सशक्त है बेटियां-डॉ सरिता मौर्य



कार्यालय संवाददाता

चहनिया क्षेत्र के छोटे से गांव जगन्नाथपुर की रहने वाली समाजसेविका डॉ सरिता मौर्य (प्रदेशाध्यक्ष मानवाधिकार सीडब्ल्यूए) ने रविवार को बेटी दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बेटी का जन्म बड़े ही सौभाग्य से होता है, जिस घर में बेटी का जन्म होता है उस घर में हमेशा रौनक रहती है। बेटी हमेशा से परिवारों को जोड़कर रखती है,बेटा एक कुल तो बेटी दो कुलो की रौनक होती हैं।बेटियां हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं, साथ ही साथ भारत राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम् भूमिका निभा रही हैं,भारत राष्ट्र को एक-एक कदम तेजी से उन्नति की तरफ ले जा रही हैं।

आज बेटी दिवस है लेकिन कहीं न कहीं बहुत दु:ख इस बात का है कि बेटियों के ऊपर हो रहे अत्याचार का सिलसिला रुक नहीं रहा है। आज टेक्नोलॉजी का युग है फिर भी कुछ अमानवीय लोग अपनी मानसिकता को नहीं बदल रहे है,इसमें इनके दोष के साथ-साथ उन लोगों का भी विशेष दोष है जो इनका पक्ष लेते हैं।वर्तमान युग में कहीं न कहीं बेटियों के घरेलू हिंसा, भ्रूण हत्या,दुष्कर्म जैसी भयावह स्थिति से बचाने के लिए लोगों व समाज को जागरूक करना ही इसका मूल उद्देश्य है। आज के परिवेश में सरकार द्वारा सबको शिक्षा का समान अधिकार मिला है,सबको समाज में स्वतंत्रता का अधिकार मिला है तो फिर इस प्रकार बेटियों पर खुलेआम अत्याचार क्यों ? क्यों हमारी संवेदनाएं,हमारा जमीर,हमारे सिद्धांत,परिवार का मान-प्रतिष्ठा उन अमानवीय लोगों को रोक नहीं पा रहे हैं।इस उद्देश्य में सबको साथ मिलकर इस पर कार्य करना होगा।सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं बेटियों को विशेष स्थान प्राप्त है,भारत राष्ट्र में बेटियों को लेकर लोगों के नजरिए में सकारात्मक बदलाव आया है,लेकिन अभी भी भारत राष्ट्र को बेटियों के अधिकार दिलाने में एक लम्बा सफर तय करना होगा।अभी हाल में यौन उत्पीडन के मामले में आरोपियों को अग्रिम जमानत न देने का जो निर्णय उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी द्वारा लिया गया है बहुत ही सराहनीय कदम है,यह निर्णय बेटियों की के लिए "सुरक्षा कवच" के साथ सम्मान है।अन्त में डॉ सरिता मौर्य ने कहा कि शिक्षा उन लोगों को भी जरूरी है जो लोग अपने को बेटियों से सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।

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