वोटर की जागरूकता देश के विकास की दिशा तय करती है
- जागो वोटर जागो..
- ऐसे आदमी को वोट दो..
- जो आपके क्षेत्र के विकास लिए काम करें..
सुनीता कुमारी
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि," गुजरात विधान सभा चुनाव 2022" दिसम्बर महीने में होगा। गुजरात विधानसभा में 182 सीट के लिए चुनाव होना है। गुजरात के साथ साथ हिमाचल प्रदेश में भी विधान सभा चुनाव होनेवाले है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमशः 8 जनवरी, 2023 और 23 फरवरी, 2023 को समाप्त होगा।
इस सत्र में दोनो प्रदेश में एकसाथ चुनाव कराये जाने जानकरी अन्य सुत्रो से मिल रही है, जबकि इससे पहले दोनो प्रदेश में अलग-अलग समय पर विधान सभा चुनाव हुए है।
इस बार गुजरात में विधान सभा चुनाव बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इस चुनाव में अगर बीजेपी की जीत हुई तो बीजेपी सबसे लम्बे समय तक सरकार चलाने वाली पार्टी बन जाएगी। अब तक यह रिकॉर्ड वामदलों के पास हैं, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में लगभग तीस साल शासन किया था।
गुजरात के पिछले विधान सभा चुनावों में भाजपा ने 99 और कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं। वर्तमान में भाजपा के 111 सदस्य हैं एवं विपक्ष में कांग्रेस के 64 सदस्य है। एक निर्दलीय के अलावा बीटीपी के दो, एनसीपी का एक सदस्य एवं चार सीटें रिक्त हैं।
गुजरात में इसबार की विधान सभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आप की पार्टी भी चुनावी मैदान में जंग के लिए तैयार है। गुजरात के नगर निकाय चुनाव में इस बार सूरत नगर पालिका में 28 पार्षद चुने गए थे, जिसके बाद गुजरात में आम आदमी पार्टी की उम्मीदें बढ़ गई हैं। नगर निकाय चुनाव के साथ-साथ तहसील और पंचायत के चुनाव में भी आम आदमी की पार्टी ने कुछ सीटें हासिल की थी, इस कारण विधानसभा चुनाव में स्थिति ऐसी बन रही है। जैसे लग रहा है कि इस बार भाजपा और आम आदमी की पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है। नेताओं द्वारा आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है, साथ ही दलबदलुओ की भी गतिविधि बढ़ी हुई है, अनेक नेता पलटूबाबू बनकर पार्टी बदल रहे है।
चुनाव में जनता का एक एक वोट जनप्रतिनिधि के जीत या हार का फैसला करती है। इसलिए सभी पार्टी के नेताओ एवं उम्मीदवारों की गतिविधि पर जनता का ध्यान होना चाहिए।
दलबदलूओ को तो एक भी वोट नही मिलनी चाहिए, जो मात्र व्यक्तिगत फायदे के लिए पार्टी बदलते है एवं इस पार्टी से उस पार्टी और इस पार्टी से उस पार्टी पर कीचर उछालते रहते है। जनता को वैसे भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहिए जिन्होंने पिछली चुनाव में जीत हासिल की थी एवं विकास के प्रति उदासीन बने रहे? उन्होंने विकास का कोई कार्य नहीं किया, ऐसे उम्मीदवारों को भी जनता को वोट नहीं देना चाहिए। कुछ जनता चंद रुपयों या दारू की बोतल या शराब की बोतल या कुछ गिफ्ट की लालच में या फिर भोज की लालच में फस जाते हैं ?
ऐसा लोभ जनता को बिल्कुल भी नही करना चाहिए क्योकि क्षेत्र का विकास और क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी सबपर होती है । वोट देनेवाले एक एक वोटर पर होती है ।यदि वोटर लोभवश गलत उम्मीदवार को वोट देता है तो यह क्षेत्र के साथ साथ क्षेत्र में रहने वाले लोगों के साथ अन्याय होगा, गरीबों अशिक्षित तो के साथ अन्याय होगा ,कम आय वाले मजदूरों के साथ अन्याय होगा, सब्जी बेचने वाले रिक्शा चलाने वाले लोगों के साथ अन्याय होगा , क्योंकि गलत उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद सिर्फ अपने लिए काम करता है जनता के लिए नहीं? चुनाव में कई जगह ऐसा भी देखा गया है कि, एक पार्टी लगातार जीत हासिल करती आ रही हैं तो उस पार्टी की सीट पर चाहे कोई भी आदमी उम्मीदवार बन जाए जीत उसी पार्टी की होती है ?
ऐसे क्षेत्रों में लोग पार्टी के उम्मीदवार को नहीं बल्कि पार्टी को वोट देते हैं? ऐसी परिस्थिति में उस क्षेत्र का विकास पूरी तरह से बाधित होता है, क्योंकि लोगों ने पार्टी तो देखा मगर उम्मीदवार की कर्मठता नहीं देखी, उसकी राष्ट्रीयता की भावना को नही देखा ?गलत परिणाम लोगों को भुगतना पड़ता है। वोट देते समय इन सब बातों का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि, पार्टी चाहे जो भी हो उम्मीदवार कर्मठ होना चाहिए।
उम्मीदवार में राष्ट्रवाद की भावना दिखनी चाहिए या कोई ऐसा व्यक्ति उम्मीदवार होना चाहिए जिसने उम्मीदवार होने से पूर्व भी क्षेत्र के लिए काम किया हो।
हमारे क्षेत्र में ऐसे भी कई उम्मीदवार होते हैं जो कर्मठ होते हैं क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं देश की सेवा करना चाहते हैं उसमें देशभक्ति की भावना राष्ट्रवाद की भावना कूट-कूट कर भरी होती है एवं देश के विकास में सहायक होना चाहते हैं परंतु उन्हें मौका ही नहीं मिलता है वो बिना किसी पार्टी के बिना किसी सहारे के निर्दलीय होकर उम्मीदवार बनते हैं परंतु लोग ऐसे उम्मीदवार को भाव ही नहीं देता है?
उस उम्मीदवार के बारे में लोग जान रहे होते हैं कि यह कर्मठ है एवं कार्य करने वाला व्यक्ति हैं क्षेत्र का विकास करने वाला व्यक्ति है परंतु फिर भी उसे जनता नकार देती है क्योंकि उसके पास किसी पार्टी का टैग नहीं है?
हमारे देश की राजनीति में यह देखा गया है कि, उम्मीदवार के पास किसी बड़ी पार्टी का टैग होना जरूरी है तभी लोग उसे वोट देते हैं क्योंकि हमारे यहां चुनाव में उम्मीदवार को वोट
पार्टी देखकर दी जाती है?
इसी प्रचलन ने टिकटो की खरीद बिक्री बढ़ा दी है।
लोग उम्मीदवार को कम और पार्टी को वोट ज्यादा देते हैं? यह कहीं से भी उचित नहीं है। यही एक सबसे बड़ी वजह रही है कि, देश की आजादी के बाद हमारे देश की राजनीति में स्वतंत्रता सेनानी कम और राजनेता ज्यादा राजनीति में आए है।जिसने देश के विकास की दिशा को भटका दिया जिसका परिणाम आज हमारे सामने है।
जिस तरह चुनावी बिगुल बजते ही पार्टी उम्मीदवार सक्रिय हो जाते हैं एक दूसरे को पछाड़ने में लग जाते हैं, उसी तरह हम आम लोगों को भी सही उम्मीदवार चुनने में एकजुटता दिखानी चाहिए ,जाति पति धर्म से ऊपर उठकर के ऐसे व्यक्ति को वोट देना चाहिए जो वास्तव में देशभक्त राष्ट्रवादी हो। उम्मीदवारों द्वारा चुनाव प्रचार के साथ साथ हम आम आदमी को भी सही उम्मीदवार की पहचान के लिए सही उम्मीदवार के चुनाव के लिए ,हम आम आदमी को भी आपसी सहमति बनानी चाहिए।
वोट देते समय हम लोगों ने बहुत लंबे वक्त तक इन सब चीजों की अनदेखी की है परंतु अब अगर अनदेखी करते हैं तो यह देश के लिए अच्छा नहीं होगा क्योंकि राजनीतिक दलों की स्वार्थ लोलुपता भ्रष्टाचार आदि दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है अगर हम वोटर आपस में जागरूक होकर एकजुट नहीं हुए तो परिस्थिति हमें विकट परिस्थिति दिखा सकती है।गलत चुनाव करके हम खुद को और क्षेत्र को मुसीबत में डालते है।
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