भारत प्रौद्योगिकी क्रांति में अहम रोल निभाने चल पड़ा

7 वाँ वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन 29 नवंबर से 1 दिसंबर 2022 पर विशेष 

किशन सनमुख़दास भावनानी

वैश्विक स्तरपर भारत का रुतबा और दबदबा इतनी तेजी से आगे बढ़ेगा शायद दुनिया भर में किसी को अंदाज नहीं था, क्योंकि जिस तरह से भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए)के लिए बड़े-बड़े विकसित देश सामने आ रहे हैं, जी-20 की अध्यक्षता का ताज़, अंतरराष्ट्रीय मंचों का भारत में लगातार समिट् होना, भारत को विदेशी दौरों में मिल रहे प्रमुख स्थान इत्यादि अनेक बातों पर अगर हम गंभीरता से पैनी नजर घुमाएं तो हमारा सर फक्र से ऊंचा हो जाता है। हम रोमांचित गौरवविंत हो जाते हैं कि यह भारत देश है मेरा!! चूंकि 29 नवंबर से 1 दिसंबर 2022 का तीन दिवसीय सातवाँ वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन नई दिल्ली भारत में शुरू है, जिसका विषय प्रौद्योगिकी की भू- राजनीति पर चर्चा हो रही है इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पीआईबी में आई जानकारी के सहयोग से चर्चा करेंगे कि वैश्विक पटल पर भारत का दबदबा बड़ा और प्रौद्योगिकी की भू-राजनीति पर परिचर्चा।

  • प्रौद्योगिकी की भू-राजनीति विषय पर चर्चा..
  • वैश्विक पटल पर भारत का दबदबा बड़ा..
  • अवसरों और निवेश का पसंदीदा गंतव्य बनने की ओर अग्रसर.. 
सातवें वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन की करें तो, विदेश मंत्रालय ने कहा है कि तीन दिन के सम्मेलन में प्रौद्योगिकी, सरकार, सुरक्षा, अंतरिक्ष, स्टार्टअप, डाटा, कानून, लोक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, अकादमिक और आर्थिक मुद्दों पर विश्व के प्रमुख बुद्धिजीवी अपने विचार रखेंगे और प्रौद्योगिकी तथा इसके भविष्य से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों पर चर्चा करेंगे। उल्लेखनीय है कि तीन दिन के इस सम्मेलन में प्रतिनिधि भौतिक और वर्चुअल दोनों रूप में हिस्सा लेंगे।विदेश मंत्रालय और कार्नेगी इंडिया की मेजबानी में भू-प्रौद्योगिकी पर होने वाला यह भारत का वार्षिक प्रमुख सम्मेलन है।
सम्मेलन में प्रौद्योगिकी, सरकार   सुरक्षा, अंतरिक्ष, स्टार्टअप, डेटा, कानून, लोक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, अकादमिक और आर्थिक मुद्दों पर विश्व के प्रमुख बुद्धिजीवी विचार रखेंगे। इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय 'प्रौद्योगिकी की भू-राजनीति' है। 
शिखर सम्मेलन में 100 से अधिक वक्ता विचार रखेंगे। अमेरिका, सिंगापुर, जापान, नाइजीरिया, ब्राजील, भूटान, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के मंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। शिखर सम्‍मेलन में 50 से अधिक पैनल चर्चाओं, मुख्‍य भाषणों, पुस्‍तक विमोचन और अन्‍य। इसमें शामिल होने के लिए दुनियाभर के पांच हजार से अधिक प्रतिभाग‍ियों ने पंजीकरण कराया है।बड़ी संख्‍या मेंप्रतिभागी जीटीएस समिट वेबसाइट और कार्नेगी इंडिया के यूट्यूब और सोशल मीडिया पेजों के माध्‍यम से शामिल होंगे। 

इसके उद्घाटन सत्र में भारतीय विदेशमंत्री ने कहा कि डेटा अब व्यापार का नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है। भारत ने इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क पर काम शुरू कर दिया है। अमेरिका इसके लिए आगे आया है। इसमें तकनीक और आपूर्ति शृंखला मूल तत्व हैं। इसपर विभिन्न साझेदारों जैसे आईपीईएफ और क्वाड से द्विपक्षीय चर्चा हो चुकी है।उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी आज भू-राजनीति के केंद्र में है। टेलीकॉम की डोमेन में भारत को विश्वसनीय की अवधारणा से देखा जाता है। 

