठीक होना, अकेला आदित्य। उसके साथ न तो कोई संगी दोस्त है और न ही अंग्रेजी पुलिस का कोई आदमी है।

घर पहुंच कर आदित्य अपने पुत्र प्रकाश (सहारा) को भी एक वीर स्वतंत्रता सेनानी बनाने का वचन देता है, करुणा की शरण में संसार को त्याग देता है। 

बड़ा तारा प्रकाश (कबीर) यूँ तो एक कुशाग्र और माँ से स्नेह करने वाला पुत्र है, मित्र देश सेवा और सामाजिक कार्य में उसकी कोई रुचि नहीं है। 

यहां तक ​​कि वो मां के अपमान के विरोध में, अंग्रेजी सरकार के वजीफ पर, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विलायत चलायी जाती है। पुत्र की यह अंतःक्रिया जीवन के संघर्षों से व्यथित करुणा धीरे-धीरे टूटती है। 

प्रकाश को पति की आशाओं का पुत्र न बनाये से, करुणा करुणा, अपने को आदित्य का शिष्य और प्रकाश से अपने सारे परिवेश को निभाना है। 

यहां तक ​​कि उनके द्वारा बनाए गए मशहूर कलाकार भी यहां खेती करते हैं।  

पुत्र प्रेम से ईसा मसीह और करुणा, एक रात प्रकाश के टूटे हुए पत्र को जोड़ने का प्रयास करते हैं, जो स्वप्न में राजकुमारी के रूप में किया जाता है, अंग्रेजी सरकार से विद्रोह के आरोप में अपने पिता की मृत्युदंड सुनाते ने लिखा है।

इस भयानक सपने से सिंहरात करुणा चीख कर बैठती है और रात भर में जोड़े गए पत्र को पुनः आरंभ करके अपने पुत्र को "मृत्यु दंड" सुनाती है। .

मंच पर कलाकार नवनीत मिश्रा ने मुख्य स्वतन्त्रता सेनानी की भूमिका निभाई, बेटे की भूमिका में छोटे प्रकाश शोभारा, बड़े प्रकाश अहमद रशीदी थे, घर के अनन्या सिंह, भिखारी की भूमिका में विनायक तिवारी ने भूमिका निभाई। 

पुलिस की भूमिका में पवन विक्रम, आशु चौधरी थे जहां क्रांतिकारी की भूमिका में अंसमानसाविर, रोनी शुक्ला, विजय मिश्रा, अंकित मिश्रा सुमनु, आनंद थे।

प्रकाश परिकल्पना व सेट सैटलाइट वास्तुशिल्प का आ रहा है व संगीत परिकल्पना व ऑपरेशन प्रकाशशास्त्री ने की। 

ड्रेस में अनन्या सिंह, सज्जा बिमला बर्नवाल के रूप में, एक्टर्स कंट्रोलर सौम्या मोदी का किरदार निभा रही हैं। सह निदेशक नवनीत मिश्रा रह रहे हैं। संपूर्ण शोध एवं निर्देशन के बारे में बताया जा रहा है।

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