राजनीति का गलैमर आज भी है बरकररार

यहाँ कोई भी स्वामी प्रसाद मौर्य बनने का साहस नही रखता?

सुजाता मौर्या 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों मे किसी भी दल के लिये टिकटो के लिये मारामारी है जबकि मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाज वादी पार्टी के बीच है जाहिर है सबसे बडे पैमाने पर टिकटो की मारामारी इन दोनो राजनैतिक दलो मे है लेकिन कांग्रेस, बहुजनसमाजवादी पार्टी, आप, अपना दल, जयंत चौधरी का लोकदल छोटी से छोटी पार्टी मे टिकटो के लिये मारामारी कारण जीत गये तो बल्ले बल्ले हारे फिर भी झेत्र मे नाम के साथ ..?

आज राजनीति एक ऐसा नशा जोकि फिल्मी दुनिया मे 60-70 के दशक से चला आ रहा है जिस कारण हजारो युवा युवतियां मुबंई का रुख कर  फिल्मी दुनिया मे किस्मत अजमाते है।

यही भेडचाल जबसे राजनीति मे रूतबे के साथ..

पैसे का बोलबाला बढा है..

चल पडी है..आज कमोवेश अब यही हाल संगठनों जोकि किसी भी कार्यक्षेत्र के लिये हो पत्रकार, ब्यापरी, मजदूर, नौकरीपेशा, रेहडीटरी आदि किसी भी प्रकार का संगठन हो पदाधिकारी के साथ सदस्यों के जुडने की भेडचाल और इन संगठनों मे अधिकांशतः पदाधिकारी ही लाभ मे रहते है

सरकार एंव अधिकारियों के संम्पर्क से कया खेल होता है सदस्यों क़ो जानकारी के बाबजूद एक अनआकर्षक गलैमर संगठनो मे सदस्यों को जोडे रखता है दमघुटने या संगठन की नितियो से असहमति के बाबजूद कोई भी यहाँ स्वामी प्रसाद मौर्य बनने का साहस नही रखता है।

टिप्पणियाँ