बुजुर्ग हमारे घर की नींव होते हैं..

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 1 अक्टूबर 2022 पर विशेष 

यदापि पोष मातरं पुत्र: प्रभुदितो धयान्।

इतदगे अनृणो भवाम्यहतौ पितरौ ममां॥

  • बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद..
  • आओ वृद्धावस्था को सुखी बनाए.. 
  • बड़े बुजुर्ग हमारे घर की नींव होते हैं..

बड़े बुजुर्गों के अनुभव और सीख से हम जीवन में आई विपत्तियों से पार पाने में सक्षम होते हैं..

 किशन भावनानी

अंतरराष्ट्रीय स्तरपर हम मनीषियों को को यह समझने की जरूरत है कि वरिष्ठ नागरिक, वृद्धजन, बड़े बुजुर्ग हमारे समाज की अनमोल विरासत होते हैं, उन्होंने अपने समाज और देश को बहुत कुछ दिया है। 

हम बड़े बुजुर्ग वृद्धजनों के सम्मान की करें तो, बचपन से ही हमें घर में शिक्षा दी जाती है कि हमें अपने से बड़ो का सम्मान करना चाहिए। वरिष्ठजन हमारे घर की नींव होते हैं। बुजुर्गों का आशीर्वाद बहुत भाग्य वालों को मिलता है इसलिए सभी को अपने से बड़ों और वरिष्ठजनों का सम्मान करना चाहिए। लेकिन आज के समय में ये कहना अनुचित नहीं होगाकि अबये मात्र औपचारिकता रह गई है। लेकिन हर व्यक्ति को वरिष्ठजनों के प्रति सम्मान और आदर की भावना रखनी चाहिए। प्रति वर्ष 1 अक्टूबर को अंर्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है। 

हमारे देश में बड़े लोगों को ईश्वर अल्लाह के तुल्य और उनके आशीर्वाद को किसी भी काम में सबसे बड़ा सहायक माना जाता है, इसलिए हमारे देश में सभी अपने से बड़ों का सम्मान और आदर करते हैं। फिलहाल अब हालात काफी बदल गए हैं। कई मामलों में वृद्धजनों को अपनी संतानों द्वारा मुश्किलें और दिक्कतें झेलते देखा गया है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के जरिए बुजुर्गों को सम्मान दिलाए जाने के लिए जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं। 

वृद्धजनों की अवहेलना की करें तो, एक पेड़ जितना ज्यादा बड़ा होता है, वह उतना ही अधिक झुका हुआ होता है, यानें वह उतना ही विनम्र और दूसरों को फल देने वाला होता है। यही बात समाज के उस वर्ग के साथ भी लागू होती है, जिसे आज की तथाकथित युवा तथा उच्च शिक्षा प्राप्त पीढ़ी बूढ़ा कहकर वृद्धाश्रम में छोड़ देती है। वह लोग भूल जाते हैं कि अनुभव का कोई दूसरा विकल्प दुनिया में है ही नहीं। अनुभव के सहारे ही दुनिया भर में बुजुर्ग लोगों ने अपनी अलग दुनिया बना रखी है। जिस घर को बनाने में एक इंसान अपनी पूरी जिंदगी लगा देता है, वृद्ध होने के बाद उसे उसी घर में एक तुच्छ वस्तु समझ लिया जाता है। बड़े बूढ़ों के साथ यह व्यवहार देखकर लगता है जैसे हमारे संस्कार ही मर गए हैं। बुजुर्गों के साथ होने वाले अन्याय के पीछे एक मुख्य वजह सामाजिक प्रतिष्ठा मानी जाती है। 

सब जानते हैं कि आज हर इंसान समाज में खुद को बड़ा दिखाना चाहता है और दिखावे की आड़ में बुजुर्ग लोग उसे अपनी सुंदरता पर एक काला दाग़ दिखते हैं। बड़े घरों और अमीर लोगों की पार्टी में हाथ में छड़ी लिए और किसी के सहारे चलने वाले बुढ़ों को अधिक नहीं देखा जाता, क्योंकि वह इन बूढ़े लोगों को अपनी आलीशान पार्टी में शामिल करना तथाकथित शान के ख़िलाफ़ समझते हैं। 

