हेलमेंट और पत्नी दोनों सुरक्षा कवच!

  • हेलमेंट और पत्नी दोनों का स्वभाव एक जैसा..
  • सिर पर बिठाके रखो तो जान बची रहेगी?
  • नारी त्याग की मूरत.
  • हर रिश्ते को अपनत्व, कर्तव्य, ज़वाबदारी से निभाने में परिपूर्ण

किशन सनमुखदास

वैश्विक स्तरपर नारी का सम्मान हर देश में किया जाता है। नारी के हक़, अधिकार, समानता का भाव इत्यादि अनेक अवसरों के लिए वैश्विक स्तर पर अनेक दिन मनाए जाते हैं। हमने अभी 8 मार्च 2022को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े जोरदार ढंग से और शिद्दत के साथ मनाया। साथियों आधी आबादीके तौर पर महिलाएं हमारे समाज -जीवन का एक मजबूत आधार है। महिलाओं के बिना इस दुनिया की कल्पना करना ही असंभव है। कई बार महिलाओं के साथ पेशेवर जिंदगी में भेदभाव होता है। 

घर-परिवार में भी कई दफा उन्हें समान हक़ और सम्मान नहीं मिल पाता है। फिर वे जूझती हैं। संघर्ष कर करती हैं और इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में उनका ही सर्वाधिक योगदान है।महिला/स्त्री/नारी/औरत शब्द कुछ भी हो, मां/बहन/बेटी/पत्नी रिश्ता कोई सा भी हो वे हर जगह सम्मान की हकदार है। चाहे वह शिक्षक/वकील/डॉक्टर/पत्रकार/सैनिक/सरकारी कर्मी/इंजीनियर जैसे किसी पेशे में हों या फ़िर गृहिणी ही क्यों न हों, समानता, सम्मान का अधिकार उन्हें भी उतना ही है, जितना की पुरुषों का है।  

आज हम इन अधिकारों में जो नारी का पत्नी के रूप में सराहनीय ज़वाबदारी निभाने से संबंधित है, जो ग्रहणी के साथ घर का प्रबंधन, सास ससुर की माता पिता के रूप में सेवा, पति के जीवन में हर मोड़ पर संगिनी का रूप होता है, पत्नी को हर पति और परिवार द्वारा सम्मान दिए जाने को रेखांकित करना जरूरी है। मीडिया में या हम कई जगहों पर एक व्यंग्य या जोक्स के रूप में पढ़ते हैं कि हेलमेंट और पत्नी दोनों का स्वभाव एक जैसा होता है सिर पर बिठाके रखो तो जान बची रहेगी! इसमें भी हम सकारात्मकता और गंभीरता से सोचे तो यह सच है कि जो नारी पत्नी के रूप में इतनी जवाबदारियां निभाती है वह सम्मान की हक़दार तो होगी ही! यहां हम सिर पर बैठाके रखो से का अर्थ मान सम्मान और उसके हक़ के संबंध में करते हैं, और करें भी क्यों ना? क्योंकि हमने अनेक बार यह कहावत सुने हैं कि पुरुष की सफ़लता के पीछे नारी का हाथ होता है। अनेकों बार पति की सफलता के पीछे भी पत्नी का बहुत बड़ा हाथ होता है कुछ अपवादों को छोड़ दें तो वह हर स्थिति, परिस्थितियों में पति का साथ देती है।  

हम पतिपत्नी के दांपत्य जीवन में सोच की करें तो, दांपत्य जीवन में पति-पत्नी की अलग सोच रिश्ते को कमजोर कर सकती हैं। जब पति पत्नी के विचार एक दूसरे से नहीं मिलते तो लड़ाई या टकराव होना स्वभाविक है। हर किसी व्यक्ति का स्वभाव अलग-अलग होता है और अगर दो अलग स्वभाव के व्यक्ति एक रिश्ते में बंध जाएं तो ऐसे में समझदारी से काम लेना जरूरी है। लेकिन कभी-कभी गलत फैसले लेने से रिश्ते में गलतफहमी बढ़ती चली जाती है और रिश्ता टूटने लगता है। ऐसे में समय रहते रिश्ते को बचाना जरूरी है। बता दें कि कुछ तरीके रिश्ते में खुशहाली और प्यार दोनों ला सकते हैं। ऐसे अनेक तरीक़े हैं जो अलग-अलग स्वभाव के व्यक्ति एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाने के लिए अपना सकते हैं। 

दांपत्य जीवन में आपस में सामंजस्य बैठाने की करें तो, अगर आपकी अपने पार्टनर के साथ कई मसलों पर सहमति नहीं होती हैं तो ऐसे में लड़ाई करने के बजाए कोई ऐसा रास्ता निकालें, जिससे आपका और आपके पार्टनर का दोनों की बात का मान रह जाए, हर व्यक्ति की अपनी पसंद अपनी इच्छा होती है। ऐसे में अपने पार्टनर पर उस इच्छा को ठोकना गलत बात है। अपने पार्टनर को पर्सनल स्पेस से दें। हमेशा दांपत्य जीवन में एक दूसरे को सामान समझे और दोनों के फैसले को महत्व दें। 

दांपत्य जीवन में रिश्ते और परिवार के स्वभाव की करें तो, दांपत्य जीवन में एक दूसरे से प्यार करने के साथ-साथ उसकी इज्जत करना भी बेहद जरूरी है। ऐसे में यदि आपको पता है कि आपके पार्टनर का स्वभाव अलग है या उसके कुछ फैसले आपको पसंद नहीं हैं तो उसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप अपने पार्टनर के स्वभाव को बदलें। ऐसा करने से आपके पार्टनर को लग सकता है कि आप उससे प्यार नहीं करते और आप को उनके कारण शर्मिंदगी होती है। ऐसे में अपने पार्टनर का स्वभाव बदलने के बजाय आप अपने पार्टनर को अपनी परेशानी के बारे में बताएं और एक दूसरे से बातचीत करें।  

सिर पर  बिठाके रखो तो जान बची रहेगी की करें तो इस आर्टिकल का उद्देश्य दांपत्य जीवन में पति पत्नी को हर्ट करना नहीं है। इसका मतलब हमें पत्नी को सम्मान, अधिकार देने से है न कि पत्नि या पति को हर्ट करने की!! क्योंकि सामान्यतः मीडिया में यह पंक्ति हास्य, व्यंग्य, जोक्स के रूप में ही आती है परंतु हमें इस व्यंग्य और जोक्स को भीसकारात्मकता से रेखांकित करने की जरूरत है क्योंकि एक सुखी दांपत्य जीवन के लिए पत्नी को हक़, अधिकार, प्यार और महत्व देना वर्तमान समय की नजाकत को देखते हुए जरूरी भी है क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि इसकी हर पत्नी हकदार भी है। हालांकि इसके साथ पत्नी को भी पूरी शिद्दत के साथ अपनी जवाबदारी, कर्तव्य निभाने की उतनी ही जरूरी है जितना इस पंक्ति को सकारात्मक और गंभीरता से रेखांकित करना जरूरी है 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि यह आलेख हेलमेट और पत्नी दोनों सुरक्षा का कवच है?!! हेलमेंट और पत्नी दोनों का स्वभाव एक जैसा!! सिर पर बिठा कर रखो तो जान बची रहेगी?!!नारी त्याग की मूरत है, हर रिश्ते को अपनत्व, कर्तव्य, जवाबदारी से निभाने में परिपूर्ण है। 


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