आने वाले जीवन में अच्छे बुरे दोनों दिनों का शुकराना करें..

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नानक दुखिया सब संसार

  • जिंदगी के हर बीते दिन का शुक्राना अदा कर दूं..
  • जीवन के हर बीते दिन का शुकराना अदा कर दूं..
  • अच्छे दिनों ने खुशी दी तो बुरे दिनों ने सब दिया..
  • दोनों ही में हमारी जीत होगी..
  • दुनिया में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं जिसके पास कोई दुख ना हो, हर शास्त्रीय में ईश्वर अल्ह का शुक्रानां स्वीकार करें..

किशन भावनानी

वैश्विक स्तर पर भारत अपनी अनमोल संस्कृति, सभ्यता, मानव अलौकिक क्षमता आध्यात्मिकता के लिए प्रतिष्ठित, प्रेरणा स्रोत और भविष्य का वैश्विक नेतृत्व करने वाले देश के रूप में उच्च से स्थापित होने की राह पर है, और हो भी क्यों ना? 

क्योंकि प्रत्येक भारतीय नागरिक में एक ज़जब्बा जुनून और जांबाज़ी समाई हुई है, वह दुखदों से हट कर उनमें से सफलता का मार्ग निकालने का जुनून है। जिसका जीता जागता उदाहरण हम भयंकर कोविड-19 महामारी की त्रासदी में प्रत्यक्ष रूप से वैश्विक स्तर पर दिखाए गए हैं और वैक्सीन अभियान आज 220 करोड़ के पार हो गए हैं हमारे आध्यात्मिक स्तर पर भी लोगों को बढ़ावा दिया जाता है कि जीवन के हर दिन का शुकराना अदाई इसलिए क्योंकि यदि अच्छे दिन देते हैं तो बुरे दिनों से हमें खुशी होती है सब कुछ सीखने को मिलता है और हम फतह हासिल करते हैं, 

अगर हम दुखों की  बात  करते हैं तो, हम सभी के जीवन में कभी ना कभी ऐसा पल जरूर आता है जब हम काफी अस्वास्थ्यकर अजरबैजान से पीड़ित होते हैं। कभी किसी से बिछड़ने का दुख, कभी कुछ हारने का दुख, कभी किसी की याद का दुख, कुछ ना कुछ दुख हम हमेशा जीत रहे हैं। कई बार तो हम परेशान भी हो जाते हैं और सोच में पड़ जाते हैं की आख़िरी सारे दुख हमें ही क्यों मिलते हैं? समय कोई भी बुरा नहीं होता है। मुश्किल जरूर होती है। कठिन समय की एक अच्छी होती है वो हमें मजबूत बनाता है। 

समान शिक्षा है। और सबसे पहले डेयरडेविल बनता है। और हमें एक नया और चुनौतीपर्ण उद्देश्य देता है क्योंकि उद्देश्य हीन जीवन किसी को पसंद नहीं होता है। 

मुश्किल ही समय में हम दुनिया में स्थापित करते हैं।अगर हम बुरे दिनों से सबकी पहचान करते हैं तो बुरे सपने की सबसे बड़ी पहचान होती है कि आईने में अपनों का चेहरा बिल्कुल साफ दिखता है। 

इस दौर में अपना बनने का कार्य करने वाले ईद का चांद हो जाता है। खराब इंसान को सबसे अच्छा सब कुछ देता है। यह मनुष्य को अन्य किसी भी चीज की तुलना में अधिक सिखाता है। वह अपने जीवन को अभिमान के लिए अनुपयोगी जीता है और किसी और के लिए परेशानी का सबब नहीं बनता। वह संतुलित हो जाता है। 

जीवन की कठिनाइयाँ उनके व्यक्तित्व को निखारती हैं।  जीवन की यही तो सोचती है, कि यहां जब दुख और दर्द होता है, तब किसी भी इंसान को संभलने का मौका नहीं मिलता है।

लेकिन एक बार जब दुखी और परेशान व्यक्ति हावी हो जाता है। तब उसके सामने जीवन के किसी भी दुःख की कोई औकात ही नहीं रहती। लेकिन शायद जीवन में खुश रहना या दुखी रहना हमारे ही हाथो में होता है, क्योंकि हम अपने जीवन की जिस स्थिति को वैसा ही मान लेते हैं, वो हाल हमारे लिए वही ही हो जाता है, यदि हम अपने जीवन की किसी दुःख में परेशान हैं तो खुद को अकेलापन महसूस होता है।  

हम दुखों के समय में जांबाज़ी ज़ज़्बे और सफलता के जुनून की करें तो, तब हमें हौसले के साथ उन मुश्किलों से यह कहना चाहिए, तू तो बस एक समस्या है जो हमारे जीवन में आई है। 

