अब भ्रष्टाचार से तौबा किया हूं..!

व्यंग्य कविता

किशन सनमुख़दास भावनानी

बाबू पद से बहुत भ्रष्टाचार लिया हूं 

जनता को बहुत चकरे खिलाया हूं 

भयंकर बीमारियों से भुगत रहा हूं 

अब भ्रष्टाचार से तौबा किया हूं 


हरे गुलाबी बेईमानी करके बहुत लिया हूं 

ऊपर तक हिस्सेदारी बहुत पहुंचाया हूं 

शासन पद से बहुत हेराफेरी किया हूं 

अब भ्रष्टाचार से तौबा किया हूं 


भ्रष्टाचार के भयंकर नतीजे महसूस किया हूं 

बेटा बेटी पत्नी को बीमारी ने घेर लिया है 

मुझे सामाजिक बेज्जती ने लपेट लिया है 

अब भ्रष्टाचार से तौबा किया है 


भ्रष्टाचार में मेरा नाम रोशन किया हूं 

ऊपर-मिडल वालों को हिस्सा पहुंचाया हूं 

असली गुनाहगार खुद को पाया हूं 

अब भ्रष्टाचार से तौबा किया हूं 


ऊपर-मिडिल वालों की फाइल पकड़वाया हूं 

सस्पेंड की बहुत धमकियां पाया हूं 

सब को पकड़वाने का ज़ज्बा लाया हूं 

अब भ्रष्टाचार से तौबा किया हूं 

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