सम्राट अशोक शक्तिशाली मौर्य राजवंश के महानायक
सम्राट अशाेक माैर्य पर विशेष
सुजाता मौर्या
सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी (अशोकाष्टमी) तिथि पर पाटलिपुत्र में हुआ था।
अशोक का पूर्ण नाम अशोक वर्धन मौर्य है, जिसे हम सभी सम्राट अशोक के नाम से जानते हैं। अशोक का अर्थ बिना शोक का अर्थात जिसे कोई दुःख न हो।
देवनाम्प्रिय, प्रियदर्शी, चक्रवर्ती सम्राट, कलिंग विजेता, अशोक महान आदि प्रमुख नामों से सम्राट अशोक की विजय गाथा प्रचलित है।
सम्राट अशोक शक्तिशाली मौर्य राजवंश के महानायक अखंड भारत के निर्माता सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के पौत्र तथा महाराज बिंदुसार के पुत्र थे।
अशोक की पत्नी का नाम देवी तथा पुत्र का नाम महेंद्र व पुत्री का नाम संघमित्रा था।
बचपन से ही अशोक युद्ध कौशल में निपुण, साहसी, बुद्धिमान, उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण थे। 18 वर्ष की आयु में ही अशोक को उज्जैन के अवंती प्रान्त का वायसराय नियुक्त किया गया।
अशोक महान के दरबार में नौ रत्न अर्थात नौ सलाहकार थे। जिनके कारण ही सम्राट अपनी शासन व्यवस्था को शक्तिशाली और सुदृढ़ बनाए रखने में सक्षम हुए।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक का शासन काल सबसे अधिक लगभग 40 वर्ष की रही, जबकि उनके पिता सम्राट बिन्दुसार का शासन काल लगभग 25 वर्ष और मौर्य वंश के संस्थापक सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य का शासन काल लगभग 24 वर्ष का था।
अशोक के समय में भारत की सीमा उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण और मैसूर तक तथा पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफ़गानिस्तान तक फैली हुई थी। जो कि अखण्ड भारत की सबसे विशाल छवि बनाती है।
अशोक का साम्राज्य जहां तक पहुंचा वहां उन्होंने अशोक स्तंभ बनवाए। उनके हजारों स्तंभों को मध्यकाल के मुस्लिम शासकों ने ध्वस्त कर दिया।
कलिंग विजय करने के दौरान हुए जन-हानि से दु:खी होकर सम्राट अशोक ने शान्ति की खोज के मार्ग पर निकल पड़े और बौद्ध भिक्षु के माध्यम से महात्मा बुद्ध के करुणा और दयालुता के वचनों से प्रभावित हुए और बौद्ध मत के प्रबल समर्थक बने।
बौद्ध मत को विश्व के अनेक देशों जैसे कि श्रीलंका, नेपाल, सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान, यूनान तथा मिस्र तक प्रसारित करने का श्रेय सम्राट अशोक को ही जाता है।
श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु महेंद्र और संघमित्रा को ही उत्तरदायित्व दी गई थी।
सम्राट अशोक जैसा शासक भारत भूमि पर आज तक जन्म नहीं लिया, अशोक के शासन काल में सम्पूर्ण मानवता, जीव-जन्तुओं और पर्यावरण सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए अनेक उपयोगी कार्य किए गए। जो आज भी इतिहासकारों में कौतुहल का विषय है।
विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों की स्थापना मौर्यो द्वारा की गयी, जिसमें नालंदा विश्वविद्यालय प्रमुख हैं..
अशोक के शासन कालखण्ड में भारत के अन्दर अनेक विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी, जिसमें नालंदा विश्वविद्यालय प्रमुख हैं।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक स्तंभ से लिए गए अशोक चक्र को स्थान दिया गया है तथा चार शेरों वाले चिह्न को राष्ट्रीय चिह्न का सम्मान दिया गया है।
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