भ्रष्टाचार के मकड़जाल में देश का भविष्य?

जिम्मेदार कौन?

सुनीता कुमारी

बढ़ती भौतिकवादिता, बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने लोगो को एक मशीन की मानिद बना दिया है ?व्यक्ति में भावनात्मक तत्व की कमी होती जा रही है। मानवता, इंसानियत, सामाजिकता, नैतिकता आदि सभी तत्वो को ताक पर रखकर आज का मनुष्य सिर्फ और सिर्फ धन के पीछे भाग रहा है, रूपयों के पीछे भाग रहा है? 

मेहनत करना अच्छी बात है, कर्मशील, लगनशील होना और भी अच्छी बात है मगर, गलत तरीके से धन अर्जन की लालसा कही से भी अच्छा नही है? यह बात सारे भारतवासी जानते है? मगर आजकल जो स्थिति हमारे देश में धन को लेकर बन रही है इसमें लोगो को गलत तरीके से धन कमाने में कोई परहेज नही है?

देश के हर विभाग में छोटे से बड़े स्तर तक गलत तरीके से धन कमाने की होड़ सी मची है? रातोंरात धनवान बन जाने की लालसा ने सभी नियम, कायदे कानून, धर्म अधर्म सबको ताक पर रख दिया है? आज के विकृत होते समाज में बस वही इमानदार है जिन्हे मौका नही मिला है?

क्योंकि मौका मिलने के बाद भी यदि व्यक्ति इमानदार बना रहता है तो वह अपने पद पर काम ही नही कर पाता है?तबादला या फिर किसी आरोप में नौकरी से बर्खास्त हो जाता है? ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने आप को भ्रष्टाचार में लिप्त कर ही लेता है यह उस इमानदार व्यक्ति की मजबूरी होती है जो इमानदारी से काम करना चाहता है। देश में भ्रष्टाचार का जाल बिछा हुआ है जिसे चपरासी से लेकर उच्चतम स्तर के अधिकारी भी लिप्त है?

आज के हमारे बदलते समाज में लोग शॉर्टकट तरीके को महत्व दे रहे हैं, शॉर्टकट रुपया कमाने का हो या किसी अन्य चीजों का, इसी शॉर्टकट ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है? लोग जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा धन कमाना चाहते हैं? अपने आप को धनवान बनाना चाहते हैं? सारी सुख सुविधाएं अर्जित करना चाहते हैं? यह शॉर्टकट रास्ता किसी और क्षेत्र में तो कम है परंतु, राजनीति के क्षेत्र में सबसे अधिक है?

इस शॉर्टकट ने सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार राजनीति में ला दिया है? छोटे से लेकर बड़े स्तर तक गलत तरीके से कमाए जाने वाले धन की  वितरण का संजाल बुना हुआ है? चपरासी से लेकर अधिकारी तक का हिस्सा तय होता है और अधिकारी के से लेकर ऊपर के स्तर तक के राजनेताओं तक यह रूपया पहुँचता है?यही कारण है कि, दिन दूनी रात चौगुनी भ्रष्टाचार का संजाल जटिल होता जा रहा है। चंद दिन पहले बिहार के पूर्णिया जिला में एसपी समेत कई अन्य अधिकारी के आवास पर निगरानी विभाग के द्वारा के द्वारा छापामारी की गई, इस छापामारी में एसपी समेत अन्य अधिकारी के आवाज से बहुत सारा कालाधन बरामद हुआ जिसमें लाखों-लाख रूपया तो थी ही  कई किलो सोना भी बरामद हुए? 

यह अत्यंत शर्मनाक स्थिति है? जिस प्रशासनिक अधिकारी एवं   जनप्रतिनिधि को लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है वही प्रशासनिक अधिकारी लोगों की जेब में भी काटते हैं? पूर्णिया के जिस एस पी के आवास पर छापामारी हुई वह अपने विदेशी कुत्ते पर आधे से अधिक वेतन खर्च करते थे? अब सोचनेवाली बात ये है कि, जो अधिकारी कुत्ते पर इतना खर्च करेगा वह अपने ऊपर और अपने परिवार के ऊपर कितना खर्च करता होगा? क्षेत्र के गरीब लोग अभावों में जी रहे लोग इनकी सहायता करने की अपेक्षा ये अपने कुत्तो पर साल का लाखो रूपया उड़ाते है? भ्रष्टाचार से कमाये धन का दुरुपयोग ये लोग अपनी एय्याशी  और  ओछी शौक को पूरा करने के लिए करते है?

"बाड़ ही खेत को खाएगा तो.. 

खेत की सुरक्षा कौन करेगा?"..

इस कार्रवाई के बाद उन अधिकारियों के बचाव में   कई तरह की बातें मुझे सुनने को मिली, कुछ लोगों ने कहा कि, बिहार और केंद्र में अलग-अलग पार्टी की सरकारें हैं इस कारण यह केंद्र सरकार के द्वारा कराई गई, क्योंकि इस छापेमारी से चंद दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्णिया जिले के दौरे पर आए थे, जिनकी बिहार सरकार से 36 का आंकड़ा है? सुनने में यह आ रहा था कि, केन्द्रीय टीम को अपेक्षाकृत सम्मान एवं भाव नही मिलने के कारण केन्द्र के इशारे पर यह छापेमारी की गई?

एक अन्य व्यक्ति ने कहा की पूर्णियां के एसपी ,एससी एसटी जाति से आते हैं इसलिए ऊंची जाति वाले अधिकारियों  ने यह छापामारी करवाई क्योंकि ऊंची जाति वाले अधिकारी एवं राजनेता नहीं चाहते कि कोई नीची जाति वाला व्यक्ति भ्रष्टाचार के द्वारा धन कमाकर धनवान बने? उन्होंने यह भी कहा कि, हमारे देश में एक से एक नेता और अधिकारी भ्रष्टाचार के द्वारा रुपया कमा कर धनवान बने हुए हैं ?फिर यह नीची जाति के अधिकारी के यहां ही छापामारी क्यों?

निश्चय ही यह जातिवाद के पूर्वाग्रह से ग्रसित है?

भ्रष्टाचार पर इस तरह के बयान भ्रष्टाचारी को सह देने का बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है?जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है? केंद्र के द्वारा राज्य पर आरोप लगाए जाते हैं ?राज्य के द्वारा केंद्र पर आरोप लगाए जाते हैं ?ऊंची जाति के द्वारा नीति जाति पर आरोप लगाए जाते हैं? और नीची जाति का  जाति पर आरोप लगाए जाते हैं? मगर इन सब में सबसे सामान्य बात यह है कि, इन सब ने भ्रष्टाचार को सह देने और भ्रष्टाचारी को बढ़ाने की कवायद राजनीति, धर्म, और जाति के नाम पर की जाती है? इन सब से हानि सिर्फ और सिर्फ गरीब और आम जनता को होती है। जिनकी मेहनत का रुपया गलत तरीके से भ्रष्टाचारियों के जेब में चला जाता है ?

अमीर लोग और अमीर बनते चले आते हैं और गरीब लोग और गरीब बनते चले आते हैं? धन को लेकर यह स्थिति देश के लिए अच्छा नहीं है इस में लगाम लगाना लोकतंत्र की रक्षा के लिए देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। जब तक देश भ्रष्टाचार मुक्त नहीं होगा तब तक लोकतंत्र की पूर्ण सफलता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ रहेगा और देश का विकास भी बाधित होता रहेगा। हम आम लोगो के सामने सारी बाते स्पष्ट है? आरोप प्रत्यारोप पर ध्यान देने की अपेक्षा हमें भ्रष्टाचार के दागी व्यक्ति बहिष्कार करना चाहिए। नेताओ के बयानबाजी

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