पूर्व विकसित देश बनना समय की मांग

  • भारत का विज़न 2047 के पूर्व विकसित देश बनना समय की मांग..
  • भारत में 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने का आगाज़..
  • 21वीं सदी की दुनियां की बड़ी समस्याओं के समाधान का पर्यायवाची बनने के लिए भारत ने कदम बढ़ा दिए हैं..

किशन भावनानी

वैश्विक स्तरपर जिस तेज़ी के साथ भारत विज्ञान तकनीकी प्रौद्योगिकी सहित सभी क्षेत्रों में सफलता पूर्वक झंडे गाड़ते हुए तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है इससे दुनियां के विकसित देशों में हैरानी है, क्योंकि भारत ऐसा ही कुछ नए-नए आयाम को अंजाम देता हुआ आगे बढ़कर आगे की सोचता है, जिसका सटीक उदाहरण विज़न 2047 और पिछले दो दिन पूर्व अंतरिक्ष के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक प्रक्षेपण करता हुआ विक्रम है। 

अब इससे आगे दो कदम बढ़कर हम सूर्य की ओर भी बढ़ रहे हैं। ब्रिक्स सम्मेलन में जिस तरह भारत का रुतबा हमने देखें और सोने पर सुहागा चंद्रयान-3 नें सफलता पूर्वक अंतरिक्ष लैंडिंग की तो वहां धूम मचा दी हमारे पीएम महोदय ने भी अति उत्सुकता के साथ दिनांक 26 अगस्त 2023 को ग्रीस से सीधे इसरो पहुंचकर वैज्ञानिकों की हौसला आफजाई की तो इसरो वैज्ञानिकों में एक जोश उमंग की नई लहर छा गई जिसे पूरे विश्व ने टीवी चैनलों पर देखकर गौरविंत महसूस किया, यह होता है सफलता और भारत की प्रौद्योगिकी विज्ञान की सुगंध पूरे विश्व में फैलाने वालों का कदर, जो पीएम की  बॉडी लैंग्वेज से ही दिख रहा था। उन्होंने वैज्ञानिकों को गले लगाकर और ऐतिहासिक सफ़लता दिवस की घोषणा की कि 23 अगस्त, चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस विज्ञान, तकनीक और नवाचार की स्पिरिट को सेलिब्रेट करेगा और हमें हमेशा-हमेशा के लिए प्रेरित करता रहेगा।वही और घोषणा की कि चंद्रयान-3 का मून लैंडर जिस स्थान पर उतरा था, उसे अब शिव शक्ति  के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा, शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। 

चंद्रमा का यह शिव शक्ति प्वाइंट हिमालय के कन्याकुमारी से जुड़े होने का बोध कराता है। और बताया कि 21वीं सदी के इस दौर में, जो देश विज्ञान और तकनीक में नेतृत्व करेगा, वही देश आगे बढ़ेगा। चूंकि भारत विकसित देश बनने की गति अब आँधी बनकर कार्य में जुट गई है, इसलिए आज हम पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, 21 में सदी की दुनियां की बड़ी समस्याओं के समाधान का पर्यायवाची बनने के लिए भारत ने कदम बढ़ा दिए हैं। 

हम माननीय पीएम द्वारा 26 अगस्त 2023 को ग्रीस से सीधे इसरो पहुंचकर वैज्ञानिकों को ऐतिहासिक प्रोत्साहन और संबोधन की करें तो उन्होंने कहा, यह कोईसाधारण सफलता नहीं है, यह उपलब्धि अनंत अंतरिक्ष में भारत की वैज्ञानिक शक्ति की शुरुआत करती है। उन्होंने गौर्वान्वित होते हुए कहा,भारत चंद्रमा पर है, हमारा राष्ट्रीय गौरव चंद्रमा पर है। इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए, कहा, यह आज का भारत है जो निर्भीक और जुझारु है। 

यह एक ऐसा भारत है जो नया सोचता है और एक नए तरीके से सोचता है, जो डार्क जोन में जाकर भी दुनिया में रोशनी की किरण फेला देता है। ये भारत 21वीं सदी में दुनिया की बड़ी समस्याओं का समाधान देगा। लैंडिंग का वह क्षण राष्ट्र की चेतना में अमर हो गया है।लैंडिंग का क्षण इस सदी के सबसे प्रेरणादायक क्षणों में से एक है। हर भारतीय ने इसे अपनी जीत के रूप में लिया है। 

उन्होंने इस बड़ी सफलता का श्रेय वैज्ञानिकों को दिया। मून लैंडर की तस्वीरों के बारे में बताते हुए कहा, हमारे मून लैंडर ने अंगद की तरह चंद्रमा पर मजबूती से अपना पैर जमा लिया है, एक तरफ विक्रम का विश्वास है तो दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है। 

उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार चंद्रमा के कभी नहीं देखे गए हिस्सों की तस्वीरें पहली बार मानव ने अपनी आंखों से देखीं हैं और यह भारत द्वारा किया गया है। पूरी दुनिया भारत की वैज्ञानिक भावना, तकनीक और हमारे वैज्ञानिकों का लोहा मान रही है। 

विज्ञान की खोज के कल्याणकारी मूल पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि इन पवित्र संकल्पों को शक्ति के आशीर्वाद की आवश्यकता है और शक्ति हमारी नारी शक्ति है।चंद्रयान-3 चंद्र मिशन की सफलता में हमारी महिला वैज्ञानिकों ने, देश की नारी शक्ति ने बड़ी भूमिका निभाई है। 

चंद्रमा का ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट, सदियों तक भारत के इस वैज्ञानिक और दार्शनिक चिंतन का साक्षी बनेगा। जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिन्ह छोड़े थे, उस स्थान को अब तिरंगा कहा जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये तिरंगा प्वाइंट, भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा और हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती। 

उन्होंने कहा, अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो सफलता मिलकर के ही रहती है। उन्होंने मून लैंडर की तस्वीरों के बारे में बताते हुए कहा,हमारे मून लैंडर ने अंगद की तरह चंद्रमा पर मजबूती से अपना पैर जमा लिया है, एक तरफ विक्रम का विश्वास है तो दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार चंद्रमा के कभी नहीं देखे गए हिस्सों की तस्वीरें पहली बार मानव ने अपनी आंखों से देखीं हैं और यह भारत द्वारा किया गया है। आगे कहा,पूरी दुनिया भारत की वैज्ञानिक भावना, तकनीक और हमारे वैज्ञानिकों का लोहा मान रही है। चंद्रयान-3 की सफलता केवल भारत की नहीं है, बल्कि पूरी मानवता की है। उन्होंने टिप्पणी की और रेखांकित किया कि इस मिशन की खोज से सभी देशों के मून मिशंस के लिए नए रास्ते खुलेंगे।

उन्होंने कहा कि यह मिशन न केवल चंद्रमा के रहस्यों को उजागर करेगा, बल्कि धरती की चुनौतियों के समाधान में भी मदद करेगा। उन्होंने ने एक बार फिर चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े हर वैज्ञानिक, तकनीशियन, इंजीनियर और सभी सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने देश की युवा पीढ़ी को भी एक टास्क भी दिया। 

उन्होंने कहा,मैं चाहता हूं कि नई पीढ़ी भारत के प्राचीन ग्रंथों में खगोलीय सूत्रों को वैज्ञानिक रूप से साबित करने के लिए और उनका नए सिरे से अध्ययन करने के लिए आगे आए। यह हमारी विरासत के लिए भी महत्वपूर्ण है और विज्ञान के लिए भी महत्वपूर्ण है। एक तरह से आज स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए यह दोहरी जिम्मेदारी है। 

भारत के पास विज्ञान के ज्ञान का जो खजाना है, वो गुलामी के लंबे कालखंड में दब गया है, छिप गया है। आजादी के इस अमृत काल में हमें इस खजाने को भी खंगालना है, उस पर रिसर्च भी करनी है और दुनिया को इसके बारे में बताना भी है।उन्होंने रेखांकित किया कि भावी पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन एक आवश्यकता है और वे ही आज के महत्वपूर्ण मिशनों को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक उनके आदर्श हैं और उनके शोध तथा वर्षों की कड़ी मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि यदि आप ठान लें तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। आगे कहा कि देश के लोगों को वैज्ञानिकों पर भरोसा है और जब लोगों का आशीर्वाद मिलेगा तो देश के प्रति दिखाए गए समर्पण से भारत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन जाएगा। नवाचार की हमारी यही भावना 2047 में विकसित भारत के सपने को साकार करेगी।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का विज़न 2047 के पूर्व विकसित देश बनना समय की मांग।भारत में 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने का आगाज़।21वीं सदी की दुनियां की बड़ी समस्याओं के समाधान का पर्यायवाची बनने के लिए भारत ने कदम बढ़ा दिए हैं।

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