आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने वैश्विक सम्मेलन 18 -19 नवंबर 2022

नो मनी फॉर टेरर 

आतंकवाद को जड़ से मिटाने उसके वित्तपोषण को रोकने का स्थाई समाधान ढूंढना वर्तमान समय की मांग 

 किशन भावनानी 

वैश्विक स्तरपर वर्तमान समय में अधिकतम देश आतंकवाद और भ्रष्टाचार की त्रासदी से पीड़ित हैं क्योंकि अनेकों छोटे देशों से लेकर पूर्ण विकसित देशों में भी आतंकवाद और भ्रष्टाचार ने सशक्त होकर तीव्रता से पैर पसारे हैं और आश्चर्यजनक एवं अविश्वसनीय खतरनाक मिशन को अंजाम दिया जाता है, जिसमें हमने आम जनमानस सहित अनेकों वैश्विक हस्तियों को खोया है इसलिए अब डिजिटल युग में समय आ गया है कि आतंकवाद और भ्रष्टाचार को जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाकर उनकी जड़ों को काटा जाए जिससे उनके पनपने और कल्पवृक्ष धारण करने के रास्ते समाप्त हो जाएंगे तो आतंकवाद और भ्रष्टाचार रूपी वृक्ष सूख कर गिर जाएगा। चूंकि अभी 18 से19 नवंबर 2022 को नई दिल्ली में आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने तीसरा मंत्री स्तरीय सम्मेलन नो मनी फॉर टेरर का आयोजन हो रहा है इसलिए आज हम गृह मंत्रालय द्वारा आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे नो मनी फॉर टेरर।  

हम आतंकवाद को समाप्त करने की करें तो जब तक उसके फलने फूलने के रास्तों को ढूंढ कर उन्हें नष्ट नहीं करेंगे, तब तक यह समस्या यूं ही फलती फूलती रहेगी और मुंह फाड़े नुकसान पहुंचाती रहेगी इसलिए इसकी सबसे महत्वपूर्ण जड़ कोई है तो वह टेरर कैंप, डर्टी माइंड, ब्रेनवाश, बेरोजगारी, हेट स्पीच जैसी अनेकों जड़े हैं और इन जड़ों के पनपने का एक महत्वपूर्ण रास्ता है वित्तपोषण याने टेरर फंडिंग इसलिए यदि इसकी इस मूल जड़ को ही काटा जाए तो इसके सहभागी जड़ों पर अपने आप विपरीत प्रभाव पड़ जाएगा और समाप्ति की ओर कदम बढ़ जाएंगे इसलिए नो मनी फॉर टेरर पर वैश्विक एकता बनाकर कार्य योजना तैयार कर उसे सख्ती से क्रियान्वयन करने का की आवश्यकता को रेखांकित करना वर्तमान समय की मांग है।  18 -19 नवंबर 2022 को नई दिल्ली में होने वाले आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने मंत्री स्तरीय सम्मेलन की करें तो पीआईबी के अनुसार, इस सम्मेलन का उद्देश्य पेरिस (2018) और मेलबर्न (2019) में अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा आयोजित पिछले दो सम्मेलनों में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने से संबंधित चर्चाओं को आगे बढ़ाना है। इसका इरादा आतंकवाद के वित्तपोषण के सभी आयामों के तकनीकी, कानूनी, विनियामक और सहयोग के पहलुओं पर चर्चा को शामिल करने का भी है। 

यह सम्मेलन आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने पर केंद्रित अन्य उच्चस्तरीय आधिकारिक और राजनीतिक विचार-विमर्श की गति को भी निर्धारित करने का प्रयास करेगा। वैश्विक स्तर पर, विभिन्न देश कई वर्षों से आतंकवाद और उग्रवाद से प्रभावित हैं। अधिकांश मामलों में हिंसा का पैटर्न भिन्न होता है, लेकिन यह बड़े पैमाने पर लंबे समय तक सशस्त्र सांप्रदायिक संघर्षों के साथ-साथ एक अशांत भू-राजनीतिक वातावरण से उत्पन्न होता है। 

इस तरह के संघर्षों का नतीजा अक्सर कुशासन, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक अभाव और बड़े अनियंत्रित क्षेत्र के रूप में सामने आता है। एक आज्ञाकारी राज्य की भागीदारी अक्सर आतंकवाद, विशेष रूप से इसके वित्तपोषण को बढ़ावा देती है।

भारत ने तीन दशकों से अधिक अवधि में कई प्रकार के आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का सामना किया है, इसलिए वह इस तरह से प्रभावित राष्ट्रों के दर्द और आघात को समझता है। 

शांतिप्रिय राष्ट्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के मामले में निरंतर सहयोग के लिए एक पुल बनाने में मदद करने हेतु, भारत ने अक्टूबर में दो वैश्विक कार्यक्रमों - दिल्ली में इंटरपोल की वार्षिक आम सभा और मुंबई एवं दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी के एक विशेष सत्र - की मेजबानी की। आगामी ‘नो मनी फॉर टेरर’ (एनएमएफटी) सम्मेलन विभिन्न राष्ट्रों के बीच समझ और सहयोग विकसित करने के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाएगा। 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री इस सम्मेलन में भाग लेंगे और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के दृढ़ संकल्प के साथ-साथ इसके खिलाफ सफलता प्राप्त करने हेतु इसकी सहायता प्रणाली से अवगत करायेंगे। तीसरे 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन में होने वाली चर्चा आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण के वैश्विक रुझानों, आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों के इस्तेमाल, उभरती प्रौद्योगिकियों और आतंकवाद के वित्तपोषण और संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए अपेक्षित अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित होगी। 

इस सम्मेलन का इरादा दो दिनों में विस्तारित विचार-विमर्श के लिए 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय निकायों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाने का है। 

इस सम्मेलन का आयोजन केंद्र सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे को महत्व देने के साथ-साथ इस खतरे के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस की नीति औरअंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने की इच्छा को दर्शाता है। 

हम इस सम्मेलन से उम्मीदों की करें तो, मीडिया में आया है कि आतंकवाद के लिए क्रिप्टोकरेंसी और क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। यही नहीं इसके लिए आतंकियों द्वारा डार्क वेब की तरफ ध्यान देना भी बड़ी समस्या बनी हुई है। ये सब इस बैठक का एक मुख्य एजेंडा होगा। 

सूत्रों ने बताया कि आतंकवाद के वित्तपोषण के सभी पहलुओं के तकनीकी, कानूनी, नियामक और सहयोग पहलुओं पर चर्चा को शामिल करना इस बैठक का मकसद होगा। मीडिया जानकारी के अनुसार दिल्ली में होने वाली इस बैठक में आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों के उपयोग, आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण में वर्तमान वैश्विक रुझानों पर विचार-विमर्श होगा। यही नहीं आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तरपर समन्वय बनाने की बात भी की जाएगी।

हम आतंकवाद के खिलाफ भारतीय कूटनीतिक प्रयासों की करें तो, आंतकवाद के खिलाफ भारत लगातार मजबूती से लड़ाई लड़ रहा है। 

इसी के तहत पिछले महीने 28 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काउंटर टेररिज्म कमेटी की विशेष बैठक का आयोजन किया गया। दो दिवसीय यह बैठक पहले दिन ताज होटल में हुई जहां 14 साल पहले आतंकी हमला हुआ था। 

वहीं दूसरे दिन यह बैठक देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई। इस बैठक के दौरान विदेशमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा था कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए भारत संयुक्त राष्ट्र को पांच लाख अमरीकी डालर अपनी स्वैच्छा से देगा। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नो मनी फॉर टेरर। आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने वैश्विक सम्मेलन 18-19 नवंबर 2022 को है आतंकवाद को जड़ से मिटाने उसके वित्तपोषण को रोकने का स्थाई समाधान ढूंढना वर्तमान समय की मांग है।

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