किताबों के क़रीब

आदित्य आज़मी

आधुनिकता की होड़ मे,

इस भाग और दौड़ मे,

थोड़ा समय चुराना होगा,

किताबों के क़रीब आना होगा!

इंटरनेट के ज़माने से,

मूवी   और  तराने से,

थोड़ा खुद को बचाना होगा,

किताबों के क़रीब आना होगा!

रोजी रोटी के चक्कर से,

बिषमता  के  टक्कर से,

थोड़ा सा कतराना होगा,

किताबों के क़रीब आना होगा!

जीवन  के  बहाव से,

उतार  और चढ़ाव से,

थोड़ा सा कट जाना होगा,

किताबों के क़रीब आना होगा!

शुरू करें  हम  आज  से,

आलमारी और गराज़ से,

किताब को उठाना होगा,

किताबों के क़रीब आना होगा!

पन्ना नीलम पुखराज मिलेंगे,

हीरे मोती से अल्फ़ाज़ मिलेंगे,

किताबों मे याकूत ख़ज़ाना होगा,

किताबों के क़रीब आना होगा!

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