योगी-अखिलेश के बीच लड़ा जा रहा है चुनाव?

इस बार प्रत्याशियों और जनता के बीच असमंजस की  

  • चर्चा यह भी है कि मोदी के तिलिस्म की काट मुश्किल है..
  • चुनाव त्रिकोणीय होने की सम्भाबना..
  • आसान नहीं है बीजीपी की डगर...

मुरारी श्रीवास्तव

पूरनपुर, पीलीभीत। चुनाव की रणभेरी बजते ही शह मात की विसात बिछ गई है। बातों के बताशे तो फुट ही रहे हैं साथ ही स्वपनिल आश्वासनों की झांकिया भी सजाई जाने लगी हैं ।गर्मागर्म चर्चाओं के बीच प्रत्याशियों की खूबियों व खामियो  पर बहस का दौर जारी है। पसरे सन्नाटे के बीचसे कभी कभी यह आबाज उठती सुनाई देती है कि कहो दिल से सपा फिर से ।

पूरनपुर बिधान सभा छेत्र में मुकाबला प्रत्याशियों की बजाय मोदी-योगी व अखिलेश के बीच होता दिखाई पड़ रहा है। यहाँ मुकाबला जातीय समीकरणों में न उलझकर  सीधे दो मुखड़ों के बीच है। 

सारी शंकाओं सम्भावनाओ और आंकड़ों को थोड़ी देर के को अलग रख दिया जाये और चुनावी पडतालों को मान लिया जाए तो नतीजा यह दिखाई पड़ता है कि  भाजपा प्रत्याशी विधायक बाबूराम पासवान के पूरे छेत्र में भारी विरोध के चलते मोदी मैजिक पर अखिलेश का कौशल भारी पड़ रहा है लेकिन सपा कार्यकर्ताओं के लिए यह बहुत खुशी की बात नही है क्योंकि निष्चित रूप से मोदी के तिलिस्म की काट बहुत मुश्किल है ।129 बिधान सभा छेत्र पूरनपुर में विधायक की कुर्सी पाने के लिए भीषण मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है। सपा से आरती महेंद्र को जमीन से जुड़े रहे पूर्व विधायक पीतमराम से   यह मौका विरासत में  मिला है।

यहाँ दुख की बात यह है कि आज पीतमरामजी हमारे बीच नही रहे। अगर वह जीवित होते तो यह चुनाव अन्य प्रत्याशियों के लिए लोहे के चने चबाने से कम नही होता। तीसरी कड़ी के प्रत्याशी अशोक राजा हैं जोकि भाजपा से टिकट न मिलपाने से हांथी की सवारी करने लगे है और विधायक बनकर बहन मायाबती के हांथों को मजबूत करने के पूरे प्रयाश में हैं। 

मजे की बात यह है कि पूरनपुर के त्रिकोणीय संघर्ष में भारी विरोध के बाद भी मौजूदा विधायक भाजपा प्रत्याशी बाबूराम पासवान, सपा प्रत्याशी आरती महेंद्र व बसपा प्रत्याशी अशोक राजा के आंखों की किरकिरी बने हुए है। क्योंकि चौंकाने बाली बात यह है कि जो मतदाता इनका भारी विरोध करते नही थकते है, बाद में वही यह कहते देखे जा रहे हैं कि हमे इससे क्या मतलब हमें तो योगी को जिताना है। फिलहाल कुछ भी हो लेकिन इस बार भाजपा प्रत्याशी के लिए डगर पनघट की आसान नही होगी।

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