दल-बदल की विकृति पर ठोस कानून का होना जरूरी?

देश की राजनीतिक में सुधार लाने के लिए नेताओ द्वारा दल-बदल की विकृति पर ठोस कानून का होना जरूरी।

प्रतीक संघवी

राजकोट गुजरात 

  • -दल बदलू नेताओ पर  कानून  सख्त  होना चाहिए। 
  • -सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए। 
  • -दल बदल का खेल देश में लोकशाही की मौत है।
  • -नेताओ के दल बदलने से  देश को करोड़ों का नुकसान होता है।
  • -दल बदलने से भारत के नागरिक का मताधिकार मजाक बनकर रह जाता है।
  • -पावर और पॉलिटिक्स के बीच में योग्य कानून न होने से -पोलीटीशियन इसका उठाते है ।
  • -दल बदल कानून में नेता और उसके परिवार के लिए आज आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए। 
  • -दल बदलने से होने वाले चुनाव का खर्च प्रजा के सिर ही आता है।

हम लोकशाही में जी रहे हे। जिसमे लोगो के द्वारा, लोगो के लिए, लोगो से प्रस्थापित शासन कही जाती है और इसे ही लोकशाही बोलते है। इस लोकशाही का मूल मंत्र मताधिकार यानी की चुनावी प्रक्रिया ही है। लेकिन पिछले दशकों में जो राजनीतिक विचारों और चुनाव के माहौल और नेताओ के आचार, विचार और प्रचार में जो बदलाव आए है वो लोकशाही और  देश के लिए बहुत ही खतरनाक है, क्योंकि पहले कोई एक या दो नेता  दल बदलते थे और अब दल बदलने वालो का  मेला लग गयाहै। पिछले 5 सालो को ही ले लिया जाए तो सैकड़ों नेताओ ने चुनाव जीतने के बाद या पहले अपना दल बदल दिया है या चुनाव के बाद वापस फिर दल में आ गये? 

मित्रो जब भी कोई नेता चुनाव में  उम्मीदवार खड़ा होता है तो राजनीतिक पार्टी की ओर से उन्हे टिकट दिया जाता है और उसक टिकट की बीना पर वो चुनाव  जीतता है। चुनाव आयोग उसे जीत का  सर्टिफिकेट्स देती है।

लेकिन अचानक कई चुनाव जीतने के बाद उस नेताओ को अपना पक्ष कमजोर लगता है, पार्टी उसे टिकट देना नही चाहती, पार्टी को उस नेता में कमी दिखती है तो पार्टी उसे चुनाव में टिकट नही देती है और कभी कभी गलत आचरण पर उसे पार्टी से निकाल देती है। ऐसे में वह नेता  प्रजा को आगे करके दल बदल लेता है एवं प्रजा की भलाई के लिए उसने दल बदला यह वो ऐसा कहता है। जबकि वास्तविकता यह होती है कि, वह अपने मतलब के लिए दल बदलता है।

सही मायनो में देखा जाए तो अभी तक जितने नेताओ ने दल बदले है, उसका कारण उसके पुराने पापो को छुपाना या तो कुछ बड़ा पद या तो कोई निजी लाभ लेना ही रहा है और इस सब के चक्कर में पूरी की पूरी चुनावी प्रक्रिया का मजाक बन के रह जाता है।

इसीलिए प्रत्येक नागरिक के द्वारा इनके ऊपर अपने विचार देना चाहिए। ऐसे  नेताओ के खिलाफ चुनाव आयोग  में शिकायत करनी चाहिए। इनके ऊपर सख्त कानून लगाने की बात की जरूरत है। 

ऐसे नेताओ और यहां तक के उसके परिवारों को भी आजीवन चुनाव लडने से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। दल बदलना यह सरासर लोकशाही और मतदाताओं के साथ धोखा है,जो कि भारत के संविधान के खिलाफ  है ,इसलिए इसमें सजा का प्रावधान भी होना चाहिए ।

ऐसी भी इस संबंध में मांग की गई है। फिलहाल यह अर्जी मुख्य चुनाव आयोग के पास है ,लेकिन उसका अभी तक कोई भी जवाब नही मिला है।

क्या आप जानते हे अगर कोई एक तहसील में भी उपचुनाव हो तो वहा एक वोट का खर्च चुनाव आयोग को 687 रुपिया से भी ज्यादा लगता है, और सभी बड़े बड़े अधिकारी , कर्मचारी के समय का तो कोई अंदाजा ही नही लगाया जा सकता है? यह सारा खर्च और समय का भुगतान प्रजा को ही करना पड़ता है। 

दल बदल की यह अर्जी कोई एक पक्ष को ध्यान में रखकर नही की  गई है क्योंकि, इसमें देश का नुकसान होता है। नेताओ द्वारा दल बदल की प्रकिया पर रोक लगाना जरूरी है।

इसे नही रोका नही गया तो अंत में देश  में अच्छे नेता  ही नही रहेगे। परिणाम भुगतने की बारी तो आम आदमी और चुनाव आयोग और लोकशाही की ही होगी । 

मेरे सभी वाचक मित्रो से पूछना और उसकी राय जानना चाहता हुँ कि, ऐसी लोकशाही की हत्या बंद होनी चाहिए?!! क्या सुझाव है, हमारे देश के लोगो का इस बारे में हमे बताए ?!! और आप भी चाहते हो की यह जल्द से जल्द लागू हो तो आप भी लेटर लिखना शरू कर दीजीए। फिर मिलेंगे नई सोच के साथ तब तक आप लोकशाही को मजबूत करने में हमारी मदद करेंगे इस विश्वास के साथ अस्तु।

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