कौन बनेगा चेयरमैन को लेकर नगरपालिका की रण भेरी बजी
- चुनावी चर्चाओं की मानें तो किसी पार्टी का टिकट बन्द कमरे में मिल रहा तो किसी का चाय पान की दुकानों पर..
- टिकट के लिए लगभग सभी दावेदार अपने को ही मान रहे है टिकट के लिए सर्वश्रेष्ठ..
- शाम ढलते ही गली मोहल्लों व चौराहे पर चर्चाओं का बाजार हो जाता है गरम..
मुरारी श्रीवास्तव
पूरनपुर नगर पालिका के चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे सभी प्रमुख पार्टियों के स्वंयम्भू टाइप के नेताओं के यहाँ चुनाव लड़ने के इक्षुक नेताओं की भीड़ जुटनी शुरू हो चुकी है। विभिन्न पार्टियों के कार्यालयों में रौनक पसरने लगी है।
कोई घर पर तो कोई दुकान तो कोई पारटी कार्यालय पर कौन बनेगा चेयरमैन पर बहस छेड़े हुए है। भड़ास निकालने का इससे अच्छा मौका कब और कहां मिलेगा।इसलिए लोग खूब बहस करने में लगे हैं । मजे की बात यह है कि जिनका राजनीति से दूर दूर तक कोई सम्बंध नही है वह भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते देखे जा रहे हैं।
कोई इस प्रत्याशी पर दांव लगा रहा तो कोई उस प्रत्याशी पर।कुछ तो ऐसे भी मिल जाएंगे जो इस चौराहे पर फला की जीत के कसीदे पढ़ रहे तो चौराहा बदलते ही उनका प्रत्याशी भी बदल जाता है। अब ऐसे में जनता कन्फ्यूजन में पड़ जाती है कि उक्त चौराहावीर नेता आखिर किस प्रत्याशी के पक्ष में है?
अब भोली भाली जनता को क्या पता कि उक्त चोराहावीर टाइप के नेता किसी प्रत्याशी के पक्ष में नहीं अपितु वह केवल अपनी गोटी फिट करने में लगा है।
फिलहाल इन गोटियांफिट नेताओं की चौराहों पर बढ़ती भीड़ ने प्रत्याशियों के पसीने छुड़ा दिए हैं। चुनाव लड़ने के इक्षुक कई नेता तो अभी से ही चौराहे पर हो रहे बेतहाशा चाय पान के खर्च से घबराकर चौराहों पर लगने वाली भीड़ से किनारा करने लगे हैं।
पर चुनाव के रण में कूदने के इक्षुक नेताओं के मन मे दुविधा पैदा हो जा रही है कि यदि चौराहे पर जाते हैं तो खरचा बढ़ जाएगा और अगर न गये तो जीतना मुश्किल हो जायेगा। कुल मिलाकर निकाय चुनाव में टिकट व जीत को लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गरम है और लोग गली मोहल्ले में अपनी राय देकर चुनाव लड़ने बाले दावेदारों का दिल जीतने के प्रयास में लगे है।
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