पूरे बजट में कर्मचारियों के हित के लिए कोई घोषणा नहीं -शशि कुमार मिश्र

 

बजट पर शशि कुमार मिश्र प्रदेश अध्यक्ष -उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ एवं महासचिव -कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश की प्रतिक्रिया

भारत सरकार का अंतरिम बजट कर्मचारी हित के मामले में निराशाजनक है। पूरे बजट में कर्मचारियों के हित के लिए कोई घोषणा नहीं है। पुरानी पेंशन की घोषणा नहीं की गई, संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है, स्थाई रोजगार सृजन ना होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है। 

सरकार आमजन के लिए अनेक योजनाएं लेकर आ रही है लेकिन सभी के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार भी लागू किया जाना जनहित में है ।

कर्मचारियों को हमेशा ही सौतेलेपन का शिकार होना पड़ता!

ये पूरा देश मानता है कि आपदा काल में देश का सरकारी कर्मी और फार्मा उद्योग ने बड़ी जनहानि को रोका था, देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्णाक्षरों में लिखा गया, लेकिन 27 पेज के 97 पैरा वाले बजट भाषण में माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा एक बार भी सरकारी कर्मियों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया। 

कर्मचारी सरकार की नीतियों का पालन करता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन कर्मचारियों को हमेशा ही सौतेलेपन का शिकार होना पड़ता है अधिकांश सरकारी कर्मी इस देश के मध्यम वर्ग का नागरिक है जो देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। 

सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा इनकम टैक्स देने वाला होता है और सबसे ईमानदारी के साथ आयकर का भुगतान करता है इसलिए हमेशा यह आशा रहती है कि सरकार अपने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए भी कुछ ना कुछ राहत देगी और उनके विकास के लिए कुछ ना कुछ योजना लेकर आएगी! 

आज के इस बजट में देश के प्रदेशों में तीसरी सरकार के रूप में स्थापित नागर निकाय, स्थानीय निकायों के कर्मचारियों व अन्य सेवाओं के कर्मचारियों के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं कहा गया, वहीं यहां की सारी सेवाओं आज प्राईवेट सेक्टर में समाहित हो रही,जो सेवाएं स्थायी रूप से चलती है, उन पर भी प्राईवेट सेक्टर हावी है, जैसे सफाई व्यवस्था, पानी, सीवर, विजली, कूड़ा निस्तारण, कर निर्धारण आदि। 

यह बजट कर्मचारी हितों के प्रतिकूल नहीं

वहीं आज प्रदेश के निकाय कर्मियों की सेवा नियमावली  आज आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी नहीं बन सकी, जिससे नागर निकाय के कर्मचारियों को उनकी सेवा सम्बधी लाभ, पदोन्नति के अवसर समय से नहीं प्राप्त हो रहे,और वह जिन पदों पर सेवा में आते हैं उसी पर सेवा निवृत्त हो रहे,वर्ष 2005 से कार्यरत कर्मचारियों को पुरानी पेंशन भी नहीं दी जा रही,आज निकायों में आम जनमानस की सेवाओं को बेहतर ढंग से देने हेतु बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

बजट में स्थाई रोजगार की घोषणा नहीं है, कर्मचारी कल्याण की घोषणा नहीं हुई है अतः यह बजट कर्मचारी हितों के प्रतिकूल नहीं है।

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