जरूरी है, माता-पिता के सम्मान की सुरक्षा की!

छात्र मित्र, छात्र मित्र क्या नाम हैं, आपके मित्र थे हो-माता-पिता वरिष्ठ नागरिक (अत्याचार अपराध और आपराधिक चोट) फाइनेंस 2024 बनाने की जरूरत..

  • एस्ट्रोसिटी के समकक्ष कानून में माता-पिता और बुजुर्गों का साथ और अपमान करने वालों की आवश्यकता है..
  • माता-पिता, माता-पिता, माता-पिता के सम्मान में सुरक्षा, जीवन को सुरक्षित..
  • रखना जरूरी है, माता-पिता के सम्मान की सुरक्षा..

लोकसभा चुनाव 2024 के घोषित पत्र में माता-पिता, माता-पिता को सम्मान सुरक्षा प्रदान की जाती है और दुर्व्याहार पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्राकृतिक कानून बनाने का वादा किया गया है, हर पार्टी को करना चाहिए- एडवो किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोल्डेन-इया ग्लोबल लेवलपर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के सहयोग से देखें सुन रहे हैं दुनिया के शहर में महान माता-पिता वह बुजुर्ग व्यक्ति हैं जो अपने संत के दुलार सहे सहेगे। 

आज वैधिक समाज का तर्क माता-पिता, वृद्धजनों से मिला हुआ है। आज बस थोड़े से माता-पिता के बारे में है, ऋषियों की सेवा करने के विचार, भगवान राम, पुत्र श्रवण जैसे महान उपदेश का देश है। लेकिन आज वह एकांत उदाहरण बनकर रह गये हैं। 

असल में अगर माता-पिता बुजुर्गों के जीवन में हुंकार देखा जाए तो आज की तारीख में उनका दुख ही होता है। 

मैंने अपने गोंडा राइस सिटी में यह दावा किया कि माता-पिता ने अपने 1 साल के बच्चों पर पूरे एक महीने का ध्यान रखा, तो देखा कि उन्होंने अपने बच्चों को, माता-पिता ने अपने 1 साल के बच्चों पर एक महीने का ध्यान रखा- पोषण कर रहे थे, तो दूसरी तरफ एक परिवार को देखा जिसमें दोनों बच्चे मुंबई पुणे और विदेश में रह रहे थे और मां लाचार किचन में थी तो पिता छोटी सी दुकान पर अपने बुजुर्ग दौर के दिन मेहनत करके कट कर रहे थे। 

तीसरी जगह देखा तो बच्चे ने अपने माता-पिता को दुत्कार कर रोब से बात कर रहे थे कि मानो वह उसके माता-पिता नहीं उसके घर का नौकर है। 

यह ट्रिपल ग्राउंड एनोटेशन किस्से देखकर मैं दंग रह गया। यानें बच्चों को जितने भी लड़के से पलटते हैं और लाखों की संख्या में लोग नौकरी का सामान बार-बार तोड़ते हैं तो उन्हें ढूंढ कर नौकरी भी दिलाते हैं, तो दूसरी ओर जब वह बड़ी-बड़ी सिथियां या विदेशी बिजनेस बस जाते हैं और माता-पिता को करना भूल जाते हैं। अगर बच्चे माता-पिता के साथ भी रहते हैं तो माता-पिता दादा-दादी को नौकर बनाकर रखते हैं, जो भारतीय संस्कृति की शर्म की बात है, यह देखकर मृगतृष्णा नहीं रही और उस शोध के आधार पर इस पुस्तक में अपनी बातें बताई गईं हैं। 

व्यक्ति कर रहा हूँ, जिसमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी का सहयोग भी लिया गया है। 

माता-पिता बुजुर्गों के सम्मान को बनाए रखें, वर्तमान में टेनेंस और पेरेंटस और सीनियर सिटीजन (संशोधित) अधिनियम 2019 नाकाफी वसीजन हैं। अब उसे समय आ गया है कि माता-पिता के साथ दुर्व्याहार, बुरा व्यवहार, अपमान और नामांकन करने वालों को एस्ट्रासिटी के समकक्ष कानून बनाने की जरूरत है। 

