सफेद दूध का काला धंधा
दूध में उफ़ान-3
- 60 रुपये लीटर के बाद भी इंदौर को शुद्ध दूध नसीब नही, 80 प्रतिशत दूध में मिलावट
- दूध का क्रीम निकालकर सप्रेटा मिलाकर बेच रहे दुकानदार, जांच के नाम पर जीरो बटा सन्नाटा
- दूध नापने के नाप में भी मर्जी से फेरबदल, कोई जांचने वाला नही
नितिनमोहन शर्मा
किसानों से ठोक बजाकर दूध लेने वाले दुकानदार क्या अपने ग्राहक को वैसा ही दूध पिला रहे है, जैसा वो किसान से लेते है? कितनी दुकानें ऐसी है जो गांव से चली दूध की केन को सीधे बड़े तपेले में उड़ेलकर अपने ग्राहकों को वो ही दूध देती है? क्या इस शहर में ऐसी भी कोई दुकान का नाम सुना है जो ग्राहक के लिए दूध जांचने की वैसी ही व्यवस्था करती है जैसे वे किसान से दूध लेते वक्त जांचते है?
दूध के धंधे के जानकार बताते है कि शहर में 80 प्रतिशत से ज्यादा दूध पानी मिला हुआ बिक रहा है। कुछ का इससे भी पेट नही भरता। वे क्रीम खींचकर दूध में सप्रेटा मिलाकर बेच रहे है। चीलर के जरिये दूध को गाढ़ा बनाने का गोरखधंधा भी अब इस शहर में शुरू हो गया है।
सफेद दूध के इस धंधे को काला करने वालो के हौसले इस कदर बुलंद है कि वे दूध नापने के माप को भी अपनी सुविधा हिसाब से घटा बड़ा रहे है। किसी मे उपर से घिसकर छोटा कर रखा है तो किसी ने नीचे से ठोक कर। सड़क पर पल्ली बिछाकर सब्जी बेचने वालों के तोल कांटे उठाने वाले अमले को फुर्सत ही नही दूध की दुकानों के इन माप को जांचे।
दूध की शुद्धता की जांच, दूध की दुकानों की जांच का समाचार पड़े कितने साल हो गए? याद है क्या? बस इससे साफ हो जाता है कि शहर में सफेद दूध का धंधा दिन ब दिन "काला ढुस" क्यो होता जा रहा है?
दूध की ज्यादातर दुकानों पर दूध का क्रीम निकाल लिया जाता है। उस क्रीम से दुकानदार घी बनाकर मुनाफा कमा रहे है और ग्राहक पतला दूध ले रहे है। मिलावटी दूध भी बहुतायत में शहर में बिक रहा है। अब तो इंदोरियो भी सिंथेटिक दूध का केंद्र बनता जा रहा है। दूध में सप्रेटा का दूध मिलाया जा रहा है। गाय का दूध कम दाम में मिलता है।
भैंस ओर गाय के दूध में कम से कम 10 रुपये प्रति लीटर का अंतर रहता है। दुकानदार भैंस के दूध में गाय का दूध मिलाकर मिलावट कर रहे है और सीधे एक लीटर पर 10 रुपये तक का मुनाफा कूट रहे है।
जांच के नाम पर जीरो बटा सन्नाटा जैसी स्थिति है। आप मे से किसी ने बीते साल छ महीने में भी सुना कि सरकारी जांच दल ने किसी दुकान पर आकस्मिक जाकर जांच की? किसी दल ने घी दूध दही की क्वालिटी जांची? साल में एक बार नकली मावा पकड़ने वाले दल को क्या ये नही पता कि इंदौर का पोलोग्राउंड में दूध को लेकर क्या चल रहा है?
कभी इस शहर में किसी भी चोराहे पर अचानक से दूध की टँकीया चेक करने अमला रहता था। अब ये अमला कहा है? क्या उसे नोकरी से हटा दिया या वो हड़ताल पर है?
हैरत की बात है कि मिलावटी दूध बेचने के बाद भी मिलावटखोरो का पेट नही भरता। अब तो दूध नापने का नाप भी वे उपर नीचे से छोटा कर हर लीटर पर 100-50 ग्राम की चोरी कर रहे है, जैसे पेट्रोल पंप पर 110 रुपये देने के बाद भी सब जानते है कि गाड़ी के अंदर एक लीटर पेट्रोल गया ही नही।
भले ही मशीन दिखा रही है। ठीक ऐसे ही नाप फूल भरा आपके सामने। आप संतुष्ट। लेकिन जैसे पेट्रोल की मशीन के अंदर गड़बड़ी वैसे ही नाप ही गड़बड़ तो आप क्या कर लोगे? लेकिन हैरत की बात है कि इस गड़बड़झाले को पकड़ने जांचने के लिए कही कोई मूवमेंट नही।
याद है क्या आप लोगो को इस शहर में मिलावटी दूध के खिलाफ कोई अभियान या मुहिम चली हो? 60 रुपये देने के बाद भी इस शहर को शुध्द दूध नसीब नही। अब इस शहर के बाशिंदे अपने ये फूटे नसीब लेकर कहा जाए? कोई बोलने वाला नही।
शहर के जिम्मेदार सब देख समझ और पड़ रहे है लेकिन मजाल है एक शब्द मुंह से निकला या कलम से लिखा गया हो। कांग्रेस को अभी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की फिक्र है। भाजपा के पास अभी निगम मण्डल में नियुक्ति का मसला सुलझाना है। खुलासा फर्स्ट ने जन सरोकार के तहत आप तक, जिम्मेदारों तक बात पहुंचा दी।
- अब इतंजार है किसी एक जिम्मेदार का ज़मीर जाग जाने का...
- तो तब तक मेरे प्यारे इंदौर...
- पूरा दाम चुकाकर पियो मिलावटी दूध...!!
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