छठ पूजा में नाक से माथे तक सिंदूर क्यों लगाया जाता है

छठ पर्व भारत के कुछ कठिन पर्वों में से एक है जो 4 दिनों तक चलता है। इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।  पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 

यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए भी किया जाता है। महिलाओं के साथ पुरुष भी यह व्रत करते हैं। इस व्रत में संतान की लंबी आयु, उज्ज्वल भविष्य और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। छठ माता को ब्रह्मा की मानस पुत्री कहा जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इन्हें सूर्य देव की बहन भी कहा जाता है। 

पौराणिक मान्यता के अनुसार  कर्ण का जन्म सूर्य देव के द्वारा दिए गए वरदान के कारण कुंती के गर्भ से हुआ था। यही कारण है कर्ण सूर्य पुत्र कहलाते हैं और सूर्यनारायण की कृपा से इनको कवच व कुंडल प्राप्त हुए थे व सूर्य देव के तेज और कृपा से ही ये तेजवान व महान योद्धा बने। इस पर्व की शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने ही सूर्य की पूजा करके की थी। कर्ण प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य पूजा करते थे और उनको अर्घ्य देते थे। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है। 

सूर्य को जीवन का आधार माना जाता है। रोजाना उगते सूर्य को जल देने से सेहत भी ठीक रहती है। जीवन में जल और सूर्य की महत्ता को देखते हुए छठ पर्व पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। भगवान सूर्य नारायण की कृपा से व्यक्ति को तेज व मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

हिंदू धर्म में सिंदूर सुहाग का प्रतीक होता है. वैसे तो पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं, लेकिन छठ पूजा के दिन नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाने की प्रथा है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए मांग में नारंगी सिंदूर लगाती हैं. मान्‍यता है कि लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है. यह भी मान्‍यता है कि लंबा सिंदूर परिवार में सुख संपन्‍नता का भी प्रतीक है और इस दिन लंबा सिंदूर लगाने से घर परिवार में खुशहाली आती है. 

माना जाता है कि इस‍ दिन अगर कोई महिला नाक से सिर तक लंबा सिंदूर लगाए तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पति दिर्घायु होता है. 

छठ पर्व के दौरान क्या करें? 

  • प्रसाद बनाते समय स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें. भोग तैयार करते समय अपने हाथों और पैरों को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें.
  • पूजा में उपयोग में आने वाले गेहूं को धोने और सुखाने के लिए उपवास रखने वाली महिलाओं का ही सहारा लेना चाहिए. ध्यान रहे कोई पंछी भी एक दाने को झूठा ना कर सके.
  • छठ पर्व में व्रती को नमक खाने की मनाही होती है, इसलिए कद्दू-भात के प्रसाद में सेंधा नमक का प्रयोग करें.
  • उगते सूरज की प्रर्थना करने के बाद ही उपवास तोड़ना चाहिए.
  • छठ पूजा के समय मन में कोई भी कड़वाहट नहीं होना चाहिए. अगर अंजाने में कोई भी गलती होने पर छठ माता से क्षमा मांग लेनी चाहिए. पूजा साफ मन से करें.

छठ पूजा पर क्या ना करें:

  • छठ पर्व के दौरान बनने वाले किसी भी व्यजनों में प्याज और लहसुन का प्रयोग ना करें.
  • पूजा के पहले बच्चों को किसी भी व्यंजन या प्रसाद को झुठा ना करने दें.
  • घर पर किसी भी प्रकार की मांसहारी चीजों का प्रयोग ना करें.
  • पर्व के दौरान घर में शराब व धुम्रपान का प्रयोग ना करें.
  • छठ पूजा पर व्रत करने वाली महिलाओं को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए और क्रोध भी नहीं करना चाहिए.

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