पावर कार्पोरेशन बनी बड़का बाबूओ की चारागाह

वाह रे उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन वाह!

  • व्यक्ति चोरी तब करता है..
  • जब वो भूखा होता है उसके पास अपने परिवार को चलाने के लिए पर्याप्त धन ना हो..
  • और उसकी कही कोई सुनवाई ना हो तब वह प्रदर्शन करता है..
  • अपनी जायज मागो को मनवाने के लिए धरना देता है.
  • जब फिर भी नही सुनी जाती तब वह हडताल करता है विरोध प्रदर्शन करता है..

अविजित आनन्द

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के सबसे बडे बडकऊ ने अपनी अनुभवहीनता को सबित कर दी है, उसी विषय को ले कर आज मैं पाठकों के बीच में फिर से हूँ जैसा कि आप सभी को मालूम है उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन की पाँच वितरण कम्पनिया व एक पारेषण निगम व उत्पादन है.

यह सभी कम्पनिया कम्पनीज एक्ट के अन्तर्गत आती है और इनको चलने के लिए जो सविधान बना है उसे मेमोरेंडम आफ आर्टिकल कहते है जिसको लागू कराने के लिए पिछले साल एक बडी हडताल हुई थी, जिसके कारण अभियन्तो से लेकर सविदा कर्मियो तक को इन बडका बाबूओ की अव्यवहारिक आचरणो को झेलने की सजा स्वरूप निलम्बन और बर्खास्तगी को झेलना पडा है, जिसकी वजह से सविदा कमर्मियो ने शक्ति भवन का घेराव किया था, परन्तु इन बड़का बाबू ने दिमागीय शतरंज की चाल चलते हुए इन संविदा कर्मियों के साथ वार्ता की आश्वासन दिया, परन्तु लिखित रूप से ना तो मिनट ऑफ मीटिंग जारी किये और ना ही अब यह उनकी समस्याओं को सुन रहे है, वैसे भी इन बड़का बाबुओ के समझौती की हकीकत तो दिसम्बर 2022 मे सबके सामने आ चुकी है कि ऊर्जा मंत्री के सामने हुए सयुंक्त संघर्ष समिती के साथ हुए समझौते का अनुपालन ना होने की वजह से ही हड़ताल हुई, जिसका ठीकरा अभियंताओं के ऊपर फोड़ दिया गया, परन्तु संविदा कर्मी जो की इस हड़ताल में नही शामिल थे, उनको क्यो बर्खास्त किया गया और जब कि वो संविदा कर्मियो को काम से हटाने का अधिकार उन कंपनियों को होता है, जिन्होने उनको नियुक्त किया हो परन्तु बड़का बाबू लोग तो कानून से ऊपर रहते है इनको किसी की परवाह कहाँ है तो फिर चाहे सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का आदेश ही क्यो ना हो यह उसे यह नही मानते इनके संरक्षण मे शक्तिभवन मे ही भ्रष्टाचार खूब फल फूल रहा है। 

जब कम्पनी एक्ट लागू है तो फिर शक्तिभवन मे सचिवालय कैसे चल रहा है वहाँ पर किस तरह से सचिवो आदि सचिवालय तर्ज पर नियुक्ति हो रही है कैसे उनको वेतन व भत्ते दिये जा रहे है, क्यो नही उनका भी स्थानांतरण शक्तिभवन से बाहर फिल्ड मे किया जा रहा है। 

इन सब का एक ही कारण है कि बड़का बाबो के काले कारनामे छिपाने का इनको इनाम वेतन और भत्ते में मनचाही वृद्धि कर के दिया जाता है। फिलहाल इस पर कोई बोलता इस लिए नही है कि सबको सेवानिवृत्त के पश्चात पेन्शन जो लेनी होती है और यही वह कर्मचारी है जो कि सालो से यहाँ जमे हुए है नौकरी के पहले दिन से सेवानिवृत्त होने की तिथि तक यह शक्तिभवन मे रहते है। 

समय के उपभोक्ता समाचार पत्र के पास साक्ष्य है कि यह भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते है जांच की फाइल गायब हो जाती है पत्रकारो का सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत मांगी गई सूचना प्राप्त ही नही होने देते, अगर निष्पक्ष जाँच हो जाए तो बड़का बाबुओ के संरक्षण प्राप्त इस सचिवालय मुख्यालय मे एक बडा घोटाला सामने आएगा। लेकिन बड़का बाबू आखो मे तेल डाल कर व कानो मे डाट लगा कर बैठे है। 

कार्यवाही होती है निरीह संविदा कर्मियों पर जो कि मात्र कुछ हजार के वेतन के लिए अपनी जाने जोखिम मे डालते है और यह भ्रष्टाचारीयो जो कि लाखो रूपये वेतन व भत्तो के नाम पर लेते है सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए नियम विरुद्ध सचिवालय  मुख्यालय बना कर बैठे है। 

व्यक्ति चोरी तब करता है जब वो भूखा होता है उसके पास अपने परिवार को चलाने के लिए पर्याप्त धन ना हो और उसकी कही कोई सुनवाई ना हो तब वह प्रदर्शन करता है अपनी जायज मागो को मनवाने के लिए धरना देता है जब फिर भी नही सुनी जाती तब वह हडताल करता है विरोध प्रदर्शन करता है परन्तु इन संविदा कर्मियों/निविदा कर्मियो की जायज मांगों को भी बड़का बाबूओ ने दिमागी शतरंज खेल कर उलझा दिया है जब फिल्ड मे बाबूओ की कमी है और शक्तिभवन मुख्यालय मे बाबूओ की भरमार है लेकिन बडकऊ इस पर घ्यान नही देगे क्यों कि यह उनके चहेते कर्मचारियों का मामला है और दूसरी तरफ वह संविदा है जो कि आये दिन दुर्धटनाओ मे अपने अंगो व जीवन की बली देता है इस लिए तो उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन को बड़का बाबूओ की चारागाह कह रहा हूँ।

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