सेवा का फल

  • सदैव प्रसन्न रहिये! जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है!
  • जिसका मन मस्त है, उसके पास समस्त है!

अपनी 8 वर्षीय पुत्री को स्कूल से घर वापस लाने के लिए मैं स्कूल के गेट पर पहुंच गया था , जूनियर के.जी.के छात्र 10 मिनट बाद बाहर आना शुरू करते हैं , जबकि सीनियर छात्र 10 मिनट पहले.

गेट पर अभिभावकों की भीड़ लगी थी . एकाएक तेज़ बारिश शुरु हो गई ! "सभी ने अपनी अपनी छतरी तान ली.

मेरे बगल में एक सज्जन बिना छतरी के खड़े थे , मैंने शिष्टाचारवश उन्हें अपनी छतरी में ले लिया . गाड़ी से जल्दी जल्दी में आ गया छतरी नहीं ला सका ,, उन्होंने कहा . कोई बात नहीं ऐसा अकसर हो जाता है , मैंने कहा..

जब उनका बेटा रेन कोट पहने निकला तो मैंने उन्हें छतरी से गाड़ी तक पहुंचा दिया . उन्होंने मुझे गौर से देखा और धन्यवाद कह कर चले गये.

कल रात में नौ बजे पाटिल साहब का बेटा आया और बोला... अंकल बेबी (उसकी छ:माह की बेटी ) की तबीयत बहुत ख़राब है , उसे डाक्टर के पास ले चलना है . अंधेरी बरसाती रात में जब डाक्टर के यहां हम लोग पहुंचे तो दरबान गेट बंद कर रहा था.

कम्पाऊंडर ने बताया कि डॉ. साहब लास्ट पेशेंट देख रहे हैं और अब उठने ही वाले हैं. अब सोमवार को ही अगला नम्बर लग पायेगा .

मैं कम्पाऊंडर से आज ही दिखाने का आग्रह कर ही रहा था कि डाक्टर साहब चेम्बर से घर जाने के लिए बाहर आये . मुझे देखा तो ठिठक गये और फिर बोले - अरे ! आप आये हैं ? बोलिये भाई साहब -क्या बात है?

कहना नहीं होगा कि डाक्टर साहब वही सज्जन थे जिन्हें स्कूल में मैंने सिर्फ़ छतरी से गाड़ी तक पहुंचाया था. डाक्टर साहब ने बच्ची से मेरा रिश्ता पूछा. मेरे मित्र पाटिल साहब की बेटी है, हम लोग एक ही सोसायटी में रहते हैं , मैंने बताया .

उन्होंने बच्ची को देखा. कागज़ पर दवा लिखी और कम्पाऊंडर को हिदायत दी - यह इंजेक्शन बच्ची को तुरंत लगा दो और दो तीन दिन की दवा अपने पास से दे दो , मैंने एतराज़ किया तो बोले -अब कहां इस बरसाती रात में आप दवा खोजते फिरेंगे सर? कुछ तो अपना रंग मुझ पर भी चढ़ने दीजिये !

बहुत कहने पर भी डॉ. साहब ने ना फीस ली, ना दवा का दाम और अपने कम्पाउंडर से बोले -ये हमारे मित्र हैं, ये जब भी आयें तो इन्हें आने देना और वे हमें गाड़ी तक पहुंचाने आये .

निःस्वार्थ सेवा करते रहिये , शायद आपका रंग औरों पर भी चढ़ जाये ! निःस्वार्थ और निष्काम भाव से की गई छोटी सी सेवा भी कभी व्यर्थ नहीं जाती!..

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