दादा दादी परिवार के लिए करते हैं समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य -ज्योति बाबा

  • परिवार को विखंडन से रोकने के लिए दे घर के बड़े बुजुर्गों को सम्मान 
  • घर के बड़े बुजुर्गों से बच्चों में आती है स्वस्थ जीवन जीने की कला
संयुक्त परिवार प्रणाली है बच्चों के लिए वरदान
  • दादा दादी भी जीवन के नए चरण में सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाएं.

कानपुर। बुजुर्ग पीढ़ी के लोग भावी लोगों के लिए सारथी की भूमिका निभाते हैं वह हमारे जीवन के जिंदा इतिहास के साक्ष्य होते हैं हर कोई अपने दादा दादी से अथाह प्रेम करता है दादा या दादी पोता पोती के रिश्ते एक अच्छे दोस्त से भी बढ़कर होते हैं वह हमें ना सिर्फ ढेर सारा प्यार देते हैं बल्कि ज्ञानरूपी मोती भी प्रदान करते हैं

उपरोक्त बात नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के तहत सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में ग्रैंड पेरेंट्स डे के अवसर पर आयोजित ई-संगोष्ठी शीर्षक क्या आज हम अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान कर पा रहे हैं पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के नेशनल ब्रांड एंबेसडर प्रदेश प्रभारी योग गुरु ज्योति बाबा ने कही, ज्योति बाबा ने आगे कहा कि भारतीय संस्कृत में बड़ों के आशीर्वाद भी जीवन में कामयाबी के अंग माने जाते हैं हम जानते हैं कि दादा और दादी का साथ जीवन भर नहीं रह पाता है उम्र की अपनी एक सीमा होती है इस कारण हमारा सौभाग्य होता है कि हम उनके साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत कर सकें उनके अनुभव का लाभ उठाते हुए आशीष प्राप्त करें,

ज्योति बाबा ने जोर देकर कहा कि जिन परिवारों में बच्चों को माता-पिता दादा-दादी से अच्छे रिश्ते बनाए रखने का माहौल देते हैं उन घरों में कम उम्र में आया थोड़ा तनाव व प्रेम विषय के कारण आत्महत्या ना के बराबर होती है आरआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि दादा दादी परिवार के लिए समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करते हैं आप उन पर कभी भी भरोसा कर सकते हैं जैसे-जैसे वे बूढ़े होते जाते हैं उन्हें भी ध्यान और देखभाल की आवश्यकता होती है जिसे केवल संयुक्त परिवार में रहकर ही पूरा किया जा सकता है। 

बुंदेलखंड अध्यक्ष अंचल अडजरिया ने कहा कि दादा-दादी द्वारा सिखाए गए जीवन के सबक किसी भी पुस्तकों को पढ़कर या किसी भी कक्षा में पढ़कर नहीं सीखे जा सकते माता-पिता पोता पोती और दादा दादी के बीच जुड़ने के बिंदु हैं और उन्हें यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी कि वह इस संबंध को जीवित बनाए रखें। 

जिला प्रभारी झांसी इंजीनियर विनोद वर्मा व अध्यक्ष चौधरी संतराम पेंटर ने संयुक्त रूप से कहा कि संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे दादा दादी से जीवन के लिए जरूरी अच्छे नैतिक मूल्यों और अन्य मूल्यवान सबक सीख सकते हैं दादा दादी परिवार की जड़ के रूप में जाने जाते हैं इस संगोष्ठी की अध्यक्षता मध्य प्रदेश प्रभारी स्वामी सत्यनाथ व संचालन मानवाधिकार वादी वूमेन एक्टिविस्ट गीता पाल तथा धन्यवाद प्रदेश उपाध्यक्ष अंजू सिंह ने दिया। अन्य प्रमुख विचारक भोला जैन प्रभारी आगरा,एडवोकेट छोटे लाल वर्मा, डॉक्टर दिनेश बाबू, गोपाल सहरिया इत्यादि थे।

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