हम एस्ट्रासिटी (अत्याचार चोट) अधिनियम 2019 के लिए माता-पिता के सम्मान के लिए कानूनी डिग्रियां प्रदान करते हैं तो जिस तरह की सामाजिक शैक्षणिक योग्यता सूची में शामिल किया जाता है उसके लिए एस्ट्रासिटी (अत्याचार चोट) अधिनियम 2019 दिया गया है है. गया है. ) कानून 2019 बनाया गया है जिसका उद्देश्य गैर-कानूनी लोगों में हमेशा के लिए बनाया गया है या फिर कभी-कभी नया फौजदारी अधिनियम 2023 के क्रीम को रोकने के लिए कई धाराओं के लोगों के लिए एक कानून बनाया गया है मेरा सुझाव है 17वीं शताब्दी शीतसत्र में मित्रता पेश की जाये जिसमें सभी व्युत्पत्ति एक मत 544/0 वोट सत्र 2024 के घोषित पत्र में ऐसा वादा करने वाली हर पार्टी ने अपना घोषणा पत्र दिया है। 

माता-पिता और बुजुर्ग नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2019 की बात तो, परियोजना-धारा 2 डी के तहत अतिरिक्त लाभ, जन्मदाता माता-पिता, दत्तक संतान ग्रहण करने वाले, सौतेले माता और पिता-धारा 2 (जी) उनकी निजी संपत्ति नहीं है: एक्ट की इन फ्लो उनकी निजी संपत्ति नहीं है। उनके भरण-पोषण पोषण की जिम्मेदारी वे एसोसिएटेड उठाएंगे जो उनकी संपत्ति के हकदार हैं। धारा 5 के ये लाभ हैं, वे वरिष्ठ नागरिक पदनाम हैं कि उनके बच्चे या नागार्जुन नहीं हैं, वे आयुक्त न्यायालय (ट्रिब्यूनल) में भर्ती कर सकते हैं।  

- प्रार्थना पत्र स्वयं को ठीक करें या फिर किसी भी स्थान के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हैं। ऐसे मामलों में न्यायधिकरण खुद ही मानकीकरण कर सकता है।

- बच्चों या रिश्तेदारों को नोटिस मिल जाने के बाद 90 दिन का इन्सिडक्शन हो जाता है। अपवाद स्थिति में 30 दिन का समय दिया जा सकता है। ..न जेल भी जा सकती है.

- ट्रिब्यूनल प्रार्थना पत्र को एक्जिक्यूटिवा के लिए नामित अधिकारी के पास भी भेजा जा सकता है। तो वापस लेकर ट्रिब्यूनल में अनुमान अनुमान लगाया जा सकता है। धारा-19: राज्य सरकार प्रत्येक जिले में कम से कम एक पुराना कार्यालय बनाएगी। इसमें 150 लोग शामिल हैं। बुजुर्गों का भोजन, स्वास्थ्य, मनोरंजन राज्य सरकार की जिम्मेदारी। 

धारा-20: जिले की सरकारी जांच में सामान रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी। धारा-23 : माता-पिता ने अपनी संपत्ति बच्चों को दे दी यदि कोई बच्चा अपनी सेवा नहीं दे रहा है तो संपत्ति पुन: प्राप्त करें: माता-पिता के नाम पर ध्यान दें। सुरक्षा के लिए ध्यान दें प्रदेश सरकार की ओर से पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार सुरक्षा के लिए पॉकेट गाइड जारी किया गया है। बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं। 

हम प्रस्तावित कानून में माता-पिता और बुजुर्ग नागरिक (अत्याचार अपमान चोट) के दोषी 2024 की जरूरत है तो, हमारे देश महान संत श्रवण कुमार की भूमि है, यहां बच्चों से आपके बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल का खतरा है की है, लेकिन पीड़ा का दर्द यह है कि नैतिक परंपरा में यह आरोप लगाया गया है कि अपना सुख-चैन जिन बच्चों के लिए माता-पिता त्याग कर जीवन समाप्त कर देते हैं, वही बच्चे उन्हें दो जून की दोस्ती और दोस्ती के साथ देते हैं बुढापे में पेशी करते हैं। 

आज कल कई मामलों में बच्चे अपने माता-पिता से संपत्ति बनाने के बाद उन्हें छोड़ देते हैं। से आ रहे परिवर्तनों की वजह से आज जोड़ों को अपनी ही संपत्ति में सुरक्षित रहना और संतों की शरण में जाना पड़ रहा है। इस तरह की उद्दंड संतानों को माता-पिता के घर से बेदखल करने के लिए कोर्ट भी ऑर्डर दे रहे हैं लेकिन यह फिल्म खराब है। 