दुनिया आने वाले दिनों में डिजिटल पक्ष पर भारत की विश्वसनीयता के बारे में सुनेगी। डेटा कहां जा रहा है। यह अब व्यवसाय और अर्थशास्त्र का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है। अब दुनिया में हर चीज को हथियार बनाया जा रहा है। दुनिया को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। देशों को अपने हितों की रक्षा कहां करनी चाहिए, इस पर साफ-साफ सोचना होगा। 

भारत का विकास भारतीय प्रौद्योगिकी के विकास से गहराई से जुड़ा हुआ है।प्रौद्योगिकी के महत्व की तो माननीय राष्ट्रपति द्वारा 29 नवंबर 2022 को एक कार्यक्रम में संबोधन में कहा कि, प्रौद्योगिकी न केवल विज्ञान और इंजीनियरिंग का एक गौण उत्पाद है बल्कि इसका सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ भी है। हम सभी देशवासियों को सामाजिक न्याय के लिए प्रौद्योगिकी वाले विचारों के साथ आगे बढ़ना होगा। 

हमें कोशिश करनी चाहिए कि वंचित वर्ग इसमें पीछे न रह जाएं। भेदभावहीन समाज का निर्माण करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए। शिक्षा की सफलता को वेतन पैकेज वाले मापदंड बनाने की प्रवृत्ति की तरफ इशारा करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि ज्यादा वेतन पैकेज मिलना अच्छी बात है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जिन छात्रों को अच्छा वेतन पैकेज नहीं प्राप्त होता है वह कम योग्य है। उन्होंने छात्रों को सलाह दिया कि वे कभी भी आपनी सफलता का आकलन पैकेज के आधार पर न करें। 

उन्होंने कहा कि छात्रों को सफलता की पारंपरिक धारणाओं और सामाजिक दबावों तक सीमित नहीं होना चाहिए। उन्हें निर्धारित करना चाहिए कि वे अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं। 

महामहिम ने छात्रों से एक ऐसा करियर चुनने का आग्रह किया जो उन्हें संतुष्टि और जीवन का सही उद्देश्य प्रदान करे। उन्होंने माता-पिता से अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश करें, उपलब्धियां अपने आप उनको प्राप्त हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में तेजी के साथ बदलाव हो रहा है। 

तकनीकी क्रांति के कारण, नौकरियों के स्वरूप के साथ-साथ लोगों की मूलभूत आवश्यताएं भी बदल रही हैं। इन बदलावों ने इंजीनियरिंग के मौजूदा पद्धतियों को भी चुनौती प्रदान की है। तकनीकी बदलाव के कारण हो रहे बदलावों को घ्यान में रखते हुए यह बहुत ही आवश्यक हो चुका है कि एनआईटी, कुरुक्षेत्र सहित हमारे तकनीकी संस्थान भविष्य के लिए तैयार रहें। 

आज किए गए एक ट्वीट की करें तो उन्होंने अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में साल-दर-साल फोन के निर्यात के दोगुने से अधिक होने वाले पर प्रसन्नता व्यक्त की है क्योंकि मोबाइल फोन का निर्यात सात महीने के भीतर पांच बिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। यह पिछले साल इसी अवधि में भारत द्वारा अर्जित किए गए 2.2 बिलियन  अमेरिकी डॉलर से दोगुने से भी अधिक है।

केन्द्रीय मंत्री के एक ट्वीट पर, पीएम ने जवाब दिया: भारत मैन्यूफैक्चरिंग की दुनिया में लगातार आगे बढ़ रहा है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सातवां वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन 29 नवंबर से 1 दिसंबर 2022 पर विशेष है। 

प्रौद्योगिकी भू-राजनीति विषय पर चर्चा है। भारत प्रौद्योगिकी क्रांति में अहम रोल निभाने चल पड़ा है। वैश्विक पटल पर भारत का दबदबा बड़ा - अवसरों और निवेश का पसंदीदा गंतव्य बनने की ओर अग्रसर हैं। 

टिप्पणियाँ