मातृ दिवस 14 मई 2023 पर विशेष

एक मां तेरा बाजार से अलग भगवान की सूरत क्या होगी।

  • एक मां तेरा बाजार से अलग भगवान की सूरत क्या होगी..
  • ग्लोबली मैंने नहीं देखा..
  • आपसे बड़ी दुनिया की दौलत क्या होगी..

मां की आंचल में खुशी, दूसरी से जुड़ी ममता, इसी दुनिया में उसके कदम पीछे स्वर्ग में हैं

समृद्ध जीवन के लिए इसे रेखा बनाना चाहिए..

भारतीय सभ्यता आदि-अनादि काल से बड़े दृष्टांत, माता-पिता के सम्मान का प्रतीक रही है हमने धार्मिक ग्रंथ, पुराणों के इतिहास में भगवान श्री राम, श्रावण जैसे कई जीवंत प्रमाण पाए हैं कि पिता हमारे लिए ईश्वर अल्ह के संबंध हैं ये स्टैम्स में स्वर्ग है। चूंकि इस वर्ष मातृ दिवस 14 मई 2023 को मनाया जा रहा है इसलिए हम आज मां की महिमा का विवरण विस्तार से 1966 में   फिल्म ग्रैंड मदर का मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा एक गीत मन्ना डे, विशिष्ट कपूर द्वारा मां की महिमा पर गाए गए गीत हैं , ऐ मां तेरी सड़कों से अलग भगवान के दरवाजे, जी नहीं देखा हमने, आपको बड़ी दुनिया का दौलत क्या होगा। 

इसे हमारे आधुनिक युवा साथियों को बड़े पैमाने पर शिद्दत के साथ बार-बार सुनिश्चित किया जाना चाहिए। 

मातृ दिवस मनाने का भी एक इतिहास रहा है लेकिन वर्तमान में उससे अधिक जरूरी आज हम मां की महिमा का विस्तार से बखान करेंगे। हमेशा प्रति वर्ष मातृ दिवस मई के दूसरे सप्ताह के पहले रविवार को मनाया जाता है जो इस वर्ष 14 मई 2023 को आया है। 

परमेश्वर हर जगह मौजूद नहीं रह सकता, इसलिए उसने मां को बनाया है। माँ का स्थान ईश्वर अल्लाह से ऊपर है। माँ की सेवा ही स्वर्ग है। माँ समझ में आ जाए तो फिर कुछ भी शेष न रहने के लिए समझने के लिए ये शब्द में सब कुछ समाहित है जिसकी रेखा तैयार करना सहज ही असंभव है।  

दुनिया में सबसे खूबसूरत और रिश्ता होता है तो मां और बच्चे का रिश्ता होता है। मां और बच्चे का रिश्ता। मां बच्चे को बिना किसी शर्त और स्वार्थ के प्यार करती है। वह नौ महीने तक अपने कोख में बिना किसी दुश्मन के दुश्मन हैं। इसके बाद जब हम इस दुनिया में आते हैं तो वह हमें बहुत सारा प्यार और दुलार वात्सल्य देता है। वह बच्चों का पालन-पोषण करके उनका पालन-पोषण करता है, जिससे वह इस दुनिया में जा सकता है। 

मैं अपने बच्चों का पालन-धारण करता हूं और अपने बच्चों का ध्यान रखता हूं। मां के बलिदान और बलिदान को याद करने और उन्हें सम्मान देने के लिए मातृ दिवस मनाया जाता है। इस दिन हर कोई अपनी मां को सम्मान देता है और अपने प्यार को क्रिएट करने के लिए उन्हें स्पेशल गिफ्ट भी देता है। 

इस साल मातृ दिवस मनाते हैं तो, चूंकि हमारे बहुत से युवा साथी पाश्चात्य संस्कृति के साए में वशीभूति अपनी मां को छोटा सा सामान देते हैं, लेकिन मेरा मानना ​​है कि इस साल से हमें अपनी मां का प्रेम वात्सल्य सारा दिन उनका स्टैज में उनके द्वारा प्राप्त किए गए सभी छोटे बड़े कार्यों को स्वयं करके उनकी आंचल की छांव, उनके लिंक से ब्लिटती ममता का पूरा विचार उठाने का प्रण लेना है और यह क्रम हमें साप्ताहिक, मासिक सुविधा के रूप में भी सुनिश्चित करता है जारी रखना है। नकी साल में सिर्फ एक ही बार! माता-पिता में ही हमारे ईश्वर अल्ह समाए हुए हैं। ईश्वर अल्ह की तस्वीरें देखते हैं, प्रत्यक्ष रूप से नहीं, इन सभी चीजों को ही पुराना हिंदी फीचर फिल्म दादी माँ के गाने हम लोगों द्वारा समना गया है। 

मां को कहते हैं तो, मां के अलग-अलग नाम होते हैं, जैसे मां, मां, मां, माता, लेकिन हमारे जीवन में हर मां की एक ही भूमिका है। वह हर परिवार का बुनियाद है। वह देखता है कि सभी शर्त प्यार करते हैं और सभी को बिना शर्त प्यार करते हैं। माँ की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है, किसी के लिए वह देख भाल करने वाला हो सकता है, किसी के लिए वह सबसे अच्छा दोस्त हो सकता है और किसी के लिए वह सबसे अच्छा रसोइया हो सकता है। 

हम इस दुनिया में हर मां को धन्यवाद और सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाते हैं। एक मां हम सब के लिए इतनी बड़ी प्रेरणा होती है कि मां के प्रयास की मेहनत करने के लिए केवल एक दिन पर्याप्त नहीं होता है। इसलिए हमें इस दिन को रोज बनाने का संकल्प लेने की जरूरत है।

मातृ दिवस का महत्व रखते हैं, वैसे तो हमारे जीवन में सभी कुछ मांओं को दिया जाता है, और हम उनका कर्ज कभी नहीं चुका सकते, लेकिन फिर एक साल के लिए एक दिन की विरासत का महत्व दिया जाता है, जिसे हम मातृ दिवस के रूप में मनाते हैं। 

एक मां की आंचल अपनी सेहत के लिए कभी छोटा नहीं रहता।मां का प्रेम अपने सन्तान के लिए इतना गहरा और छायादार है कि मां अपने बच्चे की खुशी के लिए पूरी दुनिया से लड़ती है। एक मां का हमारा जीवन बहुत मायने रखता है, मां के बिना ये दुनिया अधूरी है। 

यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह माता-पिता के अस्तित्व का जश्न मनाता है और वे अपने बच्चों के लिए जो कुछ भी करते हैं उसका ध्यान रखते हैं। यह माताओं के साथ ही मातृ बंधन और समाज में माताओं के प्रभाव का सम्मान करता है। इस दिन मदर्स को विशेष और प्यार का एहसास होने के लिए है। इस खास दिन को दादा-दादी के महत्व को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। एक मां की आंचल अपनी सूचि के लिए है।

मातृ दिवस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सभी माताओं के प्रति सम्मान, कीयर और प्यार करने वालों को मनाने का एक अवसर है। इस दिन हम हमारी जिंदगी में एक मां की भूमिका को सेलिब्रेट करने के लिए मना रहे हैं। यह सभी अवसरों को आपके आसपास के वर्ष के लिए कुछ खास करने का मौका देता है। लेकिन इस बात का अत्यधिक ध्यान रखें कि आपकी मां बहुत उत्साहित होने के लिए केवल एक दिन काफी नहीं हो सकती हैं। 

मां के लिए हर दिन खास बनाएं और उन्हें खास होने का एहसास दें। पूरे विश्व में माता-पिता का उत्सव मनाया जा रहा है और माता-पिता का सम्मान किया जा रहा है। इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय मातृभूमि के विचार को स्वीकार करना है

हम भारतीय संस्कृति और श्लोकों में मां की महिमा का बखान करने की करें तो भारतीय संस्कृति में विशेष रूप से हिंदू धर्म में हर दिन मातृ पूजा की कथा है। वैदिक ग्रंथ एवं वेद-पुराणों में मदर्स के विषय में विस्तार से बताया गया है। साथ ही सभी भारतीय अपने देश को भारत मां देश ही संदेश देते हैं। 

किसी भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान में प्रमुख विश्व के साथ माताओं की भी पूजा की जाती है।(1) त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,

त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।

इस वैदिक श्लोक में कहा गया है कि आप ही माता हो, आप पिता भी हो, आप बंधु और मित्र भी हो। आप हमारी विद्या हप और आप द्रव्य हो। आप ही सब कुछ हो और मेरे अराध्य हो।

(2) जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।

वाल्मीकि रामायण के कुछ छंदों में यह श्लोक है, जो एक श्लोक का आधा भाग है। इसमें बताया गया है कि माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर होता है। उनके चरणों में वैकुंठ धाम है।

(3) नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः। नास्ति मातृसमं ट्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।। -जीवन में माताओं की विशेष तो इस श्लोक में कहा गया है कि माता के समान कोई छाया नहीं है और उनके समान कोई सहरना भी नहीं है। मां का हितैषी कोई रक्षक नहीं और कोई प्रिय वस्तु भी उनके बराबर नहीं है।

(4) अथ शिक्षा प्रवक्ष्यामःमातृमान पितृमानाचार्यवान पुरुषो वेदः।-इस श्लोक में बताया गया है कि तीन उत्तम शिक्षक इस संसार में नहीं है मां प्रथम, फिर पिता और तीसरा अंश। कुछ सानिध्य के बिना मनुष्य कभी ज्ञानवान नहीं हो सकता।

कोई गलत सही लिखा है।

कहते हैं तेरी शाण मे जो कोई उंचे बोल नहीं

लॉर्ड के पास भी तेरे प्यार का मोल नहीं

हम तो यही जाने आप बड़े, हो

हम तो यही आपको जाने

संसार की दौलत क्या होगी

ऐ माँ, ऐ माँ तेरी मौज से अलग

क्या होगा, क्या होगा

मैंने कभी नहीं देखा 

इसलिए यदि हम संपूर्ण विवरण का विश्लेषण कर उसका विश्लेषण करते हैं तो हम चाहेंगे कि मातृ दिवस 14 मई 2023 विशेष दिवस है। 

एक मां तेरा बाजार से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, ग्लोबल ने हमें नहीं देखा, आपसे बड़ी दुनिया की दौलत क्या होगी!मां के आंचल में खुशी, लिंक्स में ममता, उसी दुनिया में उसके कदम स्वर्ग में हैं। समृद्ध जीवन के लिए इसे स्पष्ट करना आवश्यक है। 

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