हां' मैं गुनहगार हूँ
हेमन्त कुशवाहा
जिंदगी के सच को लिखना व बोलना मुखौटेबाजों व धोखेबाजों के झूठ की तह को खोलना मेरा गुनाह है जिसके लिए हां मैं गुनहगार हूँ।
गलत लोगों व गलत बातों का हमेशा से विरोध करना व उनके साथ ना रहना ना चलना व उनकी गुटबाजी का हिस्सा ना बनना मेरा गुनाह है जिसके लिए हां मैं गुनहगार हूँ।
किसी मठाधीश/ पदाधिकारी/ सीनियर जो उस योग्य हो ना' मगर वो जबरदस्ती से खुद को योग्य समझने की भूल कर रहा हो उसे नमस्ते ना करना मेरा गुनाह है जिसके लिए हां मैं गुनहगार हूँ।
अपने भीतर चापलूसी, खुशामद व जी हुजूरी का एक तिनका भी ना रखना बल्कि उसके स्थान पर तूफान रखना व उसको पूरी शरण देना मेरा गुनाह है जिसके लिए हां मैं गुनहगार हूँ।
अपने आत्मबल, शारीरिक बल व मानसिक बल पर पूरा भरोसा करना व अपने विरोधियों का अपनी साहसिकता एवं निर्भीकता के साथ मुकाबला करना मेरा गुनाह है जिसके लिए हां मैं गुनहगार हूँ।
चिकनी चुपड़ी बातें ना मैं करता हूँ ना किसी की सुनता हूँ बल्कि जो सही है उसको सामने ही खुलकर बोल देता हूँ चाहे वो व्यक्ति किसी भी स्तर का क्यूं ना हो मेरा गुनाह है जिसके लिए हां मैं गुनहगार हूँ।
अपने पूर्ण स्वाभिमान के साथ जीना और इसके लिए किसी भी सूरत में किसी से कोई फैसला ना करना मेरा गुनाह है जिसके लिए हां मैं गुनहगार हूँ।
ऐसे सरीखे गुनाहों को बार बार करने व इसके स्वाद को बार बार चखना व इसका आनंद लेना मेरा गुनाह है जिसके लिए हां मैं गुनहगार हूँ।
उपरोक्त इतने गुनाह करने के बाद भला कौन मुझे माफ करेगा और कौन मुझे बरदाश्त करेगा जिसके लिए यकीनन मैं जिम्मेदार हूँ हां मैं गुनहगार हूँ।
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