नगर निगम के कर्मियों के निलंबन से कर्मचारियों का परिवार हताश

  • नगर निगम कर्मचारियों को बगैर साक्ष्य किया जा रहा निलंबन संघ में भारी आक्रोष..
  • नियत तिथि के भीतर निलंबन कर्मियों की नहीं की गई बहाली तो होगा उग्र आंदोलन.. 

प्रमुख संवाददाता

लखनऊ। नगर निगम के कर्मचारियों का अनावश्यक उत्पीड़न एवं व्याप्त समस्याओं को लेकर नगर निगम एवं जलकल कर्मचारी संघ ने नगर आयुक्त को तीन प्रमुख मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है।

संघ ने नगर आयुक्त का ध्यानाकर्षण कराते हुए कहा है कर्मचारी दिन रात कार्य करके नगर निगम की सेवाओं को क्षेत्र में बेहतर बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन किया जा रहा है इन सबके बावजूद कर्मचारियों को अनावश्यक, बगैर किसी जांच व स्पष्टीकरण, आधारहीन आरोपों एवं समाचार पत्रों की खबरों के आधार पर निलम्बन किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत वर्तमान समय में कशीब 13 कर्मचारी निलम्बित है, जिनमें कुछ कर्मचारी एक वर्ष से अधिक भी निलम्बित चल रहे है। 

संघ का स्पष्ट मत है कि तत्काल सभी निलम्बित कर्मचारियों की समयबद्ध जांच पूर्ण कराते हुए बहाली किया जाना आवश्यक है, नगर निगम प्रशासन द्वारा ऐसे कर्मचारियों का जो जीवन निर्वाह भत्ता दिया जा रहा है आज की महगाई को दृष्टिगत रखते हुए जीवन निर्वाहन में सहायक नहीं है। 

वहीं निलम्बन अवधि में कर्मचारी के साथ साथ उसका सम्पूर्ण परिवार व सामाजिक रूप से कठिनाईयों का सामना कर रहा है। वर्तमान में निम्नलिखित बिन्दुओं पर समयबद्ध कार्यवाही हेतु आपके कार्यालय ज्ञाप संख्या 579, मुणवि० च० दि० 14 दिसम्बर, 2022 के अन्तर्गत श्री राकेश तिवारी, चौकीदार, केन्द्रीय कार्यशाला को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया गया।

जिसके सम्बन्ध में न ही कोई ठोस आधार और न ही डीजल चोरी के मामले में कोई संलिप्ता व साक्ष्य है और न ही सह्नायक अभियन्ता विद्युत कार्यालय से सम्बद्धता किये बगैर कर्मचारियों को समय से अर्जित अवकाश व स्थायीकरण तथा पदोन्नित आदि के साथ-साथ डी०ए० बोनस, सातवें वेतन आयोग का एरियर, सफाई कर्मचारियों की ए०सी०पी० आदि भी प्रकरण यथावत्‌ लम्बित चल रहे है।

गत दिनों नगर निगम प्रशासन द्वारा दिनांक 25 जुलाई, 2017 को श्री रामानन्द, गैंगमैन जोन-2, का निलम्बित किया गया था, जांच अधिकारी द्वारा दिनांक 05 अक्टूबर, 2017 को आरोप सिद्ध न होने की रिपोर्ट प्रेषित की गयी, परन्तु पुनः प्रकरण में जांच कराते हुए दि० 25 मार्च, 2019 को दो वेतन वृद्धि स्थायी रूप से रोकते हुए अनुपस्थित दिवस (माह जनवरी, 2017 से जुलाई, 2017 तक) कुल 70 दिवस का वेतन नो वर्क नो पे के आधार पर वेतन नहीं दिया गया और उक्त कर्मचारी दिनांक 31 दिसम्बर, 2021 को सेवानिवृत्त हो गया तत्पश्चात कर्मचारी द्वारा मा० न्यायालय जाना पड़ा जिस पर पुनः जांच अधिकारी द्वारा दिनांक 25 अप्रैल, 2022 को आंशिक रूप से आरोप सिद्ध किया गया। 

हद तब हो गयी जब एक सेवानिवृत्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के प्रकरण को शासनादेश संख्या-2646 /9-1-12-अच /08 दिनांक 05 सितंबर 2012 का हवाला देते हुए इस सेवानिवृत्त गैंगमैन के विरूद्ध सीएएस०आर० के अनुच्छेद 351 ए के कम में अनुशासनिक कार्यवाही किये जाने हेतु नगर विकास अनुभाग-1 उ०प्र० शासन को पत्र संख्या-468 / मु०वि०/ च० दिनांक 24 जुलाई, 2022 को पत्र प्रेषित किया गया जिस पर आज तक कोई निर्णय नहीं हो सका। 

संघ बहुत ही विनम्र अनुरोध करता है कि उपरोक्त सभी बिन्दुवार प्रकरणों पर समयबद्ध सकारात्मक कार्यवाही कराते हुए कर्मचारी समाज को न्याय प्रदान करें तथा कर्मचारियों के अतिरिक्त केन्द्रीय कार्यशाला सहित सभी मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्यवाही किया जाना न्यायसंगत होगा अन्यथा की स्थिति में संघ आन्दोलन हेतु बाध्य होगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की होगी।

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