मरीजों को नया जीवन दे रही एलवीएडी, एंड स्टेज के मामलों में भी कारगर

कानपुर नगर. हार्ट फेल के मरीजों को नया जीवन दे रही एलवीएडी, एंड स्टेज के मामलों में भी कारगर

कानपुर. जब हार्ट की मांसपेशियां सही तरीके से खून को पंप नहीं कर पाती तब हार्ट फेल की स्थिति पैदा हो जाती है. ये स्थिति धमनियों के सिकुड़ जाने या हाई ब्लड प्रेशर के कारण पैदा होती है, क्योंकि ऐसा होने पर दिल कमजोर पड़ जाता है और ठीक से ब्लड पंप नहीं हो पाता. इससे थकान, सांस की तकलीफ और सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत (नई दिल्ली) में कार्डियक साइंसेज के वाइस चेयरमैन व हेड डॉक्टर रजनीश मल्होत्रा ने बताया कि ये स्थिति धमनियों के सिकुड़ने या हाई ब्लड प्रेशर जैसे कई कारणों से उत्पन्न होती है. इन लक्षणों को कंट्रोल करना जरूरी है ताकि क्वालिटी ऑफ लाइफ को सुधारा जा सके.

क्रोनिक हार्ट फेल की स्थिति में हार्ट ट्रांसप्लांटेशन या लेफ्ट वेट्राइकुलर असिस्ट डिवाइस (LVADs) के जरिए इलाज किया जाता है. मॉडर्न साइंस और टेक्नोलॉजी की तरक्की ने दिल से जुड़ी बीमारियों के जटिल से जटिल मामलों के इलाज में भी मदद प्रदान की है.  हार्ट फेल के एडवांस स्टेज केस में जब दवाओं या लाइफस्टाइल में बदलाव काम नहीं करते, यहां तक कि जब सर्जरी से भी सुधार संभव नहीं होता तब एलवीएडी (लेफ्ट वेट्राइकुलर असिस्ट डिवाइस) जैसे ट्रीटमेंट मेथड सुरक्षित ऑप्शन के रूप में काम करता है.

लगभग 90% हार्ट मरीजों के लेफ्ट वेंट्राइकुलर (एलवी) में समस्या होती है क्योंकि मांसपेशियों का 70-80% हिस्सा लेफ्ट वेंट्राइकल में होता है और ये हार्ट का सबसे बड़ा चैंबर होता है. एलवीए डिवाइस लगाने से कमजोर लेफ्ट वेंट्राइकल ब्लड को अच्छे से पंप करने में मदद करती है. ये डिवाइस बैटरी से चलती है जो हार्ट फेल की एंड स्टेज में ओपन हार्ट सर्जरी के जरिए इंम्प्लांट की जाती है ताकि ब्लड का फ्लो चलता रहे. इसके अलावा जो मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए आदर्श नहीं होते या किसी अन्य कारण से ऐसा नहीं करा पाते उनके लिए भी ये डिवाइस काफी लाभदायक होती है. हालांकि, अगर किसी मरीज को क्लॉटिंग समस्या, किडनी फेल, लिवर डिजीज, लंग डिजीज या अन्य कोई इंफेक्शन हो तो कंडीशन का मूल्यांकन करने के बाद इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है.

क्या है एलएवीडी?

एडवांस या एंड स्टेज वाले मरीजों के लिए एलवीएडी 'डेस्टिनेशन थेरेपी' मानी जाती है. खासकर उन मामलों में जहां हार्ट ट्रांसप्लांट एक सही विकल्प नहीं होता. एलवीएडी एक डिवाइस है जिसे प्राइमरी हार्ट चैंबर में इम्प्लांट किया जाता है (लेफ्ट वेंट्राइकल) और एक ट्यूब के जरिए मेजर ब्लड वेसल्स से जोड़ा जाता है ताकि बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन हो सके. लेफ्ट वेंट्राइकल से एलवीएडी पंप में ब्लड आता है और ट्यूब के जरिए एओर्टा तक जाता है, फिर पूरी बॉडी में ब्लड का डिस्ट्रीब्यूट होता है. एलएवीडी पूरी बॉडी में ब्लड को पंप करने में हार्ट की मदद करती है जिससे समस्याएं कम होती हैं और क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार होता है.

हार्ट फेल की स्थिति में एलवीएडी कैसे कारगर विकल्प है?

क्वालिटी ऑफ लाइफ में होता है सुधार: एलएवीडी का इस्तेमाल होने से हार्ट फेल के लक्षणों जैसे थकावट और सांस में दिक्कत से राहत मिलती है और क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार आता है. इससे व्यक्ति आसानी से फिजिकल एक्टिविटी में शामिल हो पाता है.

अन्य अंगों के फंक्शन में सुधार: ब्लड फ्लो को सुधारकर ये डिवाइस किडनी, लिवर, ब्रेन और अन्य अंगों की फंक्शनिंग में सुधार करती है.

सर्वाइवल में सुधार: जो मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं कर पाते या डोनर के इंतजार में रहते हैं, उनके जीवन को आगे बढ़ाने में एलएवीडी काफी कारगर साबित होती है.

ट्रांसप्लांटेशन में ब्रिज: जो मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट या डोनर का इंतजार कर रहे होते हैं, उनकी स्थिति को स्थिर करने में एलएवीडी एक शानदार विकल्प होता है.

डेस्टिनेशन थेरेपी: एलएवीडी को डेस्टिनेशन थेरेपी माना जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हार्ट फेल के एंड स्टेज मरीज जो हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए फिट नहीं होते, उनके लिए भी ये डिवाइस बचाव का जरिया बनती है.

सावधानी बरतकर

डॉक्टर की बात का पालन: एलवीएडी थेरेपी के बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि जो सलाह डॉक्टरों की तरफ से दी जाए उस पर अच्छे से अमल किया जाए.

मॉनिटरिंग: एलवीएडी थेरेपी से गुजरने वाले मरीज को लगातार अपने ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और वजन की निगरानी करनी चाहिए. क्योंकि कोई भी असामान्य लक्षण इलाज पर गलत असर डाल सकता है.

डिवाइस मैनेजमेंट: डिवाइस की बैटरी से जुड़े गाइडलाइंस को फॉलो करें. ये सुनिश्चित करें कि एलवीएडी का पावर सोर्स और कंट्रोलर चार्ज हो और काम कर रहा हो.

लाइफस्टाइल में बदलाव: स्वस्थ डाइट लें, रेगुलर एक्सरसाइज करें, तनाव को दूर करें और अपनी ओवरऑल हेल्थ का ध्यान रखें क्योंकि इससे इलाज का सक्सेस रेट बढ़ जाता है.

इलाज के बाद सावधानी: इलाज के बाद मरीज को लगातार अपना वजन मॉनिटर करना चाहिए, पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए, तनाव को कम करें, पर्याप्त नींद लें, ज्यादा शारीरिक श्रम से बचें, लगातार डॉक्टर को दिखाएं और किसी भी लक्षण के दिखने पर सतर्क रहें.

एलवीएडी की अपनी चुनौतियों भी हैं. लेकिन फिर भी हार्ट फेल से जुड़े मामलों में इस डिवाइस ने लोगों के जीवन में काफी सुधार किया है. चाहे हार्ट ट्रांसप्लांट में ब्रिज की भूमिका की बात हो या लॉन्ग टर्म समाधान की, हार्ट फेल की स्थिति में एलवीएडी एक कारगर विकल्प है.

टिप्पणियाँ