अपने माता-पिता को बाबरू करने की घटना और इस मजबूर बुजुर्ग बुजुर्गो को कानूनी तौर पर छूट के साथ तलाक के मामले में प्रताड़ित किया जा रहा है। कई बार तो उन्हें उनके ही स्वर्जित घर से बेदखल करके दर बदर की चुनौती के लिए छोड़ दिया जाता है या फिर सुशिक्षित बेटे बहू उन्हें वृद्धाश्रम पहुंचा रहे हैं। 

हमारे देश में महान संत श्रवण कुमार की भूमि है, यहां बच्चों को उनके बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल की आवश्यकता होती है, लेकिन नैतिक नैतिकता में यह दर आती है कि बच्चों के लिए अपने सुख-चैन से माता-पिता का त्याग कर देना क्योंकि जिंदगी खत्म हो चुकी है, वे बच्चे उन्हें बुढ़ापे में दो जून की दोस्ती और प्यार के लिए तरसा रहे हैं। 

कई मामलों में बच्चे अपने माता-पिता से संपत्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें छोड़ देते हैं। जो न केवल आदर्श है, बल्कि सामाजिक और नैतिक आचरण में निरंतर गिरावट का भी प्रतीक है। 

माता-पिता वृद्ध नागरिक भरण पोषण (संशोधित) अधिनियम 2019 बनाना चाहते हैं तो, अपने ही देश, समाज और घर परिवार में बेगाने होते जा रहे बुजुर्गों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने दिसंबर, 2018 में केंद्र और राज्य की एकता को निर्देश दिया था कि 2007 में बुजुर्ग नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण कानून का समर्थन किया जाए। 

वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया ने यह स्वीकार किया कि संविधान के 21 में प्रदत्त समूह के अधिकारों का व्यापक अर्थ दिया जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर आगे हल्दी रही पुत्र-पुत्रियां और बहुएं और सरदारों के अपमान के कारण घर की चारदीवारी के अंदर रहने वाले विवाद अदालतों में पहुंच गए हैं। आपके संतों के आचरण से गंभीर बुजुर्ग माता-पिता अब उन्हें अपने मकान से बेदखल की तरह कठोर कदम उठाने लगे हैं। 2007 में संयुक्त प्रगतिशील एलायंस सरकार ने माता-पिता और वृद्ध नागरिकों को जन्म दिया। 

संयुक्त प्रगतिशील एलायंस सरकार ने माता-पिता और वृद्ध नागरिकों को जन्म दिया। नागरिक भरण पोषण कानून के तहत यह पद की अपील जारी की गई है। 

यह कानून तब बनाया गया जब महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक और पंजाब सहित कई राज्यों में संतो के दर्शन से लेकर पीड़ित बुजुर्ग माता-पिता या एकाकी जीवन जीने वाले बुजुर्गों की अदालतें और न्यायाधिकारों की शरण ली। कोर्ट ने ऐसे मामलों में सभी ईसाइयों के संतों को पेश करने का आदेश दिया है, जिसके बाद ऐसे उद्दंड और गैर जिम्मेदार संतों, उनके चरित्रों और ऐसे ही अन्य आश्रमों को घर से बेदख़ल करने का आदेश दिया गया है।

मूल रूप से यदि हम संपूर्ण विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करेंगे तो हमने सुझाव दिया कि आपको क्या समझ में आया, आपको माता-पिता के साथ वरिष्ठ नागरिक (अत्याचार अपराध और अपराध चोट) 2024 की आवश्यकता है। माता-पिता और बुजुर्ग माता-पिता और बुजुर्गों के सम्मान, सुरक्षा, गरिमा की आवश्यकता है जीवन को सुरक्षित रखना, वर्तमान और सिद्धांतों का पालन करना लोगों के साथ एस्ट्रोसिटी के समतुल्य कानून बनाने वालों की आवश्यकता है। लोक सभा चुनाव 2024 के घोषित पत्र में माता-पिता, बुजुर्गों को सम्मान सुरक्षा देना और दुर्व्याहार निषेध कानून को सख्त बनाना का वादा हर पार्टी को करना चाहिए। 

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