हर औरत वेश्या नही होती लेकिन हरेक वेश्या औरत होती है..-मंटो!
वेश्याओं के दर्द को नाट्यप्रस्तुति के माध्यम से सीधा दिल तक पहुंचाने में कामयाब रही -हतक..
हर औरत वेश्या नही होती..
..लेकिन हरेक वेश्या औरत होती है..?
मैं तो ढूंढ़ती हु की कोई दूर घोड़े पर सवार होकर मुझे ढूंढता हुआ आए और तेज़ हवा की झोंको की तरह मुझे कमर से उठाकर अपने सामने बैठा ले...-सौगंधी (सीमा मोदी)
नोएडा नगर की प्रसिद्ध नाट्य संगीत संस्था क्रिटिकल सोसाइटी ने स्थानीय नाटक अकादमी के संत गाडगे प्रेक्षागृह में अगुआ लेखक सआदत हसन मंटो की कहानी "हतक" का बेहद सशक्त मंच बनाया।
हतक का अर्थ होता है बेइज्जती या आत्मसम्मान को पहुंची ठेस। आत्म सम्मान, छोटे बड़े, हर इंसान का होता है। आत्मसम्मान की ठेस हर एक को आहत करती है, दुख पहुंचाती है, विचलित करती है।
हतक कहानी है एक वेश्या, सौगंधी की जो दिन रात अपना एक घर बसाने का सपना देखती है। जो भी उसके करीब आता है वो उससे मुहब्बत करने लगती है। ये जानते हुए भी कि वो आदमी उससे झूठ बोल रहा है, उससे प्यार का नाटक कर रहा है वो उसके साथ अपनी बाकी की ज़िन्दगी गुजारने की कल्पना करने लगती है।
वो समाज से पूछती है कि, " जिसके नसीब में सोने चांदी के सच्चे गहने न हों तो वो मुलम्मा चढ़े नकली गहनों पर राज़ी नां हो तो क्या करे?
वैश्याओं के जीवन पर आधारित इस सशक्त कहानी का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन, वरिष्ठ रंगकर्मी के के अग्रवाल ने किया है। गंदी बदबूदार बस्तियों के घुटन भरे वातावरण में अभाव की ज़िन्दगी जी रहे इन वैश्यालयों के हर पात्र के अंदर बसे एक खूबसूरत इंसान की भावनाओं को के के ने बखूबी उभारा है।
सौगंधी की मुख्य भूमिका में सीमा मोदी, एक वेश्या के दर्द को दर्शकों तक पहुंचाने में पूर्णतः सफ़ल रही है।
अन्य पात्रों की भूमिका में नवनीत मिश्रा (रामलाल दलाल), अनन्या सिंह(जमना), अंकुर सक्सेना (पूना वाला हवलदार), नितिन जायसवाल (सफ़ाई दारोगा), विनायक (बाहर वाला), मोटर वाला सेठ (के के अग्रवाल) ने अपने अत्यन्त भावपूर्ण अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। गोपाल सिन्हा की प्रकाश व्यवस्था, सौरभ सक्सेना का संगीत नाट्य प्रस्तुति को प्रभावपूर्ण बनाने में अपना विशेष योगदान देते हैं।
आशुतोष विश्वकर्मा की मंच सज्जा एक लालबत्ती इलाके की वेश्या की खोली के घुटन भरे माहोल को दर्शाने में सफ़ल रही। कॉस्ट्यूम बिमला बर्णवाल, सह प्रस्तुति नियंत्रक सौम्या मोदी, प्रस्तुति नियंत्रक शुभम आदित्य, मंच संचालन सौरभ सक्सेना ने किया।
"हतक" वेश्याओं के जीवन पर लिखी मंटो की इस अत्यंत मार्मिक कहानी को मंच पर लाने का प्रयास अत्यंत सफ़ल रहा।
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