'विवेक' रचित व्याकरण ताऊ मौलड़ का विमोचन

चंद्रकांत सी पुजारी 

पंचकूला शहर का रेड बिशप हाल में आयोजित कार्यक्रम में अपनी नव प्रकाशित पुस्तक ताऊ मौल्लड़ की रचना के बारे में विस्तार से बताते हुए लेखक नरेन्द्र आहूजा 'विवेक' पूर्व राज्य औषधि नियन्त्रक हरियाणा एवं केन्द्रीय आर्य युवक परिषद हरियाणा के प्रभारी ने बताया कि वर्ष 1993 से फरीदाबाद प्रवास के दौरान  वरिष्ठ पत्रकार साथी रूपेश बंसल के साथ लेखन की अभिरुचि के कारण संबन्ध व्यक्तिगत पारिवारिक और आत्मीयता के बन गए। रूपेश ने मेरी इस लेखन की रुचि को जल्दी ही पहचान कर मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया और हम देर शाम को अपने कार्यालय के बाद बी.के चौक पर उनके कार्यालय में जहां पत्रकारों का जमघट लगता बैठकर  कॉलम समाचार व्यंग्य आदि लिखने लगा। 

उसी समय दैनिक पंजाब केसरी के हरियाणा संस्करण में ताऊ मौल्लड़  कॉलम नियमित रूप से लिखने का अवसर प्राप्त हुआ। आर्य समाज  के सिद्धांतों का स्पष्ट प्रभाव मेरे इस कॉलम में दिखाई देता था। बिना किसी के प्रति दुर्भावना के हल्की फुल्की हास्य व्यंग्य शैली में हरियाणवी भाषा में लिखे संवाद में मौल्लड़ का पंच इसकी विशेषता बन गया था। मुझसे कई पाठकों ने पात्र मौल्लड़ का अर्थ और विशेषता के बारे में पूछा। मेरे इस कॉलम का पात्र मौल्लड़ सीधा सादा निडर निर्भीक अपनी बात को बिना किसी भय संशय के कहने में सक्षम है। अधिकांश सामाजिक विषयों पर संवाद शैली में लिखे कॉलम का एक बड़ा पाठक वर्ग बन चुका था। लगभग एक वर्ष तक यह क्रम नियमित रूप से चला। फिर कुछ पारिवारिक सामाजिक और कार्यालय की व्यस्तता के कारण इस क्रम को रोकना पड़ा।  

प्राथमिकताओं 2021 में सरकारी सेवा राज्य औषधि नियन्त्रक हरियाणा के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद जब सेवा नियमों के बन्धनों से मुक्त हुआ तो रुपेश बंसल ने आपने दैनिक समाचार पत्र में ताऊ मौल्लड़ कॉलम को वापस लेने का सुझाव दिया। अभिव्यक्ति की आज़ादी का भाव मन में ही इस सुझाव को स्वीकार कर लिया और अब ताऊ मौलड़ का लेखन अक्षर का प्रकाशन हुआ।

नए अवतार में यह कॉलम हरियाणवी की जगह पूरी तरह से हिंदी में लिखना शुरू कर दिया क्योंकि इसके पाठक वर्ग की सीमा केवल हरियाणा तक सीमित ना रह कर सोशल मीडिया व्हाट्सएप फेसबुक और अखबार के प्रसार से पूरे देश में होने वाली थी।

इस बार सरकारी सेवा नियमावली के बंधन से मुक्त राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक सामाजिक विषयों पर एक समान रूप से चल रही है और मॉलिब्बैक निर्भीक स्पष्ट सीधी बात कहने लगती है। अब इस स्तंभ के नियमित प्रकाशन के साथ पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का निर्णय लिया ताकि सभी लेखों को वैचारिक निरंतरता में शामिल किया जा सके 

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