आखिरकार बडका बाबूओ की नियुक्ति अवैध ही निकली?

  • भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यानि कि बडका बाबू की नियुक्ती..
  • उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे बडका बाबूओ की फौज?

लखनऊ। आज उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और उसकी सहयोगी कम्पनियो मे नियुक्त बडका बाबूओ की फौज की नियुक्ति आखिरकार अवैध साबित हो गयी। 

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के विधटन के बाद उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन अस्तित्व मे आया और साथ मे अस्तित्व मे आया उत्तर प्रदेश पारेषण निगम, उत्पादन निगम, जल विद्युत साथ ही साथ वितरण के लिए स्वायत्त पाच कम्पनिया भी अस्तित्व मे आयी मध्यांचल,  पूर्वांचल,  पश्चिमाचल, दक्षिणाचल और केस्को सभी का रजिस्ट्रेशन कम्पनी ऐक्ट के अनुसार हुआ और सभी कम्पनियो का मेमोरेंडम आफ आर्टिकल भी बना सभी सस्थाऐ स्वायत्त थी जिनके बीच समन्वय स्थापित करने के लिए पावर कार्पोरेशन को अधिकार दिया गया। 

हर कम्पनी मे मेमोरेंडम के हिसाब से अध्यक्ष, प्रबन्ध निदेशक व निदेशको की नियुक्ती चयन प्रक्रिया के माध्यम से होना सुनिश्चित हुआ इस दौरान अस्थाई रूप से यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियो को दे दिये गये धीरे धीरे अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन के पद पर बैठे बडका बाबू ने सभी कम्पनियो के अध्यक्ष के अधिकारो पर कब्जा कर लिया और सभी प्रमुख पदो पर भी बडका बाबूओ के आधीन आते चले गये सरकारे आती गयी जाती रही अध्यक्ष बदलते रहे नये नये अनुभवहीन बडका बाबूओ ने उत्तर प्रदेश के रीड की हड्डी को अपनी अनुभवहीनता के कारण रसातल मे लगभग डुबो ही दिया अचानक से एक अभियन्ता प्रबन्ध निदेशक पावर कार्पोरेशन बन जाता है उसने जम के काम किया और जम के भ्रष्टाचार भी किया ऐसी चर्चा होती है खैर। 

अब जब उपभोक्ता सरक्षण उत्थान समिती ने इस मुद्दे को उच्च न्यायालय इलाहाबाद मे उठाया तो सभी के सामने यह राज खुला कि इस विभाग को तो टेक्नोक्रेट को चलाना चाहिये परन्तु बिल्ली के गले मे घण्टी बाधे कौन हम अपनी हर खबर मे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियो को अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू लिखते चले आये परन्तु किसी को भी हमारा समर्थन करने की हिम्मत ही नही हुई इस दौरान दो बार अभियन्ता संघ व अन्य ऊर्जा क्षेत्र के विभिन्न संघो के चुनाव हो गये और  यह बात सभी के समझ मे आने लगी कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग की कम्पनियो मे बैठे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यानि कि बडका बाबू की नियुक्ती गलत है। 

वर्तमान अध्यक्ष व महासचिव अभियन्ता संघ ने मेरी बात को मानते हुए और उपलब्ध कराए गये साक्ष्यो को पढा और समझा अन्य संगठनो ने भी मेरी बात मानी और फिर अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन और प्रबंध निदेशक की अवैध नियुक्ति की वजह से बने भय के वातावरण ने इसमे घी का काम करते हुए पूरे प्रदेश मे एक आन्दोलन को खडा किया जिसमे आज उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने यह माना कि बडका बाबूओ की नियुक्ती अवेध है और उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन व अन्य निगमो मे शीघ्र अति शीघ्र  अध्यक्ष व प्रबन्ध निदेशको की नियुक्ति मेमोरेंडम आफ आर्टिकल के अनुसार होगी।  यह युद्ध सबके सहयोग से अब अन्तिम चरण मे पहुच गया है लेकिन आप सभी को एक बात और बताना चाहता हूँ कि सन 2004 मे भी एक शपथपत्र उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय मे दिया गया था परन्तु उसका अनुपालन आज तक सुनिश्चित नही हुआ तो जब तक अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के पदो पर सुयोग्य व अनुभवी व्यक्ती ना बैठ जाऐ तब तक यह युद्ध शेष रहेगा।

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