सपा-भाजपा में एक होगा भितर घातियों का शिकार?
लेखराम मौर्य
लखनऊ। जिले की मलिहाबाद विधानसभा से प्रत्याशियों की घोषणा होते ही जहां एक ओर भाजपा, सपा और कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं वहीं भाजपा और सपा के उम्मीदवारों को भितरघात का डर सता रहा है क्योंकि भाजपा के पुराने कार्यकर्ता और नेता प्रत्याशी बदलने की मांग कर रहे थे वहीं सपा में एक वर्ग इंदल रावत और दूसरा वर्ग राजबाला के लिए पार्टी से टिकट मिलने की आस लगाए था लेकिन पहली बार समाजवादी की पूर्व सांसद सुशीला सरोज के मलिहाबाद का प्रत्याशी घोषित होते ही सभी वर्गों ने एक स्वर में विरोध करना शुरू कर दिया जिसके बाद पार्टी अध्यक्ष को अपना निर्णय बदलना पड़ा।
समाजवादी पार्टी ने अपना निर्णय बदलते हुए सुशीला सरोज को मोहनलालगंज के वर्तमान विधायक अम्बरीश पुष्कर का टिकट काटकर उनकी जगह प्रत्याशी बना दिया वहीं सुशीला सरोज के कहने से ही पार्टी ने इंदल रावत और राजबाला का टिकट काटकर सुरेंद्र कुमार उर्फ सोनू कनौजिया को मलिहाबाद विधानसभा का प्रत्याशी बना दिया। यहाँ पर जैसे ही सपा ने सोनू कनौजिया को मलिहाबाद विधानसभा का प्रत्याशी घोषित किया वैसे ही पूर्व विधायक इंदल रावत सपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और बागी होकर मलिहाबाद क्षेत्र से ही कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में आ गए।
पूर्व प्रत्याशी रही राजबाला को टिकट न मिलने से काकोरी क्षेत्र के उनके समर्थक कई यादव नेता पार्टी से नाराज हो गए और सपा के बजाय भाजपा को जिताने के लिए अंदरूनी तौर पर लग गए बताए जाते हैं। इसके अलावा कांग्रेस से टिकट मिलने से इंदल रावत के समर्थक उनके साथ हो गए अब देखना होगा कि इंदल रावत और राजबाला के समर्थक सपा को कितना नुकसान पहुंचाते हैं।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की लहर में चुनाव जीतने वाली क्षेत्रीय विधायक जयदेवी कौशल ने पिछले 5 साल में जिस तरह से पुराने नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर नए लोगों का कद बढ़ाते हुए उनको हर तरह से समर्थन और सहयोग करते हुए विकास खंडों में ब्लाक प्रमुख के पदों पर बैठाने के साथ ही ठेकेदारी देने का काम किया है उससे काफी संख्या में अन्य वर्गों के लोग पार्टी से कम और क्षेत्रीय विधायक से अधिक नाराज दिखाई दे रहे हैं जिसका नतीजा आने वाले समय में दिखाई पड़ेगा क्योंकि यहां सांसद की अपनी बिरादरी के लोगों के अलावा सवर्णों में भी एक गुट नाराज है जो भाजपा के साथ भितरघात कर सकता है जैसा कि पिछले कुछ माह पहले पंचायत चुनाव में देखने को मिला था जहां सांसद की बहू सहित उनके कई समर्थकों की जमानत जप्त हो गई थी फिर भी आज वह विधायक को जिताने का दम भरते हैं।
इसी तरह बहुजन समाज पार्टी में जो लोग टिकट मांग रहे थे उनको टिकट न देकर लोकदल के पूर्व प्रत्याशी रहे जगदीश रावत बसपा में शामिल होकर यहां से बसपा के प्रत्याशी और प्रभारी बना दिए गए जिससे बसपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिलने लगी। प्रत्याशी का चयन होने से जहां एक ओर बसपा के विधानसभा अध्यक्ष मिंटू मौर्य ने बसपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है वहीं काफी संख्या में बसपा समर्थक पार्टी के उम्मीदवार को डमी बताकर सपा का समर्थन करने की बात कर रहे हैं।
ऐसे में समर्थकों का कहना है कि इस क्षेत्र में बसपा बहुत पीछे हैं जो भाजपा को हरा नहीं सकती है इसलिए हम लोग भाजपा को हराने के लिए सपा को समर्थन देंगे।
यहाँ पर इसके अलावा जन अधिकार पार्टी के उम्मीदवार रमेश कुमार गौतम जो क्षेत्रीय होने के साथ-साथ योग्य और साफ-सुथरी छवि के हैं। इस बार रमेश कुमार जन अधिकार पार्टी के अलावा एआईएमआईएम और पीस पार्टी के समर्थन से संयुक्त प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
रमेश कुमार गौतम बिरादरी से होने के कारण अपनी बिरादरी के मतों के अलावा सभी पार्टियों के नाराज मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं परंतु किसी भी उम्मीदवार की जीत का दावा अभी नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस बार किसी भी पार्टी की हवा नहीं चल रही है तथा भितरघात के कारण हर एक उम्मीदवार की हवा निकली हुई है।
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