आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को ही वंचित वर्ग का माना जाता है -डॉ राजाराम

संवाददाता

लखनऊ। जिस वर्ग के साथ सबसे अधिक अन्याय, अत्याचार, सामाजिक और आर्थिक शोषण होता है वही वंचित समाज कहलाता है यह विचार आज दुबग्गा के एक स्कूल में बैठक को संबोधित करते हुए वंचित वर्ग संगठन के संयोजक डॉ राजाराम ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अक्सर आप सर्वे रिपोर्ट में पढ़ते हैं कि देश की 1% जनता के पास 58% देश की संपत्ति हैं और 10% लोगों  का 78% संपत्ति पर कब्जा है आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि वंचित कौन है। 

डॉक्टर अंबेडकर ने 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अंतिम भाषण में कहा था कि एक और लोग अथाह संपत्ति के मालिक हैं और दूसरी तरफ निपट गरीबी है आर्थिक विषमता है यह आर्थिक लोकतंत्र नहीं यह देश की बहुसंख्यक जनता, जो निपट गरीब है। 


डॉ राजाराम ने कहा कि 10 करोड़ लोग ऐसे होंगे जिनका कोई व्यापार, कारोबार, रोजगार नहीं है फिर भी आलीशान ऐसो आराम के साथ आजीवन बिना श्रम के मजे में रहते हैं। 
दूसरी ओर इस वंचित वर्ग की बहुसंख्यक जनता का एक भाग जो लगभग पांच से छह करोड़ होगा जो कचरा और कबाड़ इकट्ठा करके रोजी रोटी कमाता है इसी वर्ग में इतने ही लोग जो भीख मांग कर जिंदा रहते हैं जिनका घर परिवार फुटपाथ या फुटपाथ के किनारे रहता है। उन्होंने कहा कि देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए, भारत के संविधान को लागू हुए 73 वर्ष होने जा रहे हैं लेकिन बहुसंख्यक जनता के पास न रोजगार है और न रोजगार के साधन, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है, खेतिहर मजदूर हैं, परंतु इनके नाम जमीन नहीं, जो खेती नहीं करते और नहीं कर रहे हैं उन्हीं के पास सबसे ज्यादा कृषि भूमि और फार्म है, कारखानों के मालिक हैं कारखाना चलाते हैं फिर भी लंबी लंबी जमीनों के मालिक हैं। सबसे ज्यादा अन्याय अत्याचार सामाजिक और आर्थिक शोषण इसी वंचित वर्ग का होता है।


उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की परिभाषा में, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था कि राजनीतिक लोकतंत्र में जनता की सरकार जनता के द्वारा जनता के लिए होती है और 1789 में फ्रांस की क्रांति में कहा गया था कि सामाजिक लोकतंत्र का आधार ,समता, स्वतंत्रता और भाईचारा होगा। उन्होंने कहा कि सितंबर 1943 में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने अखिल भारतीय मजदूर संघ के अध्ययन शिविर के समापन सत्र में इसी विषय पर अपने भाषण में कहा था की राजनीतिक लोकतंत्र में लोगों की यह आकांक्षा थी कि उन्हें स्वतंत्रता और संपत्ति का अधिकार होगा और खुशहाल जीवन होगा परंतु आज की चुनावी घोषणाएं वंचितों को सिर्फ गुमराह करती हैं। 


इस बैठक में बिहार के संयोजक महेंद्र कुशवाहा, हमीरपुर के राम हेत अनुरागी, बहराइच से विमल यादव, हरदोई से रामजीवन पाल, महाराजगंज से रामवृक्ष विश्वकर्मा और आयोजक रमेश रावत उपस्थित थे।

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