जीवन में आशा के प्रति आकर्षित होना ही जीवन
सुनीता कुमारी
पूर्णियां बिहार आशा और निराशा दो ऐसे विपरार्थक शब्द है जो जीवन की दिशा और दशा तय करती है। जहां आशावान व्यक्ति के लिए जीवन सरस और सुंदर है, वही निराश से घिरे व्यक्ति के लिए जीवन बेकार और बेमतलब है। आशा हौसला, हिम्मत और मजबूती देता है,तो निराश,व्यक्ति को डरपोक, दब्बू और असफल बना देता है। आशावान व्यक्ति धरती पर हर तरफ जीवन ढूंढता है तो निराशा से व्यक्ति धरती पर हर तरफ दुख तकलीफ और मृत्यु देखता है।
आशा अमृत है तो निराशा विष। निराशा से घिरे व्यक्ति अपने चारों तरफ नकारात्मकता का ऐसा जाल बुनता है जिससे जीवन का कोई अर्थ ही नही रह जाता।किंकर्तव्यविमूढ़ होकर यूं ही पूरा जीवन बीता देता है । जीवन में मिलनेवाली असफलता एवं दुख का श्रेय दूसरों को देकर, खुद को श्रेष्ठ साबित करता है, मगर असफलता तथा दुख से बाहर निकलने की कोशिश ही नही करता है ।निराशा का भाव व्यक्ति के लिए इतना खतरनाक होता है कि व्यक्ति अवसाद को शिकार हो जाता है,अत्महत्या तक की बातें व्यक्ति के दिमाग में चलने लगती है।
वही आशावान व्यक्ति के लिए जीवन में कोई मुश्किल नही होती है।चाहे वो व्यक्ति जिस भी परिस्थिति में रहे, जिस भी हाल में रहे, खुश रहने का तरीका ढ़ूढ ही लेता है।संघर्ष करके वो हर चीज हासिल कर लेता है जिसका सपना व्यक्ति जीवन में देखता है।हमारे समाज में उदाहरण की कभी नही है जिसमें व्यक्ति अपनी आशावान सोच की वजह से समाज के लिए उदाहरण बन गया है।
आशा व्यक्ति को अर्श पर पहुंचाता है तो निराशा फर्श पर। आशावान व्यक्ति हर मुश्किल से लड़कर जीत हासिल करता है वही निराशावान व्यक्ति लड़ने से पहले ही हार जाता है।
मैं करीब सात साल की थी, उस समय मैंने एक हिंदी फिल्म देखी थी जिसका नाम तो मुझे याद नहीं है ,मगर उस कहानी ने मुझे जीवन में हमेशा के लिए आशावाद बना दिया। उस फिल्म की कहानी से मुझे इतनी प्रेरणा मिली कि मैं हमेशा के लिए आशावान प्रवृति की बन गई। जीवन में मिलनेवाले दुख और संघर्ष से दुखी तो होती हूँ मगर निराश नही।
आज भी वह फिल्म मेरे जेहन में जिंदा है। फिल्म की कहानी कुछ इस तरह थी फिल्म में एक अविवाहित लड़की थी,जो निराश थी जीवन के प्रति उसका कोई मोह ही नही था जीवन से लगाव ही नही था।वह अस्पताल में भर्ती थी ह्रदय की बीमारी से पीड़ित थी।उसके ह्रदय के तीन वाल्व खराब हो चुके थे एक वॉल काम कर रहा था डॉक्टरों ने कह दिया था कि, वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सकेगी।
जिस अस्पताल में वह लड़की इलाज के लिए भर्ती थी, उसी अस्पताल में एक नया ह्रदय का डॉक्टर अस्पताल में आया। उस लड़की का इलाज उस डॉक्टर के माध्यम से होने लगा ।लड़की को वह डॉक्टर बहुत बहुत अच्छा लगता था। डॉक्टर के व्यवहार से लड़की इतनी खुश रहती थी कि धीरे-धीरे डॉक्टर से प्रेम करने लगी ।
प्रेम, खुशी और आशा ने उसमें इतना हौसला भर दिया कि वह जिंदगी की तरफ लौटने लगी। धीरे-धीरे करके उसकी बीमारी ठीक होने लगी।उसके ह्रदय के वाल्व ठीक होने लगे। डॉक्टर भी आश्चर्यचकित थे ,उसके स्वास्थ्य में सुधार देखकर।इसे डॉक्ट चमत्कार ही मान रहे थे।
धीरे-धीरे लड़की पूरी तरह से स्वस्थ होने के कगार पर थी। फिर एक दिन लड़की पता चला कि ,जिससे वह प्रेम करती है वह शादीशुदा है। लड़की फिर से निराश हो गई, अंदर से टुट गई। डॉक्टर के शादीशुदा होने से उसे इतना सदमा लगा निराशा की गर्त में ऐसे गिरी कि जिंदगी से हार गई, उसकी मृत्यु हो गई।
कहानी को देखने के बाद मैं अंदर तक हिल गई कि , किस तरह अगर आदमी आशावान हो तो ,मौत के मुंह से भी लौट सकता है ,और अगर निराश के घेरे में गिरा हो तो उसे जिंदगी भी नहीं बचा सकती है । इसलिए हमेशा जीवन के प्रति हर किसी को आशावाद रहना चाहिए ।
जीवन के प्रति अपनी सोच को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए ।समय के साथ चलना चाहिए। समय के अनुसार खुद को ढालना चाहिए और समय की मांग के अनुसार अपने आप को अपडेट करते रहना चाहिए ।
"मैं दुनिया के सबसे सुंदर हूँ,सबसे समझदार हूँ,सबसे अच्छा इंसान हूँ ,मुझ में कोई कमी नहीं है ,मैं अपने आप में पूरा हूँ और मैं सब कुछ कर सकता हूँ ।"
यही सोच हर किसी को अपनी जिंदगी में रखनी चाहिए तभी जिंदगी बहुत खूबसूरत हो जाएगी और जीवन सुखमय में हो जाएगा क्योंकि आप चाहे जितने भी गुणी हो ,सुंदर हो,सेवा भाव रखनेवाले हो,हमेशा हर किसी की मदद करते हो,मानवता में विश्वास करते हो ,फिर भी आपको नापसंद करनेवाले लोग आपमें कमी ढूंढ ही लेगे,उनकी नकारात्मक बातों को सुनकर निश्चित ही आप निराश हो जाऐगे।इसलिए अपनेआप को आप अपने नजरिए से देखिए।
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि, निराशा के बादलों को हटाने का एक सरल उपाय यह है कि ,जीवन में जब कभी आपके मन पर निराशा की छाया पड़ने लगे, तो तुरंत उन क्षणों को याद करने की कोशिश कीजिए, जब आपने कोई बहुत बड़ा या बहुत अच्छा काम किया था, किस तरह उस समय लोगों ने आपकी प्रशंसा की थी और आपको किसी नायक की तरह पेश किया था
फिर से कुछ वैसा ही करने की कोशिशकीजिए।अपनेआप को खुश और स्वस्थ्य रखने की जिम्मेदारी खुद की होती है ।खुश रहे ,स्वस्थ रहे ,हर चीज के प्रति आशावान रहे यही जीवन है।
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