तीसरा विज दोस्त

बहुत समय पहले की बात है, दो अरब दोस्तों को एक बहुत बड़ा जहाज़ मिला है। किसी रेगिस्तान के बीचो-बीच में लिखा था।

दोनों ने योजना बनाना शुरू किया, एक साथ आने के लिए कई सारे रास्ते बनाए और रास्ते में भूख-पिटों से मरने का भी खतरा था। बहुत कुछ करने पर दोनों ने तय किया कि इस योजना में एक और वाइज दोस्त शामिल हों, ताकि वे एक और अपने विचार के साथ पर्याप्त जिस पर खाने-पीने का सामान रखें, सारा सामान भी आ जाएं और अधिक होने पर वे उसे एक और ऊंट अपने विचार के साथ ढोओ पर भी जा सकते हैं।

पर सवाल ये संभावित हैं कि चुनाव किसका करें?

बहुत सोचने के बाद गुरु और बबलू को चुना गया। दोनों हर तरह से बिल्कुल एक तरह के थे और कहना मुश्किल था कि दोनों में ज्यादा वाइज कौन है? इसलिए एक प्रतियोगिता के माध्यम से सही व्यक्ति का चुनाव करने का फैसला किया गया।

दोनों दोस्तों ने उन्हें एक निश्चित स्थान पर बुलाया और कहा, "आप लोग अपने-अपने कैमल पर सवार होकर सामने दिखें, रास्ते पर आगे बढ़ते हैं। कुछ दूर जाने के बाद ये रास्ते दो अलग-अलग बंटवारा करेंगे- एक सही और एक गलत। जो इंसान सही रास्ते पर जाएगा हमारा वही तीसरा साथी दिखेगा और विकल्प का एक-तिहाई हिस्सा उसका होगा।”

दोनों ने आगे बढ़ना शुरू किया और उस बिंदु पर पहुंच गए जहां से रास्ता टूट गया।

वहां पहुंच कर गुरु ने संदेश दिया- उद्र ने देखा, दोनों में कोई अंतर समझ नहीं आया और वह जल्दी से बांये की ओर बढ़ गया। जबकि बबलू बहुत देर तक देखता रहता है और आगे बढ़ने के नतीजों के बारे में सोचता रहता है।

करीब 1 घंटे बाद बायीं ओर के रास्ते पर धूल उड़ती दिखाई दी। गुरु बड़ी तेजी से वह रास्ते पर वापस आ रहा था।

उसे देखते ही बबलू मुस्कुराया और बोला, “गलत रास्ते?”

"हाँ, शायद!", गुरु ने जवाब दिया।

दोनों दोस्त छुप कर यह सब देख रहे थे और वे तुरंत उनके सामने आ गए और बोले, “बधाई हो!

"शुक्रिया!", बबलू ने फ़ौरन जवाब दिया।

“तुम्हें नहीं, हमने गुरु को चुना है।”, दोनों दोस्त एक साथ बोले।

"पर गुरु तो गलत रास्ते पर आगे बढ़ा था...फिर उसे क्यों चुना जा रहा है?", बबलू में चुभ गया।

“क्योंकि ये पता लगा लिया कि गलत रास्ता कौन है और अब वो सही रास्ते पर जा सकता है, जबकि चुना पूरा बस एक जगह बैठ कर उसी सोचने में गँवा दिया कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा गलत। समझदार किसी चीज़ के बारे में ज़रूरत से ज़्यादा सोचने में नहीं बल्कि एक समय के बाद उस पर काम करने और तजुर्बे से सीखने में है। रहा हूँ।

शिक्षा हमारे जीवन में भी कभी न कभी ऐसा स्थान (समय) आता है कि हम यह निर्णय नहीं लेते कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा गलत है। और ऐसे में बहुत से लोग बस सोच-विचार करने में अपना काफी समय बर्बाद कर देते हैं, जबकि ज़रुरत इस बात की है कि चीजों का विश्लेषण करने की बजाय गुरु की तरह अपने विकल्प को समझकर निर्णय लें और अपने अनुभव के पर आगे बढ़ें।

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