लेकिन जिसके जीवन में तू आई है, वह संपूर्ण जीवन और संपूर्ण जीवन पर केवल हमारा हक है। आप हमें दुखी और परेशान करने का कोई हकलाना ठीक नहीं है, इसी तरह की स्थित होने पर होती है जब हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बोलते हैं और वो अचानक छोड़ कर चले जाते हैं। 

तब हमारे दुख और दुख की स्थिति की कोई सीमा नहीं होती है। यह सी छोटा जीवन हमें इस दुखद और दुखद जीवन के माध्यम से बहुत बड़ा सबब सिखाती है। आध्यात्मिक हमारीता में भी आया है कि समदुःखसुखः स्वस्थः समलोष्टाश्मकाञ्चनः।

तुल्यप्रियाप्रियो धीरसतुल्यनिन्दात्मसंस्तुतिः।।जो धीर मनुष्य सुख-दुःख में सम तथा अपने स्वरूप में स्थित रहता है; जो मिट्टी के ढेले, पत्थर और सोने में सम रहते हैं जो प्रिय-अप्रिय में तथा अपनी निंदा-स्तुति में सम रहते हैं; जो मान-अपमान में तथा मित्र-शत्रु के पक्ष में सम रहते हैं जो संपूर्ण कर्मों के फलका त्यागी है, वह मनुष्य गुणातीत कहा जाता है

हम हमारे बड़े वृक्ष द्वारा इस विषय पर सुनी गई कहानी की तरह तो, एक पक्षी था जो रेगिस्तान में रहता था, बहुत बिमार, कोई पंख नहीं, खाने और रहने के लिए कोई आश्रय नहीं था। एक दिन एक बीमार पक्षी के पास से गुजरा। तो बीमार पक्षी ने अक्षर से पूछा, तुम कहां जा रहे हो? उसने उत्तर दिया मैं स्वर्ग जा रहा हूँ। ईश्वर की मुझ पर कृपा है। उन्होंने मुझे अपनी सहजता से यहां आने के लिए सीखने की छूट दे दी है। तो बीमार पक्षी ने कहा कृपया मेरे लिए पता करें, जब मेरा दर्द समाप्त हो जाएगा?" के अगले सात साल तक इसी तरह से ही परेशान करने वाला दूसरा उपाय, तब तक कोई खुशी नहीं।कबूतर ने कहा, जब बीमार पक्षी की यह मौत यदि है तो वह निराश हो जाएगा। 

क्या आप इसके लिए कोई उपाय बता सकते हैं। देवदूत ने उत्तर दिया, उन्हें इस वाक्य को हमेशा बोलने के लिए कहें। हे ईश्वर आपने जो कुछ भी दिया उन सबके लिए आपका धन्यवाद।बीमार पक्षी को कबूतर ने देवदूत का संदेश दिया। सात दिनों के बाद कबूतर फिर से गुजर रहा था और उसने देखा कि पक्षी बहुत खुश था, उसके शरीर पर पंख उग आए, एक छोटा सा पौधा रेगिस्तान में बड़ा हुआ, पानी का एक तालाब छोटा भी था, चिड़िया खुश होकर नाच रही थी। 

इस प्रश्न को ध्यान में रखते हुए कबूतर के द्वार पर देवदूत से मिलने गए और पूछा देवदूत ने उत्तर दिया, हाँ, यह सच है कि पक्षी के लिए सात साल तक कोई खुशी नहीं थी लेकिन पक्षी क्योंकि हर स्थिति में सब कुछ के लिए भगवान आपका धन्यवाद बोल रहा था, ईश्वर का आनंद ले रहा था, जिससे उसका जीवन बदल गया। इससे उनका जीवन बदल गया।पैमैंटिक प्रोजेक्ट। देवदूत ने कहा था कि अगले सात साल तक रैप्टर्स के लिए कोई खुशी नहीं होगी।

एपीजे अब्दुल कलाम ने भी यह बात कही है कि हमेशा याद रखें सख्त दिनों के लिए बुरे दिनों से सेना में रोक है।एपीजे अब्दुल कलाम ने भी यह बात कही है कि हमेशा याद रखें सख्त दिनों के लिए बुरे दिनों से सेना में रोक है।

जब विघ्न सामने आते हैं,

सोते हुए हमें दुनियाते हैं,

मन को मरोड़ते हैं पल-पल,

तन को झँझोरते हैं पल-पल।

सप्त की ओर अधिकार ही,

हमें मैसेज करें। 

इसलिए यदि हम संपूर्ण विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण कर सकते हैं तो हम अपने अनुगामी जीवन के अच्छे बुरे दोनों दिनों का शुक्राना आकलन करेंगे। जीवन के हर दिन के शुक्राना अचेत हो जाता है। जनों ने खुशी दी बुरी दोनों ने सभी ने दोनों में प्रवेश किया। हमारी जीत है। नानक दुखिया सब संसार, दुनियां में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं जिसके पास कोई दुख ना हो हर में मानक ईश्वर अल् का शुक्राना धारण करें। 

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