रुढ़िवादी सोच उच्च वर्ग से मध्यम वर्ग की तरफ चली आती है। आज के समाज में मध्यम वर्ग में भी वृद्धों के प्रति स्नेह की भावना कम हो गई है। 

हम भारत में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भरण पोषण और कल्याण (संशोधन) विधेयक 2019 की करें तो यह 11 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था, सामाजिक न्याय और अधिकारिता संबंधी स्थाई समिति की रिपोर्ट 29 जनवरी 2021 को लोकसभा में प्रस्तुत की गई थी अभी मानसून सत्र में शेड्यूल किया गया था। 

इसमें वृद्धजनों का जीवनसुरक्षित करने संबंधी अनेक प्रकार के प्रावधान हैं जिसमें बच्चों की परिभाषा में बदलाव, नाबालिक बच्चों का शामिल करना, माता पिता की परिभाषा में सांस सुर, दादा दादी, नाना नानी को शामिल करना, भरण पोषण में स्वास्थ्य देखभाल बचाव और सुरक्षा को शामिल करना है ताकि गरिमापूर्ण जीवन जी सकें इत्यादि अनेक सुधार इस संशोधन के माध्यम से किए गए हैं।  

हम बुजुर्ग अवस्था के पड़ाव की करें तो, बबुजुर्गावस्था हर इंसान के जीवन का एक पड़ाव है। इस समय में व्यक्ति को प्यार सम्मान और अपनेपन की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। जिन लोगों पर बुजुर्गों का साया होता है वे लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं। 

बुजुर्ग ही हमें जीवन जीने का सही मार्ग सिखाते हैं। उनके अनुभव और सीख से जीवन में हम किसी भी कठिनाई को पार करने में सक्षम होते हैं। 

इसलिए हमें कभी भी उनके प्रति उपेक्षा का भाव नहीं रखना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय  वृद्धजन दिवस को पूरी तरह से बुजुर्गों के लिए समर्पित किया जाता है। इस दिन उनके सम्मान में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 

वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों का खुशी का ध्यान रखते हुए कई तरह के आयोजन किए जाते हैं। इस दिन बुजुर्गोंको होने वाली समस्याओं और उनकी सेहत के विषय में गंभीरता पूर्वक विचार किया जाता है। हम हमारे शास्त्रों में बुजुर्गों के सम्मान की करें तो, यजुर्वेद का उल्लेख, हमारे शास्त्रों में भी बुजुर्गों का सम्मान करने की राह दिखलायी गई है। यजुर्वेद का निम्न मंत्र संतान को अपने माता-पिता की सेवा और उनका सम्मान करने की शिक्षा देता है.

यदापि पोष मातरं पुत्र: प्रभुदितो धयान्।

इतदगे अनृणो भवाम्यहतौ पितरौ ममां॥

जिन माता-पिता ने अपने अथक प्रयत्नों से पाल पोसकर मुझे बड़ा किया है, अब मेरे बड़े होने पर जब वे अशक्त हो गये हैं तो वे 'जनक-जननी' किसी प्रकार से भी पीड़ित न हों, इस हेतु मैं उसी की सेवा सत्कार से उन्हें संतुष्ट कर अपा आनृश्य (ऋण के भार से मुक्ति) कर रहा हूँ। 

हम वृद्धजन दिवस के इतिहास की करें तो, सन् 1990 में अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यव्हार और अन्याय पर रोकथाम के लिए यह दिवस मनाने का निर्णय किया गया था। 

14 दिसंबर सन् 1990 में 1 अक्टूबर के दिन हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस या अंर्तराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाने का फैसला किया गया। 1 अक्टूबर सन 1991 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया गया। इस दिवस की शुरुआत के बाद सन् 1999 को बुजुर्ग वर्ष के रुप में मनाया गया। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 1 अक्टूबर 2022 पर विशेष है। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद, आओ वृद्धावस्था को सुखी बनाए। बड़े बुजुर्ग हमारे घर की नींव होते हैं बड़े बुजुर्गों के अनुभव और सीख़ से हम जीवन में आई विपत्तियों से पार पाने में सक्षम होते है 

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