असली इंसान
आज का प्रेरक प्रसंग
- सदैव प्रसन्न रहिये -जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
- जिसका मन मस्त है -उसके पास समस्त है।।
एक नगर के नजदीक एक होटल था। जिसका मालिक दयालु और सज्जन व्यक्ति था, उसका नाम लालचंद्र था। होटल अच्छी आमदनी देता था।
उस सेठ का जीवन सुखी से चल रहा था। परिवार में उसका कोई नहीं था, माता-पिता का देहांत काफी समय पहले हो चुका था। उसका विवाह भी नहीं हुआ था।
लालचंद्र की एक विशेषता थी कि वह अपने होटल में आने वाले वह हर विकलांग को मुफ्त भोजन कराता था।
कई वर्षों तक यह कार्य निरंतर चलता रहा। वह रोज सुबह चिड़ियों को दाना भी दिया करता था। ऐसा करने पर उसे बहुत शांति मिलती थी, यह बात अमूमन अपने दोस्तों से कहा करता था।
एक दिन एक और सज्जन ने लालचंद्र से पूछा, आप ऐसा करते हैं तो आपको नुकसान नहीं होता! तब लालचंद्र ने कहा, मैं हर दिन पक्षियों का दाना देता हूं। मैंने गौर किया किसी अपाहिज पक्षी का दाना कोई अन्य पक्षी नहीं चुनता है।
वह पक्षी है उनमें यह भाव है तो मैं तो इंसान हूं। मुझे लगा मुझे भी हर विकलांग व्यक्ति को भोजन करवाना चाहिए। तभी से मैं इस राह पर चल दिया। ऐसा करने पर मुझे आत्मिक आनंद मिलता है।
शिक्षा
मित्रों, इंसान तो सभी होते हैं लेकिन इंसानियत कुछ इंसानों में होती है। वही इंसान सही मायनों में असली इंसान है जो दूसरों के दुख में उन्हें खुश कर अपनी खुशियां खोजें।
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