अखंड हो!समृद्ध हो! गणतंत्र हमारा प्रबुद्ध हो!
डॉ कान्ति लाल यादव
भारत का यह अमर गणतंत्र।
कितना सुंदर है यह प्रजातंत्र!
भारत के संविधान को जानो।
शपथ संविधान की लेकर मानो।
अधिकारों और कर्तव्यों को पहचानो ।
'हम भारत के लोग' राष्ट्र धर्म अपनाते हैं ।
समता,स्वतंत्रता,भाईचारा,और धर्मनिरपेक्षता
हमारा संविधान हमको सिखलाता है।
विश्व में अद्भुत है हमारा संविधान।
आज मिलकर सब जन गाए।
जय-जय गणतंत्र हमारा महान्।
संग-संग रहे अधिकार हमारे।
रग-रग में कर्तव्य समाए।
मानवता का पाठ पढ़ाए।
हिल मिलकर जीवन जीना सिखलाए।
कीमत हमने चुकाई आजादी के खातिर।
वीरों ने बलिदान दिया आजादी की खातिर। आजादी हमारी संघर्ष का परिणाम है।
गणतंत्र मारा उत्कर्ष का अभिमान है।
तुम मत बेचो अपने मत को।
स्वस्थ रखो गणतंत्र को।
राष्ट्र की बलिवेदी पर प्राण गवाएं वीरों ने।
तब जाकर मिला हमें यह आजादी का प्यारा उपहार।
सिर्फ नाच और गान का नहीं, चिंतन मनन का है त्योहार।
अखंड हो, समृद्ध हो।
गणतंत्र हमारा प्रबुद्ध हो।
सद्भाव का स्वाभिमान का।
कष्ट हरता मर्म भरता।
संविधान हमारा अनमोल खजाना।
दुनिया में भारत को मिलकर सजाना।
मिले राष्ट्र को एक जीवन दिशा।
हर जन के जीवन की मिट जाए यहां कलुषित निशा।
दुनिया भी आज कायल है भारत के संविधान की।
सबको रखता समभाव से और देता दृष्टि सम्मान की।
जन- जन का हो एक नया सवेरा।
मिट जाए कलुषित यहां अंधेरा।
एक अरब चालीस करोड़ को बांधे रखें, हमारा अप्रतिम संविधान।
विश्व में अद्भुत खूबी है हमारा संविधान की।
संविधान बचाओ !राष्ट्र बचाओ!
हे कर्तव्य हम सबका।
स्वस्थ हो गणतंत्र हमारा,
मिलकर सब शपथ ले
भारत के संविधान की।
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