राधा का विरह
नूतन राय, नालासोपारा (महाराष्ट्र)
तेरे विरह की पीडा
दिल सह नही पाता है
आजा रे मेरे सावरे
मेरा दिल घबराता है।।
कहता है यहाँ हर कोई
तु तीनो लोक का स्वामी
कण कण मे तु रहता है
अरे तु तो है अन्तरयामी
पर मेरे दिल की पीडा
क्यो समझ ना पाता है ।।
आजा रे मेरे सांवरे
मेरा दिल घबराता है।।
तू कहके गया था हमसे
मैं आऊंगा कल परसों
कल परसों बीत गए रे
अरे बीत गए कई बरसों
तेरी राह तकूं मैं कबसे
तू क्यों नहीं आता है ।।
आजा रे मेरे सांवरे
मेरा दिल घबराता है ।।
तू कहता था मैं तुझको
हूं प्राणों से प्यारी
पर जब से गया निर्मोही
कभी सुध भी ली ना हमारी
मैं तड़पू यहां वहां पर
तू व्याह रचाता है ।।
आजा रे मेरे सांवरे
मेरा दिल घबराता है।।
तेरे विरह की............
आजा रे